RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
वह तरुण के बाँहों में से बाहर आकर तरुण के ही बगल मैं बैठ गयी। दीपा ने मुझे भी अपने पास बुलाया और अपने दूसरी और बिठाया। दीपा मेरे और तरुण के बीचमें बैठी हुयी थी। दीपा ने अपना एक हाथ मेरे और एक हाथ तरुण के हाथ में दे रखा था। हम तीनों एक अजीब से बंधन मैं बंधे हुए लग रहे थे।
दीपा ने तरुण का हाथ थाम कर कुछ हलके से लहजे में पूछा, "तरुण यार मेरी तारीफों के पुल बाँधना छोडो और अब यह बताओ की वह कौनसी ऐसी समस्या है जिस के कारण तुम इतने ज्यादा परेशान हो। तुम आज निस्संकोच हमें बताओ।"
तरुण ने दीपा का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे सेहलना शुरू किया और बोला, "दीपक और दीपा, आप दोनों मेरे लिए एक बहुत बड़े सहारे हो। मैं आज अकेला हूँ पर आप दोनों के कारण मैं अकेला नहीं फील कर रहा हूँ। मैं तुम्हें अब एक बड़ी गम्भीर बात कहने वाला हूँ। कुछ ख़ास कारण से मैंने सबसे यह बात छुपाके रखी है। यहां तक की मैंने अपने माता और पिता तक को नहीं बताया।"
अचानक हम सब गम्भीर हो गए।
तरुण ने कहा, "मुझे मेरी कंपनी की और से निकासी का आर्डर मिल गया है। मुझे एक महीने का नोटिस मिला है। दर असल मेरी कंपनी के बड़े बॉस से कोई बात को लेकर मेरी कुछ बहस हो गयी थी जिसके अंत में बॉस ने मुझे नोटिस दे दिया है। उसी कारण से टीना और मेरे बिच में भी तनाव हो गया है। मेरे बॉस से झगडे से टीना खुश नहीं है। ऊपर से उसे मुझ पर एक मेरी पुरानी दोस्त के साथ रिश्ते के बारे में भी कुछ जबरदस्त गलत फहमी हुई है। मुझसे झगड़ कर टीना पिछले १५ दिनसे मायके चली गयी है। मैंने उसे समझाने की और मनाने की लाख कोशिश की पर वह मुझ पर इतनी नाराज है की वापस आने का नाम ही नहीं लेती। अब मेरे पास कोई जॉब नहीं है, बीबी मुझे छोड़ कर चली गयी है। अगर मैं १५ दिन में कोई और जॉब नहीं ढूंढ पाया तो मुझे घर बैठना पड़ेगा। भाभी, बात यहां तक बिगड़ चुकी है की मुझे समझ नहीं आता की मैं घर का इन्सटॉलमेंट कैसे भर पाउँगा और मैं करूँ तो क्या करूँ? मुझे अपने से और अपनी खुदकी जिंदगी से नफरत हो गयी है।" कमरे में जैसे एक मायूस सा वातावरण फ़ैल गया।
तरुण की बात सुनकर मैं और मेरी बीबी दीपा हम दोनों भौंचक्के से एक दूसरे को देखते ही रहे। दीपा का तो हाल ही खराब लग रहा था। वह जो अब तक सुरूर और जोश में थी, तरुण की बात सुनकर उसे जबरदस्त झटका लगा।
अब तरुण वह तरुण नहीं लग रहा था। हम जानते थे की तरुण का पूरा घर उसीकी आमदनी से चलता था। अगर आमदनी रुक गयी तो सब की हालत क्या होगी यह सोचना भी मुश्किल था। कमरे में जैसे समशान सी शान्ति छा गयी। दीपा ने तरुण का हाथ थामा तो तरुण की आँखों में आंसू भर आये। वह अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था। मैंने और दीपा ने तरुण को थामा और उसको ढाढस देने की कोशिश करने लगे। पर तरुण के आंसू थम ने का नाम नहीं ले रहे थे।
दीपा तरुण के एकदम करीब जा बैठी और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसे दबा कर सहलाने लगी। इससे तो तरुण के आंसूं की धार बहने लगी। तरुण अपने जज्बात पर कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। वह दीपा के हाथों को चूमते हुए बोलने लगा, "भाभी जी कोई क्या कर सकता है? आप भी क्या कर सकती हैं? जब टीना ही मुझे छोड़ कर चली गयी तो और क्या हो सकता है? जब अपने ही अपने नहीं रहे तो मैं आपसे क्या उम्मीद रखूं? आप बहुत अच्छीं है। आप मुझे अपना समझती हैं यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मैं आपको इतना परेशान कर रहा हूँ फिर भी आप मुझे झेल रहे हो इससे मुझे कितना सकून मिलता है यह आप नहीं जानतीं। पर आखिर में आपकी भी तो मजबूरियां है ना? इसमें आपका क्या दोष है? मेरा तो जो होगा देखा जाएगा। मैं जानता हूँ की आप पर भाई काअधिकार है मेरा नहीं।
भाभी मैं तो आपको छेड़ कर अपना दिल बहला लेता हूँ, थोड़ी देर के लिए एक खूबसूरत सपना देख लेता हूँ बस। मैं आपसे मेरी हरकतों के लिए माफ़ी माँगता हूँ। आप मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिये। जब मेरे अपने ही मुझे छोड़ कर चले गए तो मेरे रहने ना रहने से क्या फर्क पड़ता है?" ऐसा कहता हुआ तरुण एकदम उठ खड़ा हुआ और अपने आँसूं पोंछता हुआ बैडरूम से निकल कर ड्राइंग रूम को पार कर हमसे दूर बाहर बरामदे में जा कर बाहर सोफे पर बैठ कर दूर दूर अँधेरे में सुनी सड़क को सुनी आँखों से ताकने लगा। मैं उसे बैडरूम और ड्राइंग रूम के खुले दवाजे में से देख सकता था, हालांकि हमारी आवाज तरुण तक नहीं पहुँच सकती थी। उस समय उसके जहन में क्या उथल पुथल हो रही थी वह किसी को नहीं पता।
दीपा भी भावुक हो रही थी। वैसे ही मेरी संवेदनशील बीबी से किसीकी परेशानी देखि नहीं जाती। उपर से उस रात को इतनी अठखेलियां मजाक और छेड़खानी करने के बाद अचानक ही तरुण का ऐसा हाल देख कर दीपा घबड़ा गयी। तरुण की ऐसी हालत उससे देखी नहीं जा रही थी। दीपा उठकर मेरे पास आई। उसकी आँखों में आंसू थे। वह बोली, "अरे देखो तो, तरुण का कैसा हाल हो रहा है। उसे क्या हो गया? इतना जाबांज और नटखट छैले की तरह बात कर रहा था वह, अब क्या हो गया? यार तुम उसके दोस्त हो। जाओ और उसे सम्हालो। टीना को इस वक्त तरुण के पास होना चाहिए था। वह पगली तरुण को ऐसे वक्त में क्यों छोड़ कर चली गयी? तुम क्या कर रहे हो? जाओ अपने दोस्त को सांत्वना दो। उसके पास बैठो, उसको गले लगाओ।"
तब मैंने अपनी पत्नी को अपनी बाँहों में लेते हुए कहा, "देखो आज होली है। आज आनंद का त्यौहार है। तुम क्यों परेशान हो रही हो? हाँ, यह सही है की हमें तरुण को अपने प्यार से शांत करना चाहिए। पर तरुण मेरे ढाढस देने से शांत नहीं होगा। वह तुम्हें इतना चाहता है तुम्हारी खूबसूरती, सेक्सीपन और अक्ल पर इतना फ़िदा है और तुम्हारी इतनी रेस्पेक्ट करता है पर वह तुम से भी नहीं माना तो मेरे कहने से वह थोड़े ही मानेगा? ऐसे वक्त में तो एक पत्नी ही पति को अपना शारीरिक प्रेम देकर शांत कर सकती है। मैं कुछ नहीं कर सकता। तुम्हारी टीना वाली बात बिलकुल सही है।"
दीपा ने मेरी और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा और पूछा, "कौनसी बात?"
मैंने कहा, "इस वक्त टीना को यहां तरुण के पास होना चाहिए था। अगर वह होती तो बेझिझक तरुण को अपनी बाँहों में ले लेती और उससे लिपट कर अपनी छाती में उसका सर छुपाकर अपने बूब्स तरुण के मुंह में दे देती, और उसे अपने बच्चे की तरह अपना दूध चूसने देती, खूब प्यार करती और उसे समझा बुझा कर शांत करती। पर अफ़सोस वह पिछले पंद्रह दिन से यहां नहीं है। तरुण बेचारा वैसे ही पंद्रह दिनों से टीना के बगैर और स्त्री के संग के बगैर ब्रह्मचर्य रख कर तड़प रहा है। उसके जैसे वीर्यवान पुरुष के लिए इतने दिनों तक ब्रह्मचर्य रखना बहुत मुश्किल है। शायद इसी लिए उसने तुमको आज ज्यादा परेशान किया।"
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