RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मैंने उसे पहले से हिदायत दी थी की तरुण आये या ना आये, मैं तो मेरी बीबी को प्यार करूंगा ही। तो दीपा मुझे मना नहीं कर सकती थी। उसने तो मुझे वचन जो दिया था। वैसे भी उसके लिए यह मुमकिन नहीं था की मेरे बाहुपाश से छूटकर अपनी चूँचियों को वह सम्हाल सके।
अपने वचन से बंधी हुई दीपा लाचारी में मुझे चूमने से रोक नहीं पायी और खुद भी इतनी गरम हो गयी थी की बिना तरुण की परवाह किये वह मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने तरुण से कहा, "तरुण, सॉरी यार। मैं तुम्हारी गरमागरम कहानी सुनकर मेरी बीबी को प्यार किये बिना रह नहीं सकता। दीपा डार्लिंग, आज तुम्हें हमारे साथ बैठ कर खुल कर बातें करते हुए देख कर मुझे बहोत बहोत बहोत अच्छा लगा है। मजाक अलग है पर आज मुझे तुम पर वाकई में नाज है। आज मुझे ऐसा लगा है जैसे हम लोग हनीमून मना रहे हों।"
दीपा ने मेरी और मुस्करा कर देखा और कुछ दबी सी आवाज में मेरे कानों में बोली जिससे तरुण ना सुन सके, "अच्छा? हम क्या तरुण के साथ हनीमून मना रहे है?"
मैंने कहा, "तो क्या हुआ? तरुण अपना ही है, कोई पराया थोड़े ही है? पर फिलहाल तो तरुण की ऐसी की तैसी"
हम कभी हनीमून पर तो गए नहीं थे। पर मेरी हनीमून वाली बात सुनकर वह काफी खुश थी। उसका गुस्सा पिघल चुका था। मेरी बात सुनते ही बिना बोले दीपा मेरे साथ चुम्बन में जुट गयी। किस करते करते मैंने दीपा की साडी को उसकी जांघों से ऊपर खींचते हुए तरुण की और मुड़कर देखा और कहा, "तरुण, तुम्हारी कहानी ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया है की मैं अपने आप को कंट्रोल में रख नहीं पा रहा हूँ।"
दीपा भी उतनी उत्तेजित हो गयी थी की वह मुझसे लिपट कर जोश से चुम्बन करने लगी और मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मुझसे अपनी जीभ चुसवाती रही। दीपा ने पीछे मुड़ कर हमारी और हैरानगी से देख रहे तरुण को देखा। फिर उसे हलकी सी मुस्कराहट देकर फिर वह मुझे किस करने लग गयी। दीपा के मेरी गोद में आ जाने से मैं उसकी और घूम गया था और उसे मेरी और घूमना पड़ा था, जिसके कारण उसकी नंगी पीठ तरुण की तरफ हो गयी थी। दीपा की ब्रा की पट्टी का हुक तो तरुण ने पहले से ही खोल दिया था।
दीपा की साडी की गाँठ भी दीपा के अपनी सीट पर बार बार सरकने से खुल गयी थी। मतलब के दीपा की पीठ उसकी गाँड़ तक नंगी थी। तरुण को उस समय दीपा की गाँड़ का कट भी नजर आ रहा था। हालांकि दीपा का घाघरा जरूर था, पर वह भी दीपा ने काफी निचे पहना हुआ था जिसके कारण तरुण को दीपा की गाँड़ का कट अपनी नज़रों के सामने दिख रहा था। मैं तरुण की नजर देख रहा था जो दीपा की गाँड़ पर टिकी हुई थी।
दीपा को उठा कर मेरी गोद में बिठाते हुए मैंने पाया की दीपा की साडी की गाँठ खुलने के कारण दीपा की साडी एक कपडे का ढेर बनकर दीपा की कमर के इर्दगिर्द लिपटी हुई थी। दीपा ने भी यह महसूस किया। दीपा की साडी की गाँठ अपने आप खुल गयी थी या तरुण का भी उसमें कोई योगदान था मुझे नहीं पता।
दीपा ने तरुण ना सुने इतनी धीमी आवाज में मेरे कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "मैंने तुम्हें बोला था ना की यह साडी वजन में एकदम हलकी और फिसलन वाली है? देखो अब इसकी गाँठ खुल गयी। तुम तो मुझे सेक्सी कपडे पहनने के लिए कह रहे थे पर यहां तो मैं नंगी ही हो गयी ना? तुमने मेरी इज्जत का तो फालूदा करवा ही दिया ना?"
दीपा की बात सुनकर मैं हैरान रह गया। मैंने तो दीपा से यह साडी पहनने के लिए नहीं कहा था। पर खैर, मैंने उसे समझाते हुए कहा, "कोई बात नहीं। तरुण ने तुमको पहले आधी नंगी नहीं देखा क्या? तुम्हारी जाँघों को नहीं देखा क्या? तुम कार में ऐसे ही बैठी रहो। तुम चिंता मत करो। मैं तरुण को कार से बाहर जाने ले लिए कहूंगा। तब तुम साडी दोबारा पहन लेना। पर अभी तो मुझे तुम्हारे रसीले होंठों का रस पान करने दो ना?"
दीपा के होँठों से रस टपक रहा था। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाली तो दीपा उसे चाटने लग गयी। मैं और मेरी बीबी दीपा एक उत्कट आलिंगन में जकड़े हुए थे तब तरुण ने मेरी एक बाँह पकड़ी और बोला, "भाई कमाल है। आप दोनों तो गरम हो कर एक दूसरे से लिपट कर अपने बदन की आग बुझा सकते ही पर मेरा क्या? तुम मियाँ बीबी मुझ पर बड़ा जुल्म ढा रहे हो। मेरा कसूर यही है ना की मेरी बीबी मेरे साथ नहीं है?"
मैंने देखा की तरुण मेरी बीबी की नंगी करारी जाँघों को दीपा के कंधे से ऊपर सर उठा कर देखने की कोशिश कर रहा था। मैंने उसे देखते हुए पकड़ लिया तब उसने अपनी नजरें घुमा दीं।
तब मैंने तरुण को तपाक से जवाब देते हुए कहा, "यह सच है की तेरी बीबी इस वक्त नहीं है। पर दीपा और टीना एक दूसरे को बहन मानते हैं। तो दीपा तेरी साली तो है ना? साली तो आधी घरवाली ही होती है ना? क्यों दीपा, बोलती क्यों नहीं?"
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