RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
तरुण ने आगे बढ़कर दीपा को अपनी बाहों में लिया। तरुण ने अपने बदन से दीपा का नग्न बदन चिपका कर दीपा को कहा, "दीपा भाभी, आज मैं सौगंध खा कर कहता हूँ की मैंने इतनी सारी लडकियां और औरतें के बदन देखे हैं, पर आपका सा सेक्सी बदन मैंने नहीं देखा।"
दीपा ने शर्माते हुए धीमी दबी हुई कहा, "अच्छा जनाब? झूठ मत बोलो। तुम तो दीपक को कह रहे थे, मैं सुन्दर तो हूँ, पर टीना जैसी सेक्सी नहीं?"
दीपा की बात सुनकर तरुण आश्चर्य से मेरी और देखने लगा और बोला, "भाई, मैंने यह कब कहा? मैं यह सपने में भी नहीं कह सकता। भाभी, जिसे देख कर कोई भी मर्द का लण्ड खड़ा हो जाए और वह उसे चोदने के लिए बेचैन हो जाए उसीको सेक्सी कहते हैं। सेक्सी होना खूबसूरत होने से कहीं आगे है। टीना बेशक खूबसूरत और कुछ हद तक सेक्सी भी है, पर चाहे आप सीधी सी साडी पहनो चाहे जीन्स, आपको देख कर जो मेरे अंदर के हॉर्मोन्स कूदने लगते हैं ऐसा टीना के साथ कभी नहीं हुआ।"
मैं तरुण की बात सुनकर सकपका गया और बोला, "दीपा, मुझे माफ़ करना, तरुण ने ऐसा कभी नहीं कहा। वह तो तुम्हें बहकाने के लिए मैंने ही वह बात बना दी थी।"
दीपा ने टेढ़ी नजर कर मुझे कहा, "पता नहीं और भी कितनी सारी बातें तुमने मुझे उकसाने के लिए कही होंगी?"
उस रात मेरी शर्मीली पत्नी ने यह मन बना लिया था की आज वह मेरी और तरुण ख्वाहिश पूरी करेगी। वह तरुण की बाँहों में समां गयी और उस ने शर्म से अपनी आँखें झुका ली। तरुण को तो जैसे स्वर्ग मिल गया। वह अपने हाथोँ से दीपा के नंगे बदन को सहला रहा था। उसके दोनोँ हाथ दीपा के पीछे, उसकी रीढ़ की खाई में ऊपर नीचे हो रहे थे। कभी वह अपना हाथ दीपा के चूतड़ों के ऊपर रखता और दीपा की गाँड़ के गालों को दबाता, तो कभी अपनी उंगली को उस गाँड़ के होठों के बिच की दरार में डालता था। उसने मेरी पत्नीको इस हालात में देखने की कल्पना मात्र की थी। उसे यह मानना बड़ा अजीब लग रहा था की तब दीपा का वह बदन उसका होने वाला था।
तरुण नीचे झुक कर दीपा के पीछे गया। वह अपना सर ऊपर कर मेरी और देखते हुए बोला, "क्या मैं भाभी के कूल्हों को महसूस कर सकता हूँ? मैं कई महीनों से, जबसे मैंने दीपा भाभी को पहली बार देखा था तबसे इन कूल्हों को सहलाने के लिए तड़प रहा हूँ।"
दीपा पहले मुस्काई और फिर थोड़ा हीचकिचाते हुए मेरी और देखा। मैंने अपनी पलकें झुका और गर्दन हिला कर तरुण को अपनी अनुमति दे दी। तरुण ने अपने घुटनों पर बैठ कर तुरंत ही मेरी बीबी की सुडौल गाँड़ के दोनों गालों को चूमा और काफी देर तक चूमता ही रहा। दीपा की गाँड़ का घुमाव और उसकी वक्रता में तरुण अपनी जीभ घुसा कर उन्हें चूमने और अपने हाथों से सहलाने लगा। जब उसने दीपा की गाँड़ के छिद्र में अपनी जीभ घुसाई तो दीपा के बदन में कम्पन होने लगा। उस समय जरूर मेरी बीबी के सारे रोंगटे खड़े हो गए होंगे और सिहरन उसके पुरे बदन में फ़ैल गयी होगी, क्यूंकि मैं महसूस कर रहा था की वह मारे रोमांच के काँप रही थी।
मैं उन दोनो की और आगे बढ़ा। मैंने धीरे से तरुण को मेरी बीबी के बिलकुल सामने खड़ा किया और दीपा का हाथ तरुण की टांगों के बिच में रखा और उसके लण्ड को हिलाने के लिए उसे प्रेरित किया। दीपा मेरा इशारा समझ गयी और तरुण के लण्ड को उसके पाजामे के उपरसे सहलाने लगी। मैं धीरे से तरुण के पीछे गया और अपना हाथ तरुण की कमर के आसपास लपेटते हुए तरुण के पाजामे का नाड़ा मैंने खोल दिया।
तरुण पागल हुआ जा रहा था। जैसे ही उसका पाजामा फर्श पर गिरा तो उसका लंबा और मोटा लण्ड हवा में लहराने लगा। वह एकदम कड़क हो चूका था। वह बिलकुल बिना झुके अपना सर उठा के खड़ा हुआ था। ऐसे लग रहा था जैसे वह दीपा की चूत की और जाने को मचल रहा था। तरुण के नंगे होते ही दीपा की आँखें तरुण का लण्ड देख कर फटी की फटी ही रह गयीं। जिस तरह तरुण का लण्ड जो उसके पाजामे में गोल घूम कर समाया हुआ था वह पाजामें का बंधन खुलते ही जैसे एक अजगर या बड़ा साँप अपनी टोकरी में से सर निकालते हुए बाहर निकल कर शान से अपना फ़न फैलाता हुआ अकड़ कर खड़ा होता है वैसे ही एकदम दीपा की चूत के सामने खड़ा हो गया। तरुण के लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर मेरी बीबी दो कदम पीछे हट गयी शायद उसे डर लगा की कहीं तरुण का इतना लंबा लण्ड इतनी दुरी से भी बिना कुछ जोर लगाए उसकी चूत में सीधा घुस ना जाए।
शायद उस समय पहली बार दीपा को तरुण के लण्ड की लम्बाई और मोटाई का सही सही अंदाज हुआ जो उसके पहले के अंदाज से कहीं ज्यादा चौंकाने वाला था। तरुण का लण्ड मेरे लण्ड से कहीं ज्यादा लंबा और मोटा भी था। जैसे ही तरुण का पाजामा नीचे गिरा दीपा का हाथ अनायास ही तरुण के लण्ड को छू गया। अब तक मेरी प्यारी बीबी ने कोई पराये मर्द का लण्ड देखा नहीं था। उसके लिए तो यह एक अजूबा सा था। इतना मोटा और लंबा लण्ड देख दीपा के चेहरे की भाव भंगिमा देखते ही बनती थी।
तरुण का लण्ड देखते ही बिना सोचे समझे दीपा के मुंह से आवाज निकल गयी, "बापरे! इतना बड़ा?" बोल कर वह चुप हो गयी। और कुछ बोल नहीं पायी।
दीपा ने तरुण का लण्ड देखने के बाद मेरी और देखा। मैं समझ गया की वह तरुण के लण्ड की लम्बाई और मोटाई, जो मेरे लण्ड से कहीं ज्यादा थी, से उत्तेजित हो रही थी। शायद उसे भी यह महसूस होगा की मैं भी यह देख कर छोटा महसूस ना करूँ।
तरुण का इतना तगड़ा लण्ड देखते ही मैंने देखा की अनायास ही मेरी बीबी ने अपनी दोनों टाँगे इकट्ठी कर लीं। वह क्या सोच रही थी, मैं उसकी कल्पना ही कर सकता था। शायद वह यह सोच रही होगी की कभी न कभी तो उस लण्ड को उसकी चूत में घुसना ही था। उस समय उसका क्या हाल होगा उसे कैसा महसूस होगा शायद वह यही सोच रही होगी। यह सोच कर थोड़ी देर के लिए दीपा जैसे ठिठक सी गयी। फिर दीपा ने से धीरे से तरुण का लण्ड अपने हाथ में लिया। वह अपनी मुठी में उसे पूरी तरह से ले न पायी, पर फिर भी उसने अपनी आधी मुठी से ही तरुण के लण्ड को सहलाना शुरू किया। वह शायद तरुण को कुछ सुकून देने के लिए उसके लण्ड को कुछ देर तक सहलाती रही।
तरुण ने वहां तक पहुँचने के लिए कितनी जहमत उठाई थी वह दीपा भली भाँती जानती थी। दीपा को पटाने के लिए तरुण ने क्या क्या नहीं किया? आखिर में जाकर उसने दीपा को पटा ही लिया।
तरुण का लण्ड हलकी सी रोशनी में भी चमक रहा था। तरुण की तरह उसका लण्ड भी गोरा था। उसकी पूरी गोलाई पर उसका पूर्व रस फैला हुआ था। चारों और से चिकनी मलाई फ़ैल जाने के कारण वह स्निग्ध दिख रहा था। सबसे खूबसूरत उसकी पूरी लंबाई पर बिछी हुयी रगें थीं। उसकी गोरी चमड़ी पर थोड़ी सी श्यामल रंग की नसोँ का जाल बिछा हुआ था। जिस वक्त दीपा ने तरुण का लण्ड अपने हाथ में लिया उसके लण्ड की चमड़ी के तले बिछी हुयी नसोँ में जैसे गरम खून का सैलाब फर्राटे मारता हुआ दौड़ने लगा। उसकी नसें फूल रही थीं। तरुण का लण्ड पूरी तरह अपनी चरम ताकत से खड़ा था।
तरुण के तने हुए लण्ड को देख दीपा के गाल एकदम लाल हो गए। उसे महसूस हुआ की वह अपने पति के मित्र के सामने नंग धड़ंग खड़ी थी और उसके पति का मित्र भी नंगा उसके सामने खड़ा था और अपने लंबे, मोटे लण्ड का प्रदर्शन कर रहा था। ऐसा वास्तव में हो सकेगा यह कभी उसने सोचा भी नहीं था। हाँ उसने कभी अपने सपने में ऐसा होने की उम्मीद जरूर की होगी।
दीपा के मुंह के भाव को तरुण समझ गया और उसने मेरी पत्नी को अपने आहोश में लेकर थोड़ा झुक कर पहले उसके गालोँ पर और फिर उसके होठों पर अपने होँठ रख दिए और वह दीपा को बेतहाशा चूमने लगा। दीपा को होठों पर चूमते चूमते थोड़ा और झुक कर तरुण दीपा के स्तनों को भी चूमने और चाटने लगा। दीपा से उसका जी नहीं भर रहा था।
मेरी निष्ठावान पत्नी भी तरुण से लिपट गयी और उसके होठों को चूसने और चूमने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे उसे अपनी कितने सालों की प्यास बुझाने का मौका मिल गया था। मेरी पत्नी और मेरा ख़ास दोस्त अब मेरे ही सामने एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए एक दूसरे को चुम्बन कर रहे थे जैसे काफी अरसे के बाद मिलन के लिए तड़पते हुए वह पति पत्नी या घनिष्ठ प्रेमी हों।
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