RE: Desi Porn Stories बीबी की चाहत
थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसने के बाद दीपा ने अपना मुंह तरुण के लण्ड की और किया। धीरे से तरुण की और नजर उठाते हुए दीपा ने तरुण के लण्ड को भी मेरी ही तरह चाटने लगी। तरुण स्तंभित होकर देखता ही रह गया। जब दीपा तरुण के लण्ड को चुम रही थी और चाट रही थी तब तरुण दीपा के सर के बालों को अपने हाथ में ले कर उनको सँवार रहा था और कभी कभी हाथ को नीचा कर दीपा के गले, गाल, कपाल और आँखों पर फिरा कर अपनी उत्तेजना दिखा रहा था।
उसकी स्वप्न सुंदरी आज उसके लण्ड का चुम्बन कर रही थी और उसे चूस रही थी यह उसके लिए अकल्पनीय सा था। दीपा ने धीरे धीरे तरुण को लण्ड को मुंह में डालने की कोशिश की। पर उसका मुंह इतना खुल नहीं पा रहा था। तब दीपा ने तरुण के लण्ड के सिर्फ अग्र भाग को थोड़ा सा मुंह में डाला और उसे चूमने एवं चाटने लगी। धीरे धीरे वह उसमें इतनी मग्न हो गयी की तरुण के लण्ड को वह बार बार चूमने लगी और जैसे वह उसे छोड़ना ही नहीं चाह रही थी। तरुण के लिए यह बड़ी मुश्किल की घडी थी। वह उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रहा था। उसी उत्तेजना में उसने दीपा का सर हाथ में लेकर अपना मोटा और लंबा लण्ड दीपा के मुंह में घुसेड़ दिया।
उतना मोटा और लंबा लण्ड दीपा के मुंह में जैसे घुसा की दीपा की हालत खराब हो गयी। तरुण का लण्ड दीपा के गले तक घुस गया था और दीपा को खांसी आने लगी थी। शायद उसकी साँसे रुंध रहीं थीं। मेरी प्यारी पत्नी की आँखें लाल हो गयीं थीं। उनमें पानी भर गया दिख रहा था। दीपा के गाल तरुण का लण्ड दीपा के मुंह में घुसने के कारण फूल गए थे। उस गाल के आकार से ही अंदाज लगाया जा सकता था की तरुण का लण्ड कितना मोटा होगा। और तब वह तीन चौथाई से कहीं ज्यादा तो दीपा के मुंह से बाहर था। जब दीपा की साँस रुंधने लगी तब तरुण ने अपना लण्ड दीपा के मुंह से बाहर निकालना चाहा। पर दीपा ने तरुण को रोका और बस थोड़ा सा बाहर निकालने दिया ताकि वह साँस ले सके।
दीपा को यह भी ध्यान रखना था की दीपा के दाँत कहीं तरुण के लण्ड को काटें नहीं। कुछ देर बाद जब दीपा की साँस ठीक चलने लगी तब दीपा ने अपना मुंह आगे पीछे कर अपने मुंह को तरुण के लण्ड से चुदवाने लगी। दीपा के मुंह को चोदते हुए कुछ ही देर में तरुण का बदन एकदम अकड़ गया। वह अपने आप को रोक नहीं पाया और एक आह्हः... के साथ उसके लण्ड में से फव्वारा छूटा और उसका वीर्य निकल पड़ा और मेरी सुन्दर नग्न पत्नी के मुंह को पूरा भर कर उसके नंगे बदन पर गिरा और फ़ैल गया। तब मैं मेरी बीबी के स्तनों को मेरे दोनों हाथो से दबा रहा था। तरुण का गरमा गरम वीर्य मेरे हाथों को छुआ और मेरी बीबी के स्तनों पर जैसे कोई मलाई फैली हो ऐसे फ़ैल गया। वह मलाई धीरे धीरे और भी नीचे टपकने लगी। पता नहीं कितना माल तरुण ने मेरी बीबी के मुंह में भर डाला था।
तरुण के वीर्य स्खलन होने पर मैंने देखा तो दीपा थोड़ी सी सकुचायी या निराश सी लग रही थी। उसने मेरी और देखा। मैं समझ गया की शायद उसे इसलिए निराशा हो रही होगी की अब तरुण तो झड़ गया। अब वह उसे चोद नहीं पायेगा। मैं धीरेसे दीपा के कान के पास गया और उसके कान में बोला, "डार्लिंग, निराश न हो। वह थोड़े ही अपनी पत्नी को चोदने जा रहा है, जो थक जाएगा या ऊब जाएगा? वह तो उसकी प्रेमिका को चोदने जा रहा है। यही तो अंतर है पत्नी और प्रेमिका में। प्रेमिका के लिए उसका लण्ड हमेशा खड़ा रहेगा। उलटा एक बार झड़ जानेसे उसका स्टैमिना और बढ़ जायेगा। तरुण अब तुम्हें आसानी से नहीं छोड़ेगा। वह अब तुम्हे दोगुना जोर से चोदेगा। उसके अंडकोष के अंदर तुम्हारे लिए पता नहीं कितना और माल भरा है।"
मेरी इतने खुले से ऐसा कहने पर मेरी शर्मीली बीबी शर्म से लाल हो गयी।
तरुण हमारी काना फूसि देखरहा था। वह धीरेसे बोला, "कहीं तुम मियां बीबी मुझे फंसाने को कोई प्रोग्राम तो नहीं बना रहे हो ना?"
तब दीपा अनायास ही बोल पड़ी, "हम तुम्हे क्या फंसायेंगे? तुम दोनों ने मिलकर तो आज मुझे फंसा दिया। "
पर अब दीपा को मेरी और से कोई संकोच नहीं रहा। दीपा ने तरुण को अपनी बाँहों में लिया और उसके होठों पर चुबन की एक चुस्की लेकर अपने स्तनों को तरुण के मुंह में डाल दिया। वह उसे अपने मम्मो को चुसवाना चाहती थी। जैसे ही तरुण ने मेरी बीबी के मम्मो को चूसना शुरूकिया तो दीपा के बदन में जोश भर गया और उसने अपने मुंह में मेरा लण्ड लिया। वह मुझे यह महसूस नहीं होने देना चाहता थी, की वह मुझे भूलकर तरुण के पीछे लग गयी है। मैं भी दीपा का सर पकड़ कर उस के मुंह को चोदने लगा। मुझे आज उसके मुंह को चोदने में बहुत आनंद आ रहा था, क्योंकि आज मैं अपनी पत्नी की मुंह चुदाई मेरे मित्र के सामने कर रहा था।
थोड़ी ही देर मैं मैं भी अपने जोश पर नियंत्रण नहीं रख पाया। मेरे मुंह से एक आह सी निकल गयी और मैंने मेरी बीबी के मुंह में अपना सारा वीर्य छोड़ दिया। दीपा तरुण के वीर्य का स्वाद तो जानती ही थी। मेरी पत्नी मेरा वीर्य भी पहले ही की तरह निगल गयी। मेरे इतने सालों के वैवाहिक जीवन में यह पहली बार हुआ की मेरी बीबी मेरे वीर्य को निगल गयी हो। तब तक जब भी कोई ऐसा बिरला मौका होता था जब दीपा मेर लण्ड को अपने मुंह में डालती थी तो या तो मैं थोड़ी देर के बाद मेरा लण्ड निकाल लेता था, या फिर मेरी बीबी मुझे मुंह में मेरा वीर्य नहीं छोड़ने की हिदायत देती थी। वह दिन मेरे लिए ऐतिहासिक था।
तरुण और मैं हम दोनों ही दीपा के इस भाव प्रदर्शन से आश्चर्यचकित हो गए थे। मैं बता नहीं सकता की जब घरेलु, रूढ़िवादी समझी जानेवाली और समाज के कड़क बंधनों में पली अपनी बीबी को मेरे कहने पर सारी शर्मोहया को ताक पर रख कर इस तरह सेक्स में हमें उन्मादक आनंद देने के लिए कटिबद्ध होते देख कर एक पति को कितना उन्मादक आनंद मिलता है। मैंने भी तय किया की मैं और तरुण मिलकर मेरी पत्नी को सेक्स का ऐसे उन्मादअनुभव कराएंगे जो उसने पहले कभी नहीं किया हो। मैंने तरुण के कानों में बोला, "क्यों न हम दीपा को अब सेक्स का ऐसा अनुभव कराएं जो उसने पहले कभी किया ना हो?"
तरुण ने मेरी और देखा और मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर सख्ती से पकड़ा और बोला, "मैं तुमसे पूरी तरह सहमत हूँ। मेरा भी उसमें एक स्वार्थ है। मैं भी दीपा को सेक्स की पराकाष्ठा पर ले जाना चाहता हूँ, जिससे वह मुझसे दुबारा सेक्स करने को इच्छुक हो। पर उसके लिए तुम्हारी अनुमति भी आवश्यक है।"
|