RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
दीपा ने कुछ संरक्षात्मक आवाज से पूछा, "मैं कभी अपने वचन से मुकरती नहीं हूँ। पर पहले यह तो बाताओ ना की तुम्हें क्या चाहिए?"
तरुण ने पट से जवाब देते हुए कहा, "भाभी, क्या आप समझ नहीं गए की मुझे क्या चाहिए? भाभी आज की रात हमारी रात है। आज की रात मैं आपको पूरी तरह से पाना चाहता हूँ। आज की रात मैं आपका तन और मन अपना बनाना चाहता हूँ। आज की रात आप मुझे मेरे मन की आस पूरी करने दीजियेगा, मुझे रोकियेगा नहीं। मैं चाहता हूँ की आज की रात आप प्लीज अपनी मर्जी से ख़ुशी से भाई के साथ साथ मुझ से भी चुदवाइये। भाभी आज अपना वचन पूरा कीजिये की आप मुझे कुछ भी करने से रोकोगे नहीं। बोलिये आप अपना वचन पूरा करोगे या नहीं? या यह कह कर मुकर जाओगे की वह वचन मज़बूरी में दिया था।"
तरुण को पता था की दीपा की यह कमजोरी थी की वह बार बार कहती थी की वह कभी अपने दिए हुए वचन से मुकरती नहीं थी। दीपा ने तरुण की और असहाय नजरों से देखते हुए पूछा, "तरुण, मैंने यह तो नहीं कहा की मैं दिए हुए वचन से मुकर जाउंगी? मैं जानती हूँ तुम मुझसे क्या चाहते हो। पर यह मेरे लिए बहोत ही मुश्किल है। बात सिर्फ मेरी होती तो शायद मैं मान भी जाती। पर देखो यहां बात सिर्फ मेरी नहीं है। मैं शादीशुदा हूँ। मेरे साथ मेरे पति भी हैं। उनके पीछे मैं उनको धोखा नहीं दे सकती। मैं अगर वचन निभाऊंगी तो उनका क्या?"
तरुण समझ गया की अब दीपा उसके चंगुल में फँस चुकी है। उसने कहा, "भाभी आप की बात सौ फीसदी सही है। मैं भी नहीं चाहता की आप भाई को धोखा दो। पर अगर भाई को भी कोई आपत्ति ना हो तो? अगर भाई खुद ही आपको इजाजत दें तो? फिर तो आप मान जाएंगे ना? आप ने ही तो अभी अभी कहा, की बात अगर आप पर आये तो आप मान जाओगे। बोलो भाभी, जवाब दो ना? भाभी आज की रात हम सब भाई के भी साथ मिल कर एम. एम. एफ़. थ्रीसम का आनंद लेते हैं।"
दीपा ने तरुण की और देख कर पूछा, "तरुण, यह क्या नया तुक्का तुमने निकाला है, यह थ्रीसम और एम.एम.ऍफ़ का? यह क्या है भाई?"
तरुण ने कहा, "भाभी मैं प्रॉमिस करता हूँ की यह सब मैं आपको और भाई को थोड़ी देर में ही कार में जरूर बताऊंगा। अभी तो आप बस मुझे थोड़ा आपको छेड़ने दीजिये। प्लीज?"
अब दीपा के पास तरुण की बात का कोई जवाब नहीं था। दीपा समझ गयी की वह फँस चुकी थी। वह चुपचाप खड़ी तरुण की और मायूस सी देखती रही। दीपा की शक्ल और हालात देख कर ऐसा लगता था जैसे एक बकरी अपनी कतल होने वाली ही है यह जानते हुए अपने कातिल के सामने लाचार खड़ी हो।
तरुण ने कहा, "भाभीजी, बोलिये आप चुप क्यों हैं? क्या आप अपना वचन निभाएंगीं, या मुकर जायेंगीं?"
दीपा एकदम सिमटी हुई दयनीय भाव से तरुण की और देख कर बोली, "तरुण तुमने यह ठीक नहीं किया। तुमने मुझे फाँस दिया। मैं क्या करूँ? यह बात तो सही है की मैंने वचन तो मज़बूरी में ही दिया था। पर मैं मुकर तो सकती नहीं, वचन दिया है तो निभाना तो पडेगा ही। अगर तुम्हारे भाई को कोई प्रॉब्लम नहीं हो तो फिर मैं तो फँस ही गयी ना?"
तरुण ने कहा, "भाभी, मैं आपको और कटघरे में खड़ा कर परेशान नहीं करूंगा। भाई को कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं जो भी करता हूँ भाई को पूछ कर करता हूँ। मैं चाहता हूँ की आप अभी बस थोड़ी देर के लिए चुपचाप खड़े रहिये प्लीज? भाभी, आप घबड़ाइये नहीं। देखिये, आप भी जानती हैं की अगर मैं चाहता तो आप को सिर्फ यहां ही नहीं, कई जगह चोद सकता था। आप कुछ नहीं कर पाते। पर मैं आपको आपकी मर्जी के बगैर चोदना नहीं चाहता था और ना कभी आप की मर्जी के बगैर चोदुँगा। अभी तो मैं बस आपके साथ सिर्फ थोड़ी छेड़खानी, थोड़ी शरारत करना चाहता हूँ। आपने ही आज रात मुझे शरारत करने के लिए इजाजत दे दी है तो कुछ देर मुझे भी तो आपके बदन से मेरा बदन रगड़ लेने दीजिये ना? भाई के आने के बाद तो आप बस उनका ही ध्यान रखेंगी ना? फिर तो आप दोनों ही एक दूसरे के साथ चालू हो जाओगे। आप फिर मुझे कहाँ पूछेंगी?"
अपने ही वचन में पूरी तरह फँसी हुई दीपा बेचारी चुपचाप खड़ी रही और इंतजार कर रही थी की अब आगे तरुण क्या गुल खिलाता है? तरुण ने दीपा को कस कर पकड़ा और उसे चूमने लग गया। दीपा को समझ नहीं आया की वह क्या करे? तरुण ने उसे बड़ी ही चालाकी से अपने चंगुल में फाँस लिया था। वह ना तो हिल सकती थी ना तो चिल्ला सकती थी क्यूंकि चिल्लाने से उसकी चीख सुन कर कोई घर से बाहर निकल कर उनकी यह हरकत देख सकता था। और बदनामी होगी तो सबकी होगी।
दीपा में उतनी ताकत थी नहीं की तरुण को वह धक्का मार कर हटा सके। दूसरे तरुण ने दीपा को स्पष्ट रूप से कह दिया था की वह दीपा को चोदेगा और दीपा ने भी "वचन तो निभाना ही पडेगा" यह कह कर तरुण को साफ़ साफ़ इशारा कर दिया था की वह तरुण से चुदवायेगी। तो अब तरुण जो करेगा उसे झेलना ही पडेगा यह सोच कर लाचारी में दीपा वहीँ खड़ी रही और आगे तरुण क्या करेगा उसका डर के मारे इंतजार करने लगी। दीपा ने यह भी महसूस किया की तरुण का लण्ड उस की पतलून में एकदम खड़ा हो गया था और तरुण उस खड़े लण्ड से दीपा की टाँगों के बिच में जैसे दीपा की चूत को चोद रहा हो ऐसे धक्के मार रहा था।
दीपा यह सोच कर परेशान हो रही थी की तरुण का लण्ड उसकी पतलून और उसके अंडरवियर में बंद था। दीपा ने भी साडी, पेटीकोट और पैंटी पहनी थी। फिर भी दीपा को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे तरुण और दीपा ने कोई भी कपडे नहीं पहने हों और तरुण दीपा की चूत में उसका लण्ड डाल रहा हो। क्या तरुण का लण्ड इतना लंबा और फौलादी सा था की इतने सारे कपड़ों के बिच में होते हुए भी दीपा को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे की तरुण का लण्ड उसकी की चूत में घुस रहा था?
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