RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
मेरी बीबी समझ गयी की तरुण कहना चाहता था की दीपा के छोटे से चूत के छिद्र में तरुण का इतना मोटा और लंबा लण्ड कैसे घुसेगा? वह तो खुद ही इस विचार से पहले से ही परेशान हो रही थी। मेरे छोटे से लण्ड को लेने में भी दीपा को दिक्कत होती थी, तो तरुण का लण्ड कैसे घुसा पाएगी यह शंका उसे मारे जा रही थी।
खैर उस समय तो दीपा का पूरा ध्यान तरुण की उंगली पर था जो दीपा की चूत में खेल रही थीं। मैं तो जानता था की मेरी पत्नी को सेक्स के लिए तैयार करने का इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं था। जब दीपा को चुदवाने के लिए तैयार करना होता था, तब मैं उसकी चूत में प्यार से अपनी एक उंगली डाल कर उसकी चूत के होठ को अंदर से धीरे धीरे रगड़ कर उसे चुदवाने के लिए मजबूर कर देता था। तरुण के उंगली डालने से जब दीपा छटपटाई तो तरुण भी यह तरकीब समझ गया। वह बड़े प्यार से मेरी बीबी की चूत में अपनी उंगली को वह जगह रगड़ रहा था जहाँ पर रगड़ने से दीपा एकदम पागल सी होकर चुदवाने के लिए बेबस हो जाती थी।
दीपा की बेबसी अब देखते ही बनती थी। तरुण के लगातार क्लाइटोरिस पर उंगली रगड़ते रहने से दीपा कामुकता भरी आवाज में कराहने लगी। जैसे जैसे दीपा की छटपटाहट और कामातुर आवाजें बढती गयी, तरुण अपनी उंगली उतनी ही ज्यादा फुर्ती से और रगड़ने लगा। मेरी कामातुर पत्नी तब तरुण से चुदवाने के लिए तरुण का हाथ पकड़ कर कहने लगी, "तरुण, यार यह मत करो। मैं पागल हुयी जा रही हूँ। मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही। देखो, मैं पहले ही जान गयी थी की तुम कई महीनों से मुझे चोदने के लिए मेरे पीछे पड़े हुए थे। मुझे चोदने के लिए तुमने क्या क्या पापड नहीं बेले? अब मैं तुम्हें आह्वान कर यहीं हूँ की जल्दी आओ, जल्दी मुझ पर चढ़ जाओ और प्लीज मेरी चुदाई करो।"
पर तरुण तो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उस रात जैसे उसने ठान ली थी की अब तो वह दीपा को अपनी कामाङ्गिनी बना कर ही छोड़ेगा। वह दीपा को इतना उत्तेजित करेगा की दीपा आगे भी महीनों तक तरुण से चुदवाने के लिए तड़पती रहे। तरुण के उंगली चोदन से दीपा अपने आपको सम्हाल नहीं पा रही थी। दीपा की साँसे जैसे फुफकार मार रही थी। दीपा के मुंह से सतत आह... ओह... की कराहटें निकल रहीं थीं। बेड पर वह अपने कूल्हों को उछाल के फिर पटक रही थी।
उसके दिल की धड़कन की रफ़्तार तेज हो गयी। मैं जान गया के अब मेरी बीबी झड़ने वाली है। वह कामुकता के चरम पर पहुँच रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने स्तनोँ को चूसने और मलने के लिए इशारा करने लगी। तरुण ने जब यह देखा तो उसने एक हाथ से दीपा के दूध दबाने शुरू कर दिए। मैं भी उसके दूसरे स्तन पर चिपक गया और उसे चूसने और जोर से दबाने लगा। उस समय न सिर्फ मेरी बीबी, किन्तु हम तीनों कामुकता की ज्वाला में जल रहे थे। दीपा तब झड़ने वाली थी।
फिर एक कराह और एक आह्ह की सिसकारी छोड़ते हुए दीपा एकदम शिथिल होकर बिस्तर पर ढेर हो गयी। अब उसकी साँसें भी धीमी हो गयी। करीब पांच मिनट तक तरुण की ऊँगली से चुदने पर कामान्धता की चरम पर पहुँच ने के बाद उन्माद भरे नशे का वह जैसे आस्वादन कर रही थी। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे गले में अपनी बाहों के माला डाली और मेरे होठों से होंठ मिलाकर बिना बोले उन्हें चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस नए अनुभव करवानेके लिए वह मेरे प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शा रही थी।
थोड़ी देर बाद मेरी प्यारी पत्नी बैठी और मेरी और तरुण को और देख कर बोली, "दीपक और तरुण। अब तक तुम दोनों ने मुझे खुश किया, अब मेरी बारी है। पर पहले जाओ और अपना लण्ड अच्छी तरह साफ़ कर लाओ।" हम समझ गए की दीपा हमारा लण्ड चूमना और चूसना चाहती थी। मेरा लण्ड तो ठीक पर वह तरुण का लण्ड चूसना चाहती थी। खैर हम दोनों फटाफट बाथरूम में गए और पहले तरुण ने और फिर मैंने वाश बेसिन में खड़े हो कर अपने अपने लंड साफ़ किये। तरुण तो इतना उत्तेजित हो गया था की वह बार बार मुझे कह रहा था, "भाई आज दीपा भाभी ने मेरे लंड को चूसने का ऑफर दिया है। भाई क्या भाभी आपका लण्ड भी चुस्ती रहती है? क्या उन्हें लण्ड चूसना अच्छा लगता है?"
मैं क्या कहता? दीपा को मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। पहले जब जब मैं उसे कहता तो बड़ा मुंह बना कर कभी कभी वह चूसती थी। पर हाँ एक बार अगर उसने चूसना शुरू किया तो फिर तो वह मेरा छूट ना जाये तब तक लगी रहती थी। मैंने तरुण को अपना सर हिला कर "हाँ" का इशारा किया।"
दीपा के पास वापस पहुँचते ही दीपा ने हम दोनों को फर्श पर खड़ा किया और खुद अपने घुटनों को मोड़ कर अपने कूल्हों पर बैठ गयी। इस पोज़ में वह एकदम सेक्स की देवी लग रही थी। उसके उन्मत्त उरोज उसकी छाती पर ऐसे फैले थे जैसे गुलाबी रंग के दो गुब्बारे उसकी छाती पर चिपका दिये हों। दीपा के स्तन एकदम उन्मत्त और गुब्बारे की तरह फुले हुए थे। जाहिर है की मेरा और तरुण का लण्ड पुरे तनाव में था। दीपा ने मेरी और देखा और हम दोनों का लण्ड अपने दोनों हाथों में लेकर धीरे धीरे सहलाने लगी। हालांकि हम दोनों का लण्ड उसके हाथोँ में था, मैं देख रहा था की उसका ध्यान तरुण के मोटे और लंबे लण्ड पर ज्यादा था। उसका इतना तना हुआ अकड़ा, मोटा और लंबा लण्ड को हाथ में पकड़ कर मुझसे नजरें बचा कर वह उसे घूर घूर कर देखती रहती थी।
थोड़ा सा सहलाने के बाद दीपा ने मेरे लण्ड को अपने होठ से चूमा और अपनी जीभ से मेरे लण्ड पर फैले हुए मेरे रस को चाटा और धीरे से उसके अग्र भाग को अपने होठों के बिच लिया। मेरे लण्ड के छोटे से हिस्से को मुंह में लेकर वह उसको ऊपर नीचे अपनी जीभ से रगड़ ने लगी। जब मेरी बीबी ज्यादा कामातुर हो जाती थी तो मुझे कभी कभी यह लाभ मिलता था। वरना मुझे ही उसे बार बार पूछना पड़ता था की क्या वह मेरा लण्ड चूसेगी? और ज्यादातर वह टाल देती थी। मेरी सात साल की शादी के जीवन में यह शायद तीसरा या चौथा मौका था जब मेरी बीबी ने मुझे अपने आप मेरे बिना कहे मेरा लण्ड चूसने की यह सेवा दी थी। उधर वह दूसरे हाथ से तरुण के लण्ड को आराम से सहलाये जा रही थी।
|