RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण तुमसे प्यार करता है और तुम्हारी अक्ल और सूझबूझ की वह बड़ी इज्जत भी करता है। शायद यह अच्छा है की आज टीना यहां नहीं है, क्यूंकि वह तरुण को प्यार तो कर सकती है पर शायद ऐसे नहीं समझा पाती जैसे तुम उसे अपनी सूझ बुझ और प्यार से समझा सकती हो। अब यह तुम पर निर्भर है की तुम उसे प्यार देती हो या दुत्कार। तुम तो जानती हो तरुण तुम्हें बेतहाशा प्यार करता है। और तुम भी तो उसे प्यार करती हो।"
दीपा हैरानगी से मेरी और देखती रही। यह उसके लिए कांटे की बात थी। उसने कुछ झिझकते स्वर में कहा, "हाँ ठीक है, मैं भी उसे प्यार करती हूँ पर डार्लिंग, यह प्यार से कहीं आगे की बात है।"
मैंने दीपा का हाथ थाम कर उसे दबा कर कहा, "डार्लिंग, जब सच्चा और बेतहाशा प्यार होता है तो फिर उस प्यार से आगे कुछ नहीं होता। कहते हैं ना की जंग और प्यार में सब कुछ जायज है। प्यार का मतलब है एक दूसरे के गम को दूर करना और एक दूसरे को आनंद देना और लेना। जिस किसी भी तरीके से प्यार करने वाले आनंद लेना चाहें। मैं तुम्हारा पति हूँ और उस अधिकार से मैं कह रहा हूँ की अगर तुम्हें कोई एतराज नहीं है तो मैं तुम्हें कहता हूँ की तुम्हें उसे आनंद देना है और उससे आनंद लेना है। सबसे ज्यादा जरुरी प्यार है। चुदाई उत्कट प्यार का इजहार है, प्यार की अभिव्यक्ति है। वह उन्मत्त प्यार का परिणाम है। चुदाई प्यार से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। जब किसी से दिलो जान से प्यार होता है ना, तो आवेश के लम्हों में एक जवान वीर्यवान मर्द और एक खूबसूरत सेक्सी औरत में चुदाई का होना लाज़मी है। चुदाई हो ही जाती है। चुदाई होनी ही चाहिए, तभी तो प्यार की सच्ची ऊंचाई सामने आती है। चुदाई तो प्यार जताने का एक तरिका है। जब तुम उसे दिल खोल कर प्यार दोगी तो चुदाई तो होगी ही। जब चुदाई होगी तभी तो वह न सिर्फ तुम्हारे प्यार में खो जाएगा और शांत होगा, बल्कि वह अपने गम बिलकुल भूल जाएगा और एक बार फिर से हमारे कहने पर जिंदगी की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा। अगर प्यार करने वाले मर्द और औरत चुदाई के डर से दूर भागेंगे तो फिर प्यार कैसे होगा? चुदाई से प्यार की इज्जत बढ़ती है, कम नहीं होती।"
मैं मेरी बीबी के दिमाग में यह बात बार बार ठोकना चाहता था की वह चुदाई के डर से भागे नहीं। बल्कि वह चुदाई के लिए तैयार रहे। चुदाई को हँस कर स्वीकार करे। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "वह बिना किसी से शेयर किये पिछले पद्रह दिनसे यह भ्रह्म्चर्य का दर्द झेल रहा है। इसी लिए तरुण तुम्हारे प्रेम के लिए तड़पता रहता था और अभी भी तड़प रहा है। उस तड़प में वह तुम्हें चोदना जरूर चाहेगा। और मैं पक्का मानता हूँ की तुम्हें भी बड़े प्यार से तरुण से चुदवाना ही चाहिए। अगर मैं और तुम दोनों को इससे कोई एतराज नहीं हो तो फिर चुदवाने में गलत क्या है? बल्कि मैं भी तुम्हें तरुण के साथ और तरुण के सामने उसे देखते हुए चोदुँगा।"
मैं देख रहा था की दीपा मेरी बात ध्यान से सुन रही थी। उसने एक बार भी मेरी बात का विरोध नहीं किया जो दर्शाता था की वह भी मेरी बात से सहमत थी।
मैंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, "वह आज तक सिर्फ जब तक तुम्हारे साथ होता है तब तक सब कुछ भूल जाता है और ठीक रहता है। अगर उसे अभी तुम्हारा पूरा सहारा मिला और अगर तुमने उसे प्यार से चोदने दिया तो वह तुम्हारी सब बात मानेगा और सब ठीक हो जाएगा। वह तुमसे बहुत प्यार करता है। अगर तुमने उसे अपना प्यार देकर नहीं समझाया और अगर तुमने उसे प्यार से तुम्हें चोदने से रोका तो वह जरूर अपने आप पर कुछ पागलपन कर बैठेगा। कहीं वह पागलपन में अपनी जान ही ना खो बैठे। कहीं पागलपन में वह खुदकुशी ना कर बैठे। वह खतम हो जाएगा। और अगर ऐसा कुछ हुआ तो तुम अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाओगी।"
जब मैंने कहा की कहीं तरुण अपनी जान ही ना देदे या कहीं वह ख़ुदकुशी ही ना कर ले तो दीपा के चेहरे पर आतंक सा छा गया। वह बेचैन हो उठी। उसने कहा, "दीपक, क्या कह रहे हो? क्या तरुण इतना ज्यादा परेशान है? ख़ुदकुशी तक की नौबत आ गयी? "
फिर कुछ रुक कर बोली, "अब बात मेरी समझ में आयी। वह खुद बार बार कह रहा था की वह बहोत परेशान है और अपनी जान की भी उसे परवाह नहीं है; पर वह जब मेरे साथ रहता है तभी उसे सकून मिलता है। बापरे मुझे पता ही नहीं चला की बात यहाँ तक पहुँच गयी है।"
मैं समझ गया की अब तो समझो अपना काम हो गया। मैंने कहा, "दीपा पता नहीं तुम कैसे नहीं समझ पायी। वह पिछले पंद्रह दिनसे हमेशा कह रहा है की वह परेशान है। तुमने उसे लताड़ दिया था तो वह तुमसे मिल नहीं पा रहा था। उसीके कारण शायद उसका यह हाल हुआ है। कहीं तरुण ने कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो गजब हो जाएगा।"
दीपा बड़ी उलझन में पड़ गयी और बोली, "फिर दीपक तुम ही बताओ ना की मैं क्या करूँ?"
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