RE: RajSharma Sex Stories कुमकुम
पंद्रह
यह पर्णिक के ही बुद्धि चातुर्य का परिणाम था कि आर्य सेना अब तक युद्ध में संलग्न थी।
आर्य-सम्राट तिग्मांशु का विलुप्त होना अत्यंत सावधानीपूर्वक गोपनीय रखा गया था। केवल दो-चार गुप्तचरों एवं स्वयं पर्णिक के अतिरिक्त आर्य सेना का कोई व्यक्ति आर्यसम्राट के विलुप्त होने की बात नहीं जानता।
इस समय भी आर्य-सेना पूर्ण वेग से आक्रमण-प्रत्याक्रमण कर रही थी। समरांगण में रक्त की सरिता प्रवाहित हो रही थी। प्रत्येक सैनिक अपने विपक्षी पर विजय पाने की आशा से ओत प्रोत था।
एक सुंदर अश्व पर आसीन् पर्णिक अतीव चतुरतापूर्वक आर्य सेना का संचालन कर रहा था।
द्रविड़ सेना का नामधारी संचालक धेनुक, क्रोधोन्मत्त होकर तीक्ष्ण कृपाण से शत्रु का मान मर्दन कर रहा था।
उसका अतुलित पराक्रम देखकर द्रविड़ सैनिक उत्साहित होकर शत्रुओं का प्रबल आक्रमण कर रहे थे।
पर्णिक को महान् आश्चर्य हुआ, द्रविड़ों की उस छोटी-सी सेना को विकराल आर्य सेना से सफलतापूर्वक युद्ध करते हुए अवलोकन कर। साथ ही उसे क्रोध भी हो आया, धेनुक का प्रलव सदृश सहारा देखकर।
'सावधान विपक्षी के संचालक उसने गर्जन किया।
'आर्य सेना के संचालक को विदित हो...।' धेनक बोला—'कि मझ जैसे क्षद्र सैनिक को संचालक कहकर अपने उस महान् व्यक्ति का अपमान किया है, जो द्रविड़ सेना का वास्तविक संचालक है...धेनुक इस अपमान का प्रतिशोध लेने को तत्पर है।'
"आ जाओ। आज पर्णिक का भी हस्त-कौशल देख लो....मैं देखना चाहता है कि द्रविड़ सेना का यह गुप्त संचालक है कौन? मैं प्रण करता हूं, आज मैं वह प्रलयवर्षा करूंगा कि बाध्य होकर उस गुप्त संचालक को युद्ध भूमि में आना ही होगा।'
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