RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
दीपा को वह गाउन पकड़ा कर तरुण वहाँ से गायब हो गया। तरुण का सभ्यता पूर्ण व्यवहार देख कर दीपा हैरान रह गयी। उसे डर था की कहीं तरुण वहां खड़े रहने की जिद ना करे। तरुण यदि जिद करता तो दीपा को शायद उसके सामने मजबूर हो कर कपडे बदलने पड़ते। तब तरुण मेरी बीबी को ब्रा और पैंटी में देख लेता। दीपा की नंगी जाँघों की झलक ही तरुण ने पहले देखीं थीं। अगर तरुण की हाजरी में कपडे बदलती तो दीपा की सुआकार नंगी जांघें भी तरुण दुबारा देख लेता। मेरी बीबी रात को अंडरवियर पहनना पसंद नहीं करती थी। अगर तरुण देखता तो मजबूरन उसे पैंटी और ब्रा पहननी पड़तीं। पर तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया। उसने दीपा को अकेले में (उसके पति के सामने ही) कपडे बदलने का मौक़ा दिया। इस बात से दीपा तरुण की एक तरह से ऋणी बन चुकी थी।
अब दीपा के मनमें तरुण के प्रति बेहद सौहार्दपूर्ण भाव हो गया था। उसके लिए तरुण एक शिष्ट, सभ्य और अत्यन्त संवेदनशील आदमी था जिसको महिलाओं का सम्मान करना भली भांति आता था। अगर तरुण ने पहले दीपा से कुछ ज्यादा ही छूट ली थी तो वह एक वीर्यवान मर्द का एक सेक्सी स्त्री को देख कर होने वाली स्वाभाविक प्रतिक्रया मात्र थी ("क्या करें? ऐसा हो जाता है") ऐसा दीपा मानने लगी थी। सुबह और अभी कुछ देर पहले वाली तरुण की शरारत को वह ना सिर्फ माफ़ कर चुकी थी बल्कि भूल चुकी थी।
दीपा ने टीना का गाउन हाथ में लिया, तब मैंने उसे कहा, "अब इसे पहनलो और अपने अंदर के कपड़ों को निकाल कर अलग से रखना ताकि कल सुबह हम उसे फिर से पहन सकें। दीपा ने इधर उधर देखा। तरुण जा चूका था। तब उसने मेरे सामने ही अपने कपडे उतारे और ब्लाउज पैंटी , ब्रा इत्यादि तह करके बैडरूम के कोने में रख दिए। वैसे तो मेरी बीबी मेरे सामने नंगी होने में हमेशा सकुचाती थी, पर उस रात को उसने मेरे सामने बेधड़क नंगी हो कर अपने कपडे बदले। वह साबित करना चाहती थी की वह भी मुझसे कुछ कम नहीं थी। मुझे डर था की कहीं तरुण दरवाजे के पीछे से छुपकर ना देख रहा हो। पर तरुण ने जाते हुए दरवाजा बंद कर दिया था।
मैंने दीपा को कई बार नंगे देखा था। पर उस रातकी बात ही कुछ और थी। दीपा की आँखों में वह सुरूर मैंने पहली बार देखा। वह शराब से नहीं था। उसकी तरुण द्वारा की गयी भूरी भूरी प्रशंशा से दीपा को अपने स्त्री होने का गर्व महसूस हो रहाथा। तरुण दीपा को स्त्री होना एक गर्व की बात थी यह अहसास दिलाने में कामयाब हुआ था।
मैंने मेरी पत्नी को उस गाउन में जब देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। ऊपर से वह गाउन काफी खुला हुआ था। उसमें से दीपा के दोनों मस्त स्तन आधे दिख रहे थे। बस निप्प्लें छिपी हुई थीं। वह गाउन इतना पारदर्शी सा था की उसके पिछे की रौशनी में उसकी जांघें, दीपा की नुकीली और सुआकार गाँड़, उसके गुब्बारे जैसे भरे हुए करारे तने हुए स्तन, चॉकलेटी एरोला के बिलकुल बिच में कड़क गाढ़ी निप्पलेँ बल्कि उसकी चूत की गहराई तक नजर आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसने कपडे पहने ही नहीं थे। मेरा माथा यह सोचकर ठनक गया की जब तरुण उसे इस हाल में देखेगा तो उसके ऊपर क्या बीतेगी।
मुझे डर था की कहीं दीपा को ऐसी ड्रेस पहनी हुई देख कर वह अपना आपा ना खो बैठे और दीपा को बाँहों में पकड़ा कर वह गाउन को उतार कर उसे चोदने के लिये आमादा ना हो जाए।
तभी मैंने तरुण को अपने हाथों से तालियां बजाते हुए सूना। उसने दीपा को उस गाउन में देख लिया था। वह दीपा के पास आया और जैसे दीपा के कानों में फुसफुसाता हुआ बोला, "भाभी आप इस गाउन मैं मेनका से भी अधिक सुन्दर लग रही हो। मैं भगवान की सौगंध खा कर कहता हूँ की मैंने आज तक आप जितनी सुन्दर स्त्री को नहीं देखा।"
तरुण ने आगे बढ़कर दीपा से पूछा, "क्या मैं आप को छू सकता हूँ?"
अपनी इतनी ज्यादा तारीफ़ सुनकर दीपा तो जैसे बौखला ही गयी। मेरी प्यारी बीबी के गाल तरुण की भूरी भूरी प्रशंषा के कारण शर्म के मारे लाल लाल हो रहे थे। वह यह समझ नहीं पायी की वह उस गाउन में पूरी नंगी सी दिख रही थी। पर उसके चेहरे की लालिमा से यह तो लगता ही था की उसे शायद आईडिया हो गया था की उस गाउन में उसके अंग काफी साफ़ दिख रहे थे। पर उसने उस गाउन को पहनने में एतराज नहीं किया क्यूंकि कहीं मैं उसे यह कह कर ना चिढाऊँ की मेरी बीबी एक औरत होने के कारण वह ऐसे कपडे पहनने से डरतीं थीं। जिन और व्हिस्की का जो मिश्रण उसके दिमाग को घुमा रहा था और उद्दंड बना रहा था उससे वह ऐसी छोटीमोटी चिंताओं से ऊपर जा चुकी थी।
बल्कि वह तो तरुण की प्रशंषा के पूल बाँधने से इतनी खुश हुयी की वह अनायास ही तरुण के पास आई और तरुण ने जब अपने हाथ फैलाए तो वह मुस्कुराती हुयी उसमें समा गयी। मेरी बीबी के फुले हुए गुम्बज के सामान दो गोरे गोरे अल्लड स्तन और उनकी चोटी सम हलकी चॉकलेटी रंग की निप्पलँे जो पतले गाउन में साफ़ दिख रहीं थीं वह सुनील के बाजुओं को छू रहीं थीं। इस बात से दीपा या तो बेखबर थी या उसको उस बात की चिंता नहीं थी। मैं अपनी भोली और सरल पत्नी के कारनामे देख कर दंग रह गया। दीपा ने मेरी और देखा और ऐसे मुंह बनाया जैसे मैं उसका कोई प्रतिद्वंदी हूँ।
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