RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मैं उन दोनों को देखता ही रहा। उस वक्त कुछ क्षणों के लिए मेरे मनमे जरा सा ईर्ष्या का भाव आया। इस तरह का उन्मत्त चुम्बन करने के बाद, जब मेरी पत्नी ने मेरी और देखा तो वह मेरे मन के भावों को ताड़ गयी। वह तुरंत तरुण की बाँहों में से निकल कर मेरे पास आयी और मुझे अपनी बाँहों में लेने के लिए मेरी और देखने लगी।
मैंने तुरंत ही उसे अपनी बाहों में लिया, तब उसने तरुण भी सुन सके ऐसे कहा, "अपनी बीबी को किसी और मर्द की बाँहों में देख कर कुछ जलन सी हो रही है ना?"
मैं चुप रहा तो दीपा बोली, "यही तो मैं आपको समझाने की कशिश कर रही थी। मर्दों के लिए पत्नी को किसी गैर मर्द के साथ बाँटना उनके अहम् को आहत करता है, क्यूंकि वह अपनी पत्नी पर एक तरह से अधिपत्य यानी मालिकाना भाव रखते हैं। वैसी औरतों को कुछ हद तक ऐसा मालिकाना भाव अच्छा भी लगता है, पर सिर्फ कुछ हद तक। हालांकि आप में यह मालिकाना भाव उतना ज्यादा नहीं है। ठीक होता अगर आप मुझे और तरुण को एक दूसरे के करीबी जातीय संपर्क में आने के लिए ना उकसाते। पर यकीन मानो अगर आप ने यह किया है तो इससे कुछ नहीं बदलेगा। आप मेरे सर्वस्व हैं और हमेशा रहेंगे। आज कुछ भी हो जाए, मैं आप की ही हूँ और हमेशा रहूंगी। मैं आप के बिना अधूरी हूँ और आपके बिना रहने का सोच भी नहीं सकती। आप दुनिया के सर्वोत्तम पति हो यह मैं निसंकोच कह सकती हूँ।
आज मैं यह मानती हूँ की मेरे मन में तरुण के प्रति जातीय आकर्षण था। आपने भी शायद इसे भाँप लिया था। आप मुझे हमेशा तरुण के साथ सेक्स करने का अनुभव करने के लिए कहते रहे और उकसाते रहे। मैं उसका विरोध करती रही। आखिर में आपने और तरुण ने मिलकर मेरे तरुण के प्रति जातीय भाव को इतना भड़का दिया की मैं तरुण से चुदवाने के लिए तैयार हो गयी। आज रात आपने मेरे और तरुण के शारीरिक सम्भोग की व्यवस्था करही दी, और मुझे भी इतने सारे तिकड़म कर तैयार कर ही दिया। आपने जो किया वह आप नहीं करते तो मैं आज ऐसे यहाँ ना होती। यदि आप मुझे इसके लिये मजबूर न करते तो मैं कभी तरुण को अपने बदन को छूने भी नहीं देती। आज जो भी हो, मैं आपकी थी, आपकी हूँ और हमेशा आपकी रहूंगी। इसको कोई भी व्यक्ति बदल नहीं सकता।"
तरुण ने दीपा की बात सुनी और उसे अपने आहोश में लेते हुए तरुण ने मेरी और देखा और बोला, "दीपक, मैं ना कहता था की मेरी भाभी जितनी खूबसूरत और सेक्सी भी है उतनी ही समझदार भी है? कई औरतें जिनको मैंने चोदा, वह मुझसे शादी तक करने के लिए तैयार हो जाती थीं। पर भाभी ने आज एक मर्यादा की रेखा खिंच दी है और मैं उसका सम्मान करता हूँ। अब दीपा भाभी ने मन बना ही लिया है तो मुझे उनकी चमचागिरी करने की कोई जरुरत नहीं पर मैं यह कहना चाहता हूँ की आप बहुत ही खुशनसीब हो की आप को दीपा भाभी जैसी बीबी मिली। वह मेरी भाभी है और आप की बीबी है। मैंने तो उन्हें एक रात के लिए आप से उधार मांगा है।"
दीपा ने तब तरुण की और टेढ़ी नज़रों से देखा और पट से कहा, "क्यों भाई, जब तुम दोनों ने मुझे फँसा ही दिया है तो फिर एक रात के लिए ही क्यों? कहते हैं ना की खून एक करो या दस, फाँसी तो एक ही बार मिलनी है। तो फिर एक बार क्यों? अब तो तीर कमान से निकल चुका है। अब तो मैं जब मर्जी चाहे तरुण से चुदवाउंगी। मेरे पति को मुझे इसकी इजाजत देनी पड़ेगी।"
तरुण दीपा की बात सुनकर हँस पड़ा और बोला, "ना भाभी ना। आप तो टेम्पररी की बात कर रहे हो, मैं तो भैया को यह कहूंगा की अगर भगवान ना करे और आपकी और भाभी की लड़ाई हो जाए और ऐसी नौबत आ जाये की आप दोनों को तलाक़ लेना पड़े तो भाभी, मेरा खुला आमंत्रण है की आप दीपक को छोड़ मेरे साथ शादी कर लेना, मैं टीना को तलाक़ दे कर आपसे शादी करने के लिए तैयार हूँ।"
दीपा भी ताव में आ कर धीरे से बोली, "तरुण, यह शादी तलाक के चक्कर छोडो। तुम्हारा जब मन करे तुम आ जाना और हमारे साथ रहना। दीपक ना भी हो तो रात को चुपचाप आ जाना। सुबह होने से पहले चले जाना। तुम्ही ने तो कहा था ना की मैं तुम में और दीपक में फर्क ना समझूँ? तुम भी टीना में और मुझ में फर्क ना समझना। जब दीपक मुझसे ऊब जाएँ या जब तुम टीना से ऊब जाओ तब तुम मेरे पास आ जाना और दीपक को मैं टीना के पास भेज दूंगी। तलाक़ जैसी फ़ालतू चीज़ों के लफड़े में पड़ने की क्या जरुरत है? फिर जब तुम्हारा मन मुझसे भर जाए और दीपक का मन टीना से भर जाए तब वापस आ जाना।"
तरुण ने तालियां बजाते हुए कहा, "वाह मेरी भाभी वाह! क्या दिमाग पाया है? देखो भाई, कितना सटीक हल निकाला है भाभी ने? साला ऐसा आईडिया अपुन के दिमाग नहीं आया?" तरुण की सराहना सुनकर मेरी बीबी ने गर्व से सर ऊंचा कर मेरी और देखा।
दीपा ने पूछा, "पर तरुण सच सच बताना। तुमने मुझे पटाने का फैसला कब किया? मैं वैसे तो किसीके बातों में नहीं आने वाली थी। मैं तो पहले से ही मेरी मोरालिटी क बारे में एकदम स्ट्रिक्ट थी। पता नहीं मैंने क्या देख तुम में? शायद तुम्हारी सच्चाई मुझे भाई। तुम गलत काम भी करते थे तो सच्चाई से करते थे। दीपक ने तो बताया ही होगा, मेरे बारे में। तो फिर तुमने मुझमें क्या बात देखि, की ऐसे मेरे पीछे ही पड़ गए?"
तरुण ने कुछ पल के लिए दीपा का हाथ पकड़ा और दबाया और बोला, "भाभीजी, सच बताऊँ? मैं आपके बारेमें काफी जान गया था। भाई ने भी बताया था की आप तो बिलकुल रूखे हो। पर भाभी, जब पहली बार मैंने आपसे बात की तो मैं समझ गया, की आप का ह्रदय बड़ा कोमल और साफ़ है। आपकी हँसी मेरे जिगर को छू गयी और आपकी सेक्सी फिगर और खूबसूरती ने मुझे मजबूर कर दिया।"
तरुण की बात सुनकर दीपा बोली, "ठीक है तरुण। अब मेरे पति को भी तैयार करो यार।"
तरुण मेरे पीछे आया और एक झटके में ही मेरे पाजामे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरा दिया। मैंने भी मेरा कुरता निकाल फेंका और मैं भी दीपा और तरुण जैसे ही नंगा हो गया। मेरे नंगे होते ही मेरा लण्ड अपने बंधन में से बाहर कूद पड़ा। वह अकड़ कर खड़ा था और मेरी पत्नी की चूत को चूमने के लिए उतावला हो ऐसे उसकी दिशा में इंगित कर रहा था। दीपा ने अपने नित्य चुदसखा को अपने हाथ में लिया और उसे बड़े प्यार से सहलाने लगी।
मैंने दीपा को तरुण की और धकेला और जब दोनों एक साथ हुए तो उनको एक धक्का मार कर पलंग के ऊपर गिराया। गिरते हुए तरुण ने मेरी बाँह पकड़ी और मुझे भी अपने साथ खिंच लीया। हम तीनों धड़ाम से पलंग पर गिरे। मैं अपनी निष्ठावान और शर्मीली पत्नी को मेरे ही घनिष्ठ मित्र की बाहों मेरी मर्जी ही नहीं, मेरे आग्रह से नंगा लिपटते हुए देख उन्मादित हो गया।
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