RE: kamukta Kaamdev ki Leela
रिमी अपनी कमरे में अपनी सेलफोन में गाने कम सुन रही थी और अपने दीदी और भइया के बारे में ज़्यादा सोच रही थी! खास करके नमिता दीदी के बारे में। उनकी चाल बार बार उसे याद आने लगी और उसे शक होने लगी के कहीं भइया और उनके बीच कुछ....
इस सोच से ही वोह कांप उठी। नहीं नहीं यह भला कैसे हो सकता है? एक भाई और बहन के बीच में! यह चिंता कम थी और नाराजगी ज़्यादा थी के राहुल ने कभी ऐसे नजर से उसे क्यों नहीं देखी आज तक! अपनी बेचैन मन को लिए वोह आइने के सामने खड़ी ही गई और अपने आप को देखने लगी, वजन कुछ खास नहीं थी क्योंकि ज़्यादा खती तो थी और यह डायट वियट ने उसे ऐसा करने भी नहीं दी थी, लेकिन फिर फिर आम जैसे स्तन और उसकी पतली हेरोइन जैसे कमर किसी की भी पागल कर सकती थी।
मंजरा यह था कि उसे कॉम्प्लेक्स इस बात की थी के नमिता दीदी काफी आकर्षित लगती थी उसके मुकाबले क्योंकि उनकी स्तन, कमर और नितम्ब काफी सुडौल और लाजवाब शेप में थी। उसे यकीन होगाई थी के राहुल के लिए उसके दीदी के आकर्षित और मनमोहक होने के कहीं बजाय है!
खैर, आइने के सामने खड़ी रही और हाथों से अपनी स्तन को टीशर्ट के ऊपर से ही माप करने लगी और जैसे जैसे माप करती गई वैसे वैसे मन में अपनी और दीदी के उर्जो को तुलना करने लगी। "उफ़! मेरे तो उनके आधे भी नहीं है! यह भइया ने ज़रूर कुछ किए है उन्हें उस दिन ऊपर स्टोर रूम में!! उन्हें लगा मुझे समझ में नहीं आयेगा! यह दोनों भी ना! लेकिन हां! दीदी के उभार बारे ही मस्त है! मोटे मोटे! और उनकी नितम्ब! उफ्फ!"
इसी कॉम्प्लेक्स में मायूस होके वोह अपनी इर्द गिर्द माप करने लगी के तभी उसकी शक्ल आइने में बदलने लगी। रिमी परेशान और हैरान होने लगी और बस चिल्लाने ही वाली थी के आइने में शक्ल गजोधरी की ही जाती है ही खिलखिला उठी। उसकी हसीं देखकर रिमी हैरानी से उसकी और देखने लगी।
रिमी : कौन हो तुम?????? यह कैसे क्या...
गजोधरी : घबराओ मत, तुम्हे जो चाहिए तुम्हे मिलेगा! अपने दीदी में यूं नाराज़ ना रहो पुत्री!
रिमी : वन सेक! मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रही है!! हूं द हेल अर यू???? क्या चाहती ही आप!
गजोधरी : तुम बेफिक्र रह सकती हो! आओ मेरे नज़दीक आओ!
कुछ आकर्षन सी थी उसकी बूलाव में के रिमी अपनी चेहरा और नज़दीक लाती गई और नज़दीक आने में गजोधरी अपनी चेहरा थोड़ी और आइने से बाहर लाती हुई अपनी रसीली लबों को रिमी के लबों के साथ जोर देती है। उफ़! एक सिहरन दौड़ गई रिमी की जिस्म से जैसे ही उस औरत का रसपान हुई। यह पहली दफा थी के उसकी फूल की पांखुरी जैसे लबों को किसी ने स्पर्श की थी, और वोह भी एक औरत।
चूमती गई, चूसती गई, एक एक कतरे को पिती गई गजोधरी, और हैरांजनक रिमी भी उसकी चेहरे को अपनी हाथो में थाम लेती है और चुम्बन का साथ देने लगी। हौले हौले धीरे धीरे, जैसे दो लेहर एक दूसरे से टकराए। अगर आइने के बंदिश ना होती तो ऐसा भी होने का संभावना थी के यह दोनों एक दूसरे पे टूट भी सकती थी!
गजोधरी और रिमी दोनों अब बहुत धीरे से अलग होते है जिससे दोनो के लबों के बीच की लाली भी चिपचिपे नजर आई। आइने में से अब गजोधरी गायब हो गई लेकिन हैरान रिमी तो अब भी थी। उसने अपनी नज़रों को अपनी चेहरे की और फिराया तो देखी के उसकी होंठों की लालिमा और ज़्यादा आ गई थी और मज़े की बात यह थी के उसकी चेहरे एक दम खिल उठी।
अचानक कुछ ऐसा हुआ के उसकी स्तन के इर्द गिर्द एक अजीब दर्द होने लगी। कुछ ज़्यादा तो नहीं लेकिन कुछ अंजना सा एक छोटी हॉकी सी पैन। रिमी को थोड़ी दिक्कत होने लगी और अपनी बिस्तर पर लेट गई एक टेडी बीर को कस के जकड़ी हुई। "ओह गॉड! यह दर्द कैसा!!!" उसकी सिसकी जैसे शब्द निकल ही रही थी के अचानक उसकी टेडी बीर कुछ आगे की तरफ सरक रही थी!
रिमी की तो आंखें बरी ही गई!
सासें रुक गई!
उसकी आंखें नीचे की तरफ गई और बस!
टीशर्ट में कैद आम अब अब दुगने माप के हो चुके थे!
नहीं नहीं! यह हों नहीं सकता! यह सब कैसे!!! यह कब!! रिमी के पास अल्फजो की कमी होने लगी और कुछ भी समझ नहीं आ रही थी उसे। झट से वोह आइने के सामने खड़ी हो गई और अपनी स्तन पे नज़र डाली तो मुंह खुली के खुली रह गई। आम से परिवर्तित होक अब मधम साइज के नारियल बान चुके थे, जिस वजह से टीशर्ट भी आगे से टाईट लगने लगी।
रिमी की आंखें हैरानी से कम और चमत्कारी के एहसास से ज़्यादा बरी ही गई थी। यह किसी कुदरती चमत्कार से कम नहीं थी, और कुछ पल पहले जी भी आइने और उसके दरमियान हुआ, वोह भी कुछ अजीब ही थी! कैसे वोह अनजाने औरत ने उसे चूमा था। कैसे उसकी लबों का रसपान कर रही थी। यह एहसास से रिमी अपनी लबों पर उंगलियां फिराने लगी, इतनी लालिमा थी के मानो कोई ग्लोस लगाई ही।
अपनी आप को एक फ्लाइं किस देने लगी रिमी और खुद बा खुद खीखिला उठी। एक नया कॉन्फिडेंस आ गई थी उसमें! कुछ ऐसा के वोह खुद राहुल भइया को अपनी और आसानी से आकर्षित कर सकती थी। अपनी टाइट टीशर्ट पर गुमान करती हुई वोह गुनगुनाती हुई कमरे से बाहर निकालने सीधा अपनी भाई की कमरे कि और जाने लगी।
वहा दूसरे और राहुल के नैनो से नींद और चैन दोनों गायब था। स्टोर रूम में हुए गए हर एक लम्हा उसके मन में अभी भी उथल पुथल मचा रहा था। नमिता दीदी के जिस्म के स्पर्श से स्वार्थ दर्शन तो हुए ही! ऊपर से संभोग का पहला तजुरबा भी हुआ था। असाया उसके हाथ अपने लिंग की और जाने लगा और वहीं ट्राउजर के ऊपर से ही हिलाने लगा। उफ़ उसके दीदी की तस्वीर मन में आने लगी।
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