RE: RajSharma Sex Stories कुमकुम
' पर्णिक आपादमस्तक-कांप उठा।
'क्या तुम्हारी पूजनीय माता ने तुम्हें यही आदेश दिया है कि तुम स्वदेश रक्षा के अभिमान से ग्रस्त होकर, सुदूर से आए हुए अतिथि का, जिसका कोई दूषित उद्देश्य नहीं—निरादर करो? नायक यह तुम्हारा घर है, यहां तुम्हें सभी सुविधायें प्राप्त हैं....हैं न?'
'हम विदेशी हैं, नाना प्रकार के कष्ट झेलते हुए हम यहां, तुम्हारे देश में तुम्हारे पास तक आये हैं—और तुम हमें ठुकरा रहे हो। क्या यही तुम्हारी माता का सदुपदेश है?'
'..........।' पर्णिक धर्म-संकट में पड़ गया।
अपनी माता का आक्षेप, वह सहन नहीं कर सकता था। वह स्तब्ध हो उठा, आर्य सम्राट की बात सुनकर।
'बोलो तुम्हारा क्या विचार है ?' पूछा आर्य सम्राट ने।
'मैं आपका साथ दे सकता हूं।'
'दे सकते हो। वीर युवक, तुम्हारा अभिनंदन करता हूं मैं...।'
'परन्तु एक शर्त पर।
'वह क्या...?' सम्राट ने पूछा।
'वह यह कि आपको मुझे कृपाण युद्ध करना होगा।'
और पर्णिक ने कृपाण खींच ली। आर्य सम्राट युवक की स्फूर्ति देखकर आश्चर्यचकित हो गये। आज तक किसी व्यक्ति ने उनसे इस प्रकार निर्भीकतापूर्वक बातें नहीं की थीं और न युद्ध में कोई आर्य सम्राट को ललकार ही सकता था।
पर्णिक की स्फूर्ति एवं उसका आवेश देखकर आर्य सम्राट को हँसी आ गई, स्वत: बुदबुदाये तो यह नादान युवक आर्य सम्राट का हसतकौशल देखना चाहता है? इसे कृपाण के दो-चार हाथ दिखा देने चाहिए।
उन्होंने अपनी कृपाण खींच ली, परन्तु कुछ ही क्षणों में उन्हें ज्ञात हो गया कि किरातों की उस क्षुद्र टोली का नायक वास्तव में समस्त आर्य सेना का नायक होने की योग्यता रखता है।
वे चकित हो उठे, उस किरात युवक का अद्भुत पराक्रम देखकर। 'आज तुमने आर्य सेना के सर्वश्रेष्ठ वीर का मानमर्दन किया है, वीर युवक सम्राट ने कहा - 'मैं तुम्हें आर्य सेना का सेनाध्यक्ष नियुक्त करता हूं।'
'परन्तु यह पद मैं तभी स्वीकार कर सकता है, आर्य सम्राट! जबकि आप मुझे यह आश्वासन दें कि हमारी मान-मर्यादा पर कुठाराघात न करेंगे।'
'विश्वास को पैरों तले रौंदकर अपना मार्ग में संकीर्ण नहीं बनाना चाहता वीर युवक मैं तुम्हें आश्वासन देता हूं।'
'तो मुझे स्वीकार है।' किरात समुदाय के जयघोष से आकाशमंडल गूंज उठा।
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