RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण मुझे और दीपा को फुस्फुस करते देख कर बोला, "क्या बात है? मियाँ बीबी क्या फुस्फुस कर रहे हो? भाभी, आज आपने मुझे काफी झाड़ लगा दी है। मुझे झाड़ने की कोई और बात तो नहीं है?"
दीपा ने कहा, "नहीं तरुण ऐसी कोई बात नहीं। पर तुम बताओ, तुम दीपक को कह रहे थे की तुम कोई ख़ास बात करना चाहते हो? क्या बात है?"
तरुण मेरी बात सुनकर तरुण थोड़ा सीरियस हो गया। उसने कहा, "भाभी, मैं बताऊंगा। आपको नहीं बताऊंगा तो किसको बताऊंगा? पर आज आपकी कंपनी में मैं बिलकुल सीरियस होना नहीं चाहता। मैं आज होली की मस्ती और पागलपन ही करना चाहता हूँ। रोने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है। अभी तो आप यह बताओ की अब वह कवी सम्मलेन में वापस जाना है क्या?"
मैंने कहा, "मुझे तो कवी सम्मलेन से तेरी बातों में ज्यादा रस आ रहा है। भाई अब तेरे मित्र की अधूरी बात तो पूरी कर।"
दीपा ने मेरी बात को बिच में काटते हुए कहा, "तरुण अब अपने दोस्त से पूछो की मैंने तुम्हारी सेक्स वाली बात पूरी सुनी के नहीं? अब तो वह मेरी बात को कबुल करें की स्त्रियां पुरुषों से बिल्कुल कम नहीं। "
मैंने कहा, "मैं अब भी नहीं मानता। तुमने बात जरूर सुनी, पर जैसे ही थोड़ा सा नाजुक वक्त आएगा तो तुम भाग खड़ी हो जाओगी।"
तरुण ने मेरी बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "तू क्या बकवास कर रहा है दीपक? तुझे पता है तू कितना भाग्यशाली है दीपा को पाकर? दीपा भाभी जितनी अक्लमंद, सुन्दर, सयानी और इतनी हिम्मत वाली पत्नी बड़े भाग्य से मिलती है।"
मैंने तरुण को टोकते हुए कहा, "ऐसा मत बोल यार। टीना भी बहुत अच्छी हैं। तू भी बहोत तक़दीर वाला है।"
तरुण ने अपनी जिद पर अड़े रहते हुए कहा, "मैंने माना की टीना भी बहोत अच्छी है, पर भाभी से कोई मुकाबला नहीं। तूम तो यार सच में तक़दीर वाले हो। देखो मेरी बात को सीरियसली मत लेना पर मैं सच में कह रहा हूँ आज भी अगर तुम और भाभी तैयार हों तो मैं तो अदलाबदली के लिए तैयार हूँ। भाई आप भाभी मुझे देदो और टीना को आप रखलो। भाई मैं दीपा भाभी की पूजा करूंगा और उनपर कोई भी कष्ट का साया तक नहीं पड़ने दूंगा।"
तरुण की बात सुन कर मैं दंग रह गया। तरुण ने बीबियों की अदलाबदली करने वाली बात उस रात साफ़ साफ़ हम दोनों को कह दी। मैंने दीपा की और देखा। वह भी तरुण की बात सुन कर उसकी और अजीब सी नजरों से देखने लगी। तब तरुण ने बात को घुमाते हुए कहा, " यह तो खैर कहने वाली बात है। पर वाकई में दीपक भाई, मैंने आजतक दीपा भाभी के समान अक़्लमंद, सुन्दर, सेक्सी, हिम्मत वाली स्त्री कहीं नहीं देखि।"
मैंने देखा की दीपा ने अदला बदली वाली बात को अनसुना कर दिया। पर तरुण की तारीफ़ सुनकर दीपा को और जोश आया। वह मेरी तरफ देख के बोली, "तुम यह तो मानोगे की तरुण ने कई लड़कियों और औरतों को बहोत करीब से देखा है और समझा है। तुम मानते हो ना की वह स्त्रियों का एक्सपर्ट है? तो सुनो, तुम्हारा अपना दोस्त मेरे बारे में क्या कह रहा है? पर तुम्हे मेरी कद्र कहाँ? मैं तुम्हारी बीबी जो हूँ। सच कहा है, घर की मुर्गी दाल बराबर।"
मेरा मन किया की मैं अपनी बीबी को कहूं की, "दीपा डार्लिंग यह क्यों नहीं कहती हो की तरुण ने कई लड़कियों और औरतों को चोदा है? इसी लिए वह लड़कियों और औरतों का एक्सपर्ट है? पता नहीं अब तुम्हें उसमें शामिल करने के लिए तो कहीं वह तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर रहा?" पर मैं चुप रहा क्यूंकि ऐसा कहने से दीपा एकदम बिदक जाती।
मैं अपने मन में तरुण की बड़ी तारीफ़ कर रहाथा। वह क्या एक के बाद एक तीर दाग रहा था और हर एक तीर उसके निशाने पर लग रहा था। उसने तो अदलाबदली वाली बात भी कह डाली। मुझे वाकई में उसकी अदलाबदली वाली बात सुन कर लगा की "अपना टाइम आएगा।" आश्चर्य की बात तो यह थी की इतना कुछ करने के बावजूद भी दीपा की समझ से तरुण जैसा सभ्य और समझदार इंसान और कोई नहीं था। मैं, भी नहीं।
मैंने तरुण से कहा, "भाई अपनी वह कहानी तो पूरी करो। और हाँ, तुम एक बात कहना चाहते न? फिर वह भी बता दो की क्या बात थी?"
मेरी बात सुनते ही जैसे अचानक तरुण के चेहरे पर जैसे काला साया छा गया। वह कुछ कहना चाहता था, पर कह नहीं पा रहाथा। जब मैंने उसे टोका तब तरुण ने बड़ी गंभीरता से दीपा को कहा, "दीपा भाभी, मैं आज इस रंगीली रात में वह सारी बातें भूलना चाहता हूँ। छोडो भाभी। आप सुनेंगे तो आप भी दुखी हो जाएंगे। मैं आपको दुखी देखना नहीं चाहता।"
दीपा ने तरुण का हाथ पकड़ा और बोली, "नहीं तरुण, तुम बताओ, क्या बात है। शायद हम तुम्हारी कुछ मदद कर पाएं। अगर मदद ना भी कर पाएं तो तुम उस बात को कह कर अपना बोझ तो जरूर हल्का महसूस कर पाओगे। अपनों से बात करने से हल निकलता है। देखो हम तुम्हारे अपने निजी हैं के नहीं? अगर तुम मुझे और दीपक को एकदम करीबी अपना समझते हो तो सारी बात खुल कर बताओ। जो वाकई में अपने हैं उनसे कुछभी छुपाते नहीं। हमें एक दूसरे से कितनी ही सीक्रेट बात क्यों ना हो कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए। जहां तक दुःख की बात है, तो क्या हमें एक दूसरे से सुख और दुःख बांटना नहीं चाहिए? क्या तुम टीना से कुछ छुपाते हो? तो फिर हमसे क्यों?" मैंने भी तरुण को कहने का इशारा किया।
तरुण ने दीपा की और देखते हुए कहा, "भाभी, मैं आप को अपना नहीं समझता होता तो आप या भाई से इतनी छूट लेता क्या? आप लोगों से मुझे कोई भी झिझक नहीं है। आप इतना कहती हो तो मैं बताऊंगा। आप कहती हो ना की स्त्रियां पुरुष के बराबर होती हैं? मैं आप की बात करता हूँ। आप मुझ जैसे पुरुष से कहीं ज्यादा बुद्धिमान और अक्लमंद हो। मैं आपको मेरी दर्द भरी कहानी इस लिए भी कहूंगा क्यूंकि मैं समझता हूँ की आप सिर्फ मेरे अपने ही नहीं हैं, आप इतनी धीर गंभीर और समझदार हैं की शायद आप ही मुझे कुछ रास्ता बता सकते हो।" यह कह कर तरुण रुक गया।
मैंने देखा की अपनी ऐसी तारीफ़ सुन कर दीपा खिल उठी और उस ने मेरी तरफ कुछ तिरस्कार भरी नज़रों से देखा। फिर तरुण की और मुड़ कर बोली, "ठीक है बोलते जाओ।"
तरुण ने कहा, "मैं तो यह सब सोच कर थक हार चुका हूँ। आज मैं जबरदस्ती अपने आपको मजाकिया मूड में लाने की कोशिश कर रहा था शायद इसी लिए मैंने आपको इतना परेशान किया। मेरी समझ में तो कुछ नहीं आता। पर यह सब सुनने के लिए और मेरी मदद करने के लिए आपको मेरे घर चलना पड़ेगा। यहां बाहर कार में बैठे बैठे मैं कह नहीं पाउँगा।"
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