RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण ने दीपा के रस भरे होंठों को चूमते हुए कहा, "भाभी सच कहता हूँ, जब आप ने मुझे इतना सम्मान दिया है की आपने अपने आपको मेरे हवाले किया है और आप और दीपक मुझे इतना हौसला देते हो तो मुझे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। मैं मुसीबतों से लडूंगा और विजयी हूँगा। पर मुझे आपका साथ चाहिए।"
दीपा ने तरुण को चूमते हुए टूटेफूटे शब्दों में कहा, "तरुण, मैं और दीपक पराये नहीं हैं। दीपक भी तुम्हारे हैं और मैं भी तुम्हारी हूँ।" मेरी पत्नी और कुछ बोल नहीं पायी क्यूंकि उसके होंठ पर तरुण के होंठों ने कब्जा कर लिया था।
मेरे लिए यह एक अकल्पनीय द्रष्य था। मेरी रूढ़िवादी पत्नी मेरे प्रिय मित्र को लिपट कर किस कर रही थी। दीपा ने जब महसूस किया की तरुण उसकी जीभ को भी चूसना चाहता था तब दीपा ने तरुण के मुंह में अपनी जीभ को जाने दिया।
तरुण मेरी प्रिय पत्नी को ऐसे चुम्बन कर रहा था जैसे वह अब उसे नहीं छोड़ेगा। दीपा ने एक हाथ से मुझे पीछे से चिपकने का इशारा किया और फौरन, तरुण का सर अपनी हाथोँ में कस के पकड़ा और तरुण के होँठों को अपने होँठों पर और कसके दबाया और तरुण को बेतहाशा चुम्बन करने लग गयी।
तरुण ने सामने से और मैंने पीछे से दीपा को कस के अपनी बाँहों में जकड लिया। मेरी और तरुण की बाँहों के बिच में मेरी प्यारी दीपा जकड़ी हुई थी। हम दोनों दीपा को अपनी बाँहों में जकड़े हुए पलंग पर लेट गए। दीपा का मुंह तरुण की और था। मैं दीपा के पीछे लेटा था। दीपा और जोश से तरुण को चुम्बन करने लगी। तब तरुण और मेरी पत्नी ऐसे चुम्बन कर रहे थे जैसे दो प्रेमी सालों के बाद मिले हों। दीपा के दोनों हाथ तरुण के सर को जकड़े हुए थे। तरुण ने भी मेरी पत्नी को कमर से कस के अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था।
यह द्रष्य मेरे लिए एकदम उत्तेजित करने वाला था। मेरा लण्ड एकदम कड़क खड़ा हो गया था। मैंने दीपा को पीछे से मेरी बाहोँ में जकड़ा हुआ था। दीपा के गाउन के ऊपर से मेरी पत्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मैंने मसलना शुरू किया। हम तीनों पलंग पर लेटे हुए थे। मैंने फिर मेंरे कड़े लण्ड को मेरी पत्नी के गाउन ऊपर से उसकी गाँड़ में डालना चाहा। मैं उसे पीछे से धक्का दे रहा था। इस कारण वह तरुण में घुसी जा रही थी। तरुण पलंग के उस छौर पर पहुँच गया जहाँ दीवार थी और उसके लिए और पीछे खिसकना संभव नहीं था।
अचानक दीपा जोर से हँस पड़ी। उसे हँसते देख तरुण ने पूछा, "भाभीजी, क्या बात है? आप क्यों हंस रही हो?"
तब दीपा सहज रूप से बोल पड़ी, "तुम्हारे भैया मुझे पिछेसे धक्का दे रहे हैं। उनका कड़क लण्ड वह मेरे पिछवाड़े में घुसेड़ ने की कोशिश कर रहे है। इनकी हालत देख मुझे हंसी आ गयी।"
मैंने पहली बार मेरी रूढ़ि वादी पत्नी के मुंह से तरुण के सामने इतने सहज भाव से लण्ड शब्द का इस्तमाल करते हुए सुना। मुझे लगा की जीन और व्हिस्की की मिलावट के दो पुरे पेग पीनेसे अब मेरी बीबी बेफिक्र हो गयी थी। साथ में वह अब तरुण से पहले से काफी अधिक घनिष्ठता महसूस कर रही थी।
इसे सुनकर तरुण ने रिसियायी आवाज में कहा, "भाभीजी, एक बात कहूं? आपने अपने पति की हालत तो देखी पर मेरे हाल नहीं देखे। यह देखिये मेरा क्या हाल है?" ऐसा कहते ही दीपा को कोई मौका ना देते हुए तरुण ने दीपा का हाथ पकड़ कर अपने दोनों पांव के बीच अपने लण्ड पर रख दिया और ऊपर से दीपा के हाथ को जोरों से अपने लण्ड ऊपर दबाने लगा। मेरे पीछे से धक्का देने के कारण दीपा के बहुत कोशिश करने पर भी वह वहां से हाथ जब हटा नहीं पायी तब दीपा ने तरुण के लण्ड को अपने हाथों में पकड़ा। तरुण का पाजामा उस जगह पर चिकनाहट से भरा हुआ गिला हो चुका था। यह देख कर मैं ख़ुशी से पागल हो रहा था।
मैंने तब दीपा को पीछे से धक्का मारना बंद किया और मैं पीछे हट गया। अब दीपा चाहती तो अपना हाथ वहां से हटा सकती थी। परंतु मुझे यह दीख रहा था की दीपा ने अपना हाथ वहां ही रखा। वह शायद तरुण के लण्ड की लंबाई और मोटाई भाँप ने की कोशीश कर रही थी। तरुण के पाजामे के ऊपर से भी उसे तरुण के लंबे और मोटे लण्ड की पैमायश का अंदाज तो हो ही गया था।
मेरी प्यारी बीबी जब तरुण के लण्ड की पैमाइश कर रही थी तब अचानक ही उसके गाउन की ज़िप का लीवर मेरे हाथों लगा। मैंने कुछ न सोचते हुए उसे नीचे सरकाया और उसको दीपा की कमर तक ले गया।
उसके गाउन के दोनों पट खुल गए। दीपा ने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। जैसे ही गाउन के पट खुले और ज़िप कमर तक पहुँच गयी तो उसके दो बड़े बड़े अनार मेरे हाथों में आ गये। जैसे ही तरुण ने दीपा के नंगे स्तनों को देखा तो वह पागल सा हो गया। इन स्तनों को ब्लाउज के निचे दबे हुए वह कई बार चोरी चोरी देखता था। तरुण ने उनको अधखुले हुए भी देखा था। उस समय उसने सपने में भी यह सोचा नहीं होगा की एक समय वह उन मम्मों को कोई भी आवरण के बिना बिलकुल खुले हुए देख पायेगा।
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