RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
दीपा फिर तरुण की और पीछे मुड़ कर तरुण को थोड़ी दूर उठक बैठक करते हुए देख कर हंस कर मेरे कानों में फुसफुसाती हुई मुझसे बोली, "करने दो उसको कुछ देर कसरत। उसकी सेहत के लिए अच्छा है। साले का लण्ड मुझे देखता है तब खड़ा हो जाता है और कुदने लगता है।"
मैंने कहा, "डार्लिंग तो कभी कबार बेचारे पर दया खा कर उसे शांत कर दिया करो ना?"
फिर वापस मेरी और मुड़कर थोड़ी झल्ला कर बोली, "दीपक, यार तुम भी ना कभी कभी बड़ी ऊलजलूल बात करते हो। तुम्हारा दोस्त तरुण सिर्फ बन्दर ही नहीं, बहुत बड़ा लम्पट बन्दर है। पता नहीं मुझे देख कर ही इसकी जीभ लपलपाने लगती है। यह मुझे बहोत ज्यादा फ़्लर्ट करता और छेड़ता रहता है और मैं सच बताती हूँ की जब वह मुझे छेड़ता है तो मुझे अंदर से पता नहीं क्या हो जाता है? मैं भी पागल सी हो जाती हूँ। यह तो सुधरेगा नहीं। अब तो मैं वाकई तंग आ गयी हूँ। तुम भी हमेशा उसको ही सपोर्ट करते रहते हो। बोलो ना, आखिर तुम दोनों मुझसे क्या चाहते हो? बोलो तो सही। मुझसे क्या हिचकिचाना? मैं तुम्हारी बीबी हूँ। क्या आज तक मैंने कभी तुम्हारी कोई बात नकारी है? एक बार बोलो तो सही तुम दोनों मुझसे क्या चाहते हो? यार बर्दाश्त की भी कोई हद होती है। इतना घुट घुट के बार बार मरने से तो एक बार मर जाना ही अच्छा है।"
तरुण उस समय कार के बाहर निकल कर कुछ दूर धीरे धीरे दीपा को दिखाने के लिए दण्डबैठक लगाने का ढोंग कर रहा था। वह हमारी बात नहीं सुन सकता था। मैंने दीपा के कान में अपने होंठ रखे और उसे एकदम धीरे से फुसफुसाते हुए पूछा, "डार्लिंग एक बात बताओ। हम तरुण को कह रहे हैं की उसी ने उस पति पत्नी के साथ मिल कर थ्रीसम एम.एम.एफ. किया था। शायद ऐसा ही हुआ भी होगा।
इसका मतलब तो तरुण को थ्रीसम का अच्छा खासा अनुभव है। तो फिर क्यों ना हम भी उसके अनुभव का फायदा उठायें, और उससे एम.एम.एफ. थ्रीसम करें? तुमने खुद कहा की अगर सेक्स में नीरसता आगयी हो और अगर सब की मर्जी से होता है तो एम्.एम्.एफ. थ्रीसम कोई बुरी बात नहीं है। तुम्हें नहीं लगता की वह हम पर भी लागू होता है? हमारी शादी को भी कई साल हो गए हैं? क्या तुम मानती हो की नहीं की हमारी सेक्स लाइफ में भी कुछ हद तक नीरसता आ गयी है?"
यह बात कह कर मैंने मेरी बीबी को घुमा फिरा कर यह इशारा कर ही दिया की मैं चाहता था की मेरी बीबी उस रात मुझसे और तरुण से चुदवाये। दीपा ने मेरी और टेढ़ी नजर कर के मेरे कान में पूछा, "क्या तुम मुझसे ऊब गए हो?"
मैंने कहा, "नहीं ऊबने वाली बात नहीं है। मैं तो तुमसे नहीं उबा हूँ पर शायद कुछ हद तक तुम मुझसे ऊब गयी हो। चलो, इस तूतू मैंमैं की बहस को छोड़ दो पर अगर हम हमारे जीवन में कुछ नयापन लाना चाहें तो क्या बुरी बात है?"
दीपा ने अपने कन्धों को उठा कर कहा, "क्या पता भाई। जब से तरुण ने हमारी जिंदगी में कदम रखा है तब से मुझे तो नयेपन की कोई कमी नहीं खल रही। रोज ही तुम्हारा यह बन्दर नयापन ला रहा है। कभी वह पिकनिक में मुझे अपनी बाँहों में लेकर मेरे बूब्स दबाता है, कभी वह मुझे बाथरूम में दबाकर किस करता है, कभी वह होली में मुझे ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर मेरे बूब्स को भी रंगता और बिंदास मेरी चूँचियों को दबाता और मसलता है, कभी मेरा घाघरा उठा कर मेरी जाँघों को सेहलता है, कभी घर आ कर तुम्हें अपनी बीबी की आधी नंगी तस्वीरें दिखाता है। कभी वह पतलून में छिपे हुए उसके खड़े मोटे और लम्बे लण्ड को मेरे हाथ में पकड़ाने की कोशिश करता है, कभी वह अँधेरे का फायदा उठा कर मुझे खुले में कार के पीछे खड़ी कर अपनी बाँहों में जकड कर कपडे पहने हुए ही चोदने की कोशिश करता है, और मेरे पति उसमें उसका साथ देते हैं। जब मेरे पति ही चाहते हैं की तरुण मुझे और छेड़े तो मैं लाचार हो जाती हूँ क्यूंकि मैं मानती हूँ की पति पत्नी के बिच में विचार मतभेद हो सकते हैं, पर उन को हमेशा साथमें चलना चाहिए। हो सकता है मैं आपसे सहमत न होऊं, पर अगर आपकी प्रखर इच्छा हो या ज़िद हो तो मुझे भी उसके आगे झुकना पडेगा। तभी तो हम साथ साथ चल सकते हैं। पति को पत्नी पर पूरा भरोसा होना चाहिए और पत्नी को पति की बात माननी चाहिए। मैं कभी आपसे असहमत हो सकती हूँ पर कभी ऐसा नहीं होगा की मैं आपके विरुद्ध जाउंगी। मैं हमारे बिच में कभी भी कोई घर्षण नहीं होने दूंगी। और जहां तक नयेपन का सवाल है तो आजकल तरुण के कारण मेरी जिंदगी में नयापन ही नयापन है।"
मैंने कहा, "डार्लिंग क्यों ना आज रात हम सब मिल कर इस नयेपन को पूरी तरह एन्जॉय करें?"
दीपा ने मेरी और कुछ देर तक एकटकी लगाकर देखते हुए कहा,"तुम क्यों पूछ रहे हो? मैंने अभी अभी क्या कहा? आज तक ऐसा कभी हुआ है की मैंने ना नुक्कड़ भले ही की हो, पर तुम्हें कहीं भी किसी भी मामले में साथ ना दिया हो? चाहे मैं राजी हूँ या नहीं पर मैंने आखिर में जा कर तुम्हारी बात मानी है की नहीं?" फिर क्यों पूछ रहे हो? बोलो तुम मुझसे क्या चाहते हो?"
मैं क्या बोलता? यदि मैं उस समय दीपा को अचानक यह साफ़ साफ़ कह देता की मुझे उसको तरुण से चुदवाना है, तो पता नहीं क्या होता? शायद दीपा मेरी बात पर सोचती और शायद मान भी जाती, पर ज्यादातर मुझे यही लगा की वह मुझे वहीँ की वहीँ ऐसा लताड़ती की सब कुछ गड़बड़ हो जाता। और तरुण की भी शायद ऐसी की तैसी कर देती। मैंने उस समय इस बात को आगे बढ़ाना ठीक नहीं समझा और चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी। पर हाँ, मुझे तब यकीन हो गया की अब कहीं ना कहीं दीपा भी शायद समझ गयी थी की हम दोनों उसे चोदने का प्लान कर रहे थे और उसे चोद कर ही छोड़ेंगे। पर तब भी शायद वह यह बात हम से सुन कर उसे पचा ना पाती और हमारे प्लान पर पानी फेर देती।
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