RE: RajSharma Sex Stories कुमकुम
नायक आपसे यह जानना चाहता है आर्य सम्राट ! कि आपने इस रहस्यमयी कन्दरा में आने का दुस्साहस क्यों किया...?' धेनुक ने युवराज की आज्ञा पाकर आर्य सम्राट से पूछा।
'दुष्कर ही के लिए तो दुस्साहस किया जाता है।'
'धन्यवाद।' युवराज बोले-'परन्तु आपका यह दुस्साहस सराहनीय नहीं।'
'तुम्हारा मतलब?' युवराज की ओर अभिमुख हो सम्राट ने पूछा।
आर्य सम्राट युवराज से सम्मानपूर्वक बातचीत नहीं कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने युवराज को सेनापति मात्र समझ रखा था, जम्बूद्वीप का युवराज नहीं।
'मेरा मतलब यह है श्रीमान् कि यदि आपको यह मालूम होता कि यह कंदरा बहत भयानक है, यदि आप यह जानते होते कि यहां की चप्पा-चप्पा भूमि रहस्यमयी कलाओं से युक्त है—तो कदाचित् आप यहां पधारने का कष्ट न करते...।'
'अभी तुम्हें आर्य सम्राट की निर्भयता का पता नहीं है, नायक'
'जान चुका हूं श्रीमान्। आर्य सम्राट का शौर्य दो युद्धों से प्रकाश में आ गया है।' युवराज का व्यंग्य सुनकर आर्य सम्राट हतप्रभ से हो गये।
'जब तक वर्तमान युद्ध का अंत नहीं हो जाता, तब तक श्रीमान् अपने को बंदी समझें...।' युवराज संयत वाणी में बोले।
'बंदी!' क्रोध से चिल्ला उठे आर्य सम्राट।
'हाँ।'
'मुझे बंदी बनाओगे? इतना साहस है तुममें। पहले तुमने मेरा अपमान किया, अब बंदी बनाना चाहते हो? एक क्षुद्र सेना नायक होकर एक सम्राट की अवज्ञा करना महान अपराध है।'
"जिसे आप केवल क्षुद्र सेनानायक समझ रहे हैं...।' धेनुक बोला—'वे हैं जम्बूद्वीप के भावी सम्राट स्वयं युवराज नारिकेल...?'
आर्य सम्राट मानो आकाश से गिरे, क्योंकि युवराज की वीरता की कहानी बे मध्य अशांत महाद्वीप में ही सुन चुके हैं।
युवराज ने बगल में हाथ बढ़ाया और न जाने क्या किया कि कंदरा के सामने वाली दीवार से एक बड़ी-सी चट्टान आकर बीच सुरंग में रुक गई। सुरंग का मार्ग बंद हो गया।
जब आर्य सम्राट चैतन्य हुए तो उन्होंने देखा कि युवराज और धेनुक जा चुके थे और वह द्वार भी लुप्त हो गया था, जहां वे दोनों खड़े थे।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|