RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मैं चुप हो गया। तरुण कितना सभ्य था वह तो मैं अच्छी तरह जानता भी था और देख भी रहा था की धीरे धीरे तरुण ने दीपा को अपने पास खीच लिया था। फिसलन वाली साड़ी पहने होने के कारण दीपा को खिसकाने में तरुण को कोई दिक्कत नहीं हुई। दीपा भी बिना विरोध किये तरुण के पास खिसक गयी थी। मैंने देखा की तरुण ने भी दीपा का हाथ पकड़ कर अपनी जाँघ पर ना सिर्फ रखा बल्कि उसे थोड़ा और खिसका कर दोनों जाँघों के बिच उसके लण्ड के करीब वाले हिस्से में रखा और उसे दीपा वहाँ से ना हटा सके इसके लिए वह थोड़ा दीपा की और घूम गया और अपना दुसरा हाथ दीपा के हाथ के ऊपर दबा कर रखा।
मुझे शक हुआ के कहीं तरुण ने दीपा का हाथ अपनी टांगों के बिच लण्ड के ऊपर तो नहीं रख दिया था? पर अँधेरे के कारण मैं ठीक से देख नहीं पा रहा था। मेरी प्यारी पत्नी इतना कुछ होते हुए भी जैसे कविताएं सुनने में व्यस्त लग रही थी, या फिर तरुण की शरारत महसूस करते हुए भी ध्यान नहीं दे रही थी। उस रात तरुण या मैं अगर उसको छेड़ें तो विरोध नहीं करने का आखिर वादा भी तो किया था उसने?
मुझे उस समय यह नहीं पता था की मेरी बीबी ने उससे भी कहीं बड़ा वादा (तरुण से चुदवाने का) तरुण को कार मैं बैठने से पहले ही कर दिया था। दीपा की एक कमजोरी कहो अथवा अच्छी बात कहो वह यह थी की अगर उसने एक बार वादा किया अथवा वचन दे दिया तो वह वह कभी मुकरती नहीं थी।
हम और थोड़ी देर तक उसी जगह कार को खड़ी रख कविताएं सुनते रहे। आखिर जब बोरियत होने लगी, तब मैंने तरुण से कहा, "अरे तरुण, यार इस कार्यक्रम से तो तुम्हारी कहानी बेहतर थी। चलो कार को कहीं और ले लो। यहां बहुत शोर है।"
तरुण ने कार को मोड़ा और वहाँ से दूर मुख्य रास्ते से थोड़ा हटकर कार को एक जगह खड़ा किया। बाहर दूर दूर कहीं रौशनी दिखती थी, पर कार में तो अँधेरा ही था। आँखों पर जोर देनेसे थोड़ा बहुत दिखता था।
कार रुकने पर मैंने तरुण से कहा, "तरुण तुम्हारी कहानी सटीक तो थी, पर एक बात कहूँ? तुमने तो यार कहानी को बिलकुल फीका ही कर दिया। सारा मझा ही किरकिरा कर दिया। ना तो तुमने सेक्स कैसे हुआ यह बताया, ना तो सारी बातें स्पष्ट रूप से खुली की। रमेश का दोस्त और उसकी बीबी सेक्स करते थे, इसके बजाय चोदते थे ऐसा क्यों नहीं बोलते? रमेश की बीबी ने अपने पति के अंग को सहलाया, उसके बजाये यह क्यों नहीं कहा की लण्ड को सहलाया?"
मेरी बात सुनकर दीपा एकदम भड़क उठी। उसने मेरी तरफ देखा और बोली, "यह क्या है? तुम ऐसे गंदे शब्द क्यों बोल रहे हो?"
मैंने तुरंत तालियां बजाते हुए कहा, "देखा तरुण? मैं क्या कह रहा था? यह औरत कैसे भड़क गयी? क्यों? अब तुम मर्दों की बराबरी क्यों नहीं कर सकती? क्यों चूत लण्ड ऐसे शब्द नहीं सुन सकती? यह शब्द गंदे कैसे हो गए? सेक्स अथवा फक करना अच्छा शब्द है, पर चोदना गंदा शब्द है? पुरुष का लिंग अच्छा शब्द है, पर लण्ड गंदा शब्द है? देखा तरुण? मुझे पता है की मेरी पत्नी में इतनी हिम्मत नहीं है की वह भी हम पुरुषों के साथ बैठ के खुल्लम खुली सेक्सुअल बातें पुरुषों की तरह सुन सकती है। इसी लिए तो मैं कहता हूँ की औरत मर्द का मुकाबला नहीं कर सकती। क्यों डार्लिंग? क्या कहती हो अब?"
तब तरुण ने बड़ी सम्यता से कहा, "नहीं दीपक, हमें महिलाओं के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए। मैं दीपा भाभी की बहुत इज्जत करता हूँ। मैं नहीं चाहता की दीपा भाभी के मन को मेरी बातों से कोई ठेस पहुंचे। मैंने उन्हें वैसे ही काफी दुःख पहुंचाए हैं। मैं उन्हें और कोई दुःख नहीं पहुंचाना चाहता।"
तरुण की इतनी सम्मान पूर्ण शालीन बात सुनकर दीपा भावुक हो गयी उसकी आँखें नम हो गयीं। दीपा तरुण को बड़े सम्मान और प्रेम भरी नजर से देख रही थी। दीपा ने तरुण के दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और उन्हें प्रेम से सहलाने और दबाने लगी। पर वह मेरे ताने को भूली नहीं थी।
दीपा ने मुझसे 'नाजुक' शब्द सूना था तो उसे तो जवाब देना ही था। मेरी बात सुनकर, दीपा आगबबूला हो गयी। वह कार में ही खड़ी होने की कोशिश करने लगी। फिर खड़ा ना हो पाने के कारण बैठ तो गयी पर मुझ पर बरस पड़ी। दीपा तरुण का हाथ पकड़ कर अपनी जाँघों के बिच के हिस्से पर दबाते हुए जोश में आ कर और बोली, "नहीं तरुण, तुम जरूर वह कहानी पूरी खुल्लमखुल्ला बेझिझक सुनाओ। हरेक स्त्री ऐसी छुईमुई नाजुक नहीं होती। मैं तो बिलकुल नहीं हूँ। मैं क्यों भला हिच किचाउंगी? क्या स्त्री पुरुष के साथ सेक्स नहीं करती? आखिर सेक्स भी तो हमारी ज़िंदगी का एक स्वाभाविक ऐसा हिस्सा है जिसको हम नजर अंदाज़ नहीं कर सकते। तरुण तुम बेझिझक कहो। मेरी वजह से मत हिचकिचाओ। अगर पुरुष लोग सेक्स की बातें करते हैं और सुनते हैं तो भला स्त्रियां क्यों नहीं सुन सकती? मेरे पति को अगर उसे सुनना है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। उन के दिमाग पर तो हमेशा सेक्स ही छाया रहता है।" दीपा ने मुझ पर अपने गुस्से की झड़ी बरसा दी।
पर मैं कहाँ रुकने वाला था? मैंने दीपा को कहा, "देखा? पुरुष और स्त्री का अंतर तो तुम ने खुद ही साबित कर दिया। तुम सेक्स शब्द तो बोल सकती हो, पर यह नहीं बोल सकती की पुरुष और स्त्री की चुदाई की बात हो तो उसे तुम्हें आपत्ति नहीं होगी। अंग्रेजी में बोलो तो सभ्य, और हिंदी में बोलो तो गंवार?"
|