RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण कहाँ रुकने वाला था? जब उसे लगा की अभी मुझे निकलने में थोड़ी देर लग सकती है तो तरुण ने दीपा की छाती पर हाथ फिरा कर दीपा के मस्त स्तनोँ को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा। ऐसा करने के लिए उसे दीपा से थोड़ा अलग होना पड़ा। दीपा का ब्लाउज भी तो ऐसा था की दीपा के भरे हुए अनार जैसे स्तनों को उस छोटी सी पट्टी में बांधे रखना नामुमकिन था। तरुण के अंदर हाथ डाल कर ब्लाउज को ऊपर सरका ने से दीपा की गुम्बज तरुण के हाथों में आ गए। तरुण ने उन्हें बेरहमी से मसलना शुरू किया। दीपा की चूत ना सिर्फ गीली हुई थी। तरुण के लण्ड के बार बार दीपा की चूत को कपड़ों के ऊपर से ही ठोकने के कारण वह मचल रही थी।
दीपा इतनी गरम हो रही थी की उसके मुंह से बरबस एकदम धीमी आवाज में कामुकता भरी कराहटें "आह........ ओह........ उफ़....... हाय.... अरे तरुण, क्या कर रहे हो? रुक जाओ ना, प्लीज? कोई देख लेगा" निकल ने लगीं। तरुण की हरकतों से वह इतनी गर्म हो चुकी थी की दीपा को डर लगा की अगर जल्दी ही तरुण रुका नहीं तो दीपा कहीं खुद ही अपना घाघरा ऊपर कर तरुण से चुदवाने के लिए कहने को मजबूर ना हो जाए।
ऐसे ही कुछ देर तक तरुण दीपा के बूब्स को कभी ब्लाउज के ऊपर से तो कभी ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर मसलता रहा और दीपा की निप्पलोँ को उँगलियों में पिचकता रहा। साथ साथ में दीपा को कपड़ों के ऊपर से चोदता रहा। दीपा अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। दीपा भी काम वासना की ज्वाला में जल रही थी। दीपा भी खुद तरुण की कमर पकड़ कर जैसे उससे चुदवा रही हो ऐसे कर रही थी और उसके कारण उसका मन भी शायद तरुण का लण्ड लेने के लिए व्याकुल हो रहा था। एक तरफ वह तरुण को रोकना चाहती थी तो दूसरी और उसके मुंह से बरबस ही दबी हुई आवाज में कामुकता से उत्तेजित आहटें निकल रहीं थीं जो तरुण को और भी उत्तेजित कर रहीं थीं।
कुछ ही देर में जब दीपा ने देखा की उसे तरुण को रोकना ही होगा, वरना गजब हो जाएगा तब मौक़ा देख कर दीपा तरुण से अलग खड़ी हो गयी और तरुण को लाल आँखें दिखा कर बोली, "यह क्या है तरुण? तुम्हें तो ज़रा भी ढील नहीं देनी चाहिए। तुम तो उंगली देती हूँ तो बाँह ही पकड़ लेते हो। कुछ हँसी मजाक छेड़खानी ठीक है, पर तुम तो दानापानी लेकर चालु ही हो जाते हो? अभी तो रात शुरू भी नहीं हुई की तुम तो चालु हो गए?"
तरुण ने कहा, "ठीक है भाभी माफ़ कर देना। अगर आप कहते हो तो ठीक है। शुरुआत के लिए अभी इतना ही काफी है। ओके? भाभी क्या करूँ? आपको देख कर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा। सॉरी भाभी।"
फिर तरुण ने दीपा के गालों पर हलके से उंगलिया फेरते हुए कहा, "भाभी आप नाराज तो नहीं हो ना? देखो भाभी आज की रात मेरी हरकतों का बुरा मत मानना। प्लीज?"
दीपा ने तरुण का हाथ अपने गालों से हटाते हुए कुछ मज़बूरी में मुस्काते हुए कहा, "चलो ठीक है। तुम्हारे भाई आने वाले हैं। अब चुपचाप चलो और कोई शरारत मत करना। ओके?"
तरुण ने कहा, "भाभी इतने से ही तंग आ गए? यह तो शुरुआत है। शरारत तो अभी बाकी है। आज की रात तो मजे करने के लिए ही है ना?"
दीपा ने चेहरे पर खिसिआनि मुस्कान लाते हुए कहा, "पता नहीं, बाबा और कितनी शरारत करोगे तुम? ठीक है बाबा, रात तो अभी बाकी है ना और शरारत करने के लिए? अभी तो चलो यार।"
तरुण ने बड़े ही नाटकीय ढंग से दीपा के पाँव छुए जैसे वह दीपा को प्रणाम कर रहा हो। दीपा यह देख कर भागी और कुछ बोले बिना तरुण की कार मैं जा बैठी। मैं मेरे पिता और माताजी को प्रणाम कर और मुन्ना को प्यार करके बाहर आया और आगे की सीट में कार की खिड़की की तरफ दीपा के पास बैठ गया। तरुण अपनी पुरानी एम्बेसडर में आया था। उस कार में आगे लम्बी सीट थी जिसमें तिन लोग बैठ सकते थे। तरुण कार के बाहर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा था। जैसे ही मैं गाडी मैं बैठा, तरुण भी भागता हुआ आया और ड्राइवर सीट पर बैठ गया। दीपा की एक तरफ मैं बैठा था और दूसरी तरफ तरुण ड्राइवर सीट में बैठा था और दीपा बिच में।
मैंने दीपा को देखा की मेरी पत्नी हररोज की तरह चुलबुली नहीं लग रही थी। वह सहमी हुई थी और उसके गाल लाल नजर आ रहे थे। शायद उसके कपडे भी थोड़े इधर उधर हुए मुझे लगे। मुझे शक हुआ की कहीं मेरी गैर हाजरी में तरुण ने दीपा से कोई और शरारत भरी हरकत तो नहीं की? उस समय मुझे तरुण और दीपा के बिच घर के बाहर रास्ते पर पार्क के पास कार के सहारे हुए कार्यकलाप के बारे में कुछ भी पता नहीं था। वह सारी बात मेरी बीबी ने मुझे काफी समय के बाद बतायी थी। खैर, जैसे ही तरुण ने कार स्टार्ट की, उसके फ़ोन की घंटी बजी। तरुण ने गाडी रोड के साइड में रोकी और थोड़े समय बात करता रहा। जब बात ख़त्म हुई तो दीपा ने पूछा, "किस से बात कर रहे थे तरुण?"
तरुण ने दीपा की तरफ देखा और थोड़ा सहम कर बोला, "यह रमेश का फ़ोन था। बात थोड़ी ऐसी है की आपको शायद पसंद ना आये। थोड़ी सेक्सुअल सम्बन्ध वाली बात है।"
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