RE: kamukta Kaamdev ki Leela
शाम को कॉलेज के बाद, पास के ही खंडर में रुके, राहुल मीनल के साथ गुलचर्रे उड़ने लगा हमेशा की तरह। दोनों के होंठ आपस में रगड़ने लगे और जैसे राहुल अपने हाथ उसकी पपीतों तक लेके आया, तो फटक से मीनल उसके हाथो को वहीं के वहीं रोक देती है "में तेय्यार नहीं हूं अभी भी! सोरी डियर!" एक मासूम चेहरा लिए मीनल मुस्कुराई। राहुल ने कुछ दिल पे नहीं लिया, क्योंकि संभोग तो पिछले दिनों में काफी हो चुका था, लेकिन मज़े की बात यह थी के, मीनल के लिए प्यार दिल से था! किसी भी कीमत पे वोह मीनल को खोना नहीं चाहता था। "कोई बात नही बेबी! यह सुर्ख होंठ ही काफी है मेरे लिए!" इतना कहना था के उसके होंठ वापस जुड़ हाए मीनल से।
बेतहाशा चूमने के बाद, गीले होंठ अलग हुए एक दूसरे से और राहुल एक आखरी लाली भी तुरंत चाट लेता है। उसके हरकत से हमेशा को तरह मीनल शरमा जाती है "धत! बेशरम कहीं के!" उसकी मासूमियत पर राहुल भी मुस्कुराने लगा और घर के तरफ निकल गया, उसने गौर नहीं किया था के उसके ट्राउजर के पॉकेट में एक चिट्ठी मीनल ने चुपके से रखी थी।
खैर, जल्द से जल्द घर की चौखट पर पहिचकर, सारे के सारे खिड़कियों को अंधेरे me देखकर आश्चर्य हुआ। तुरंत वोह दरवाज़े की और गया, और जैसे ही अंदर प्रवेश हुआ तो पूरा घर अंधेरा में कायम था। "यह क्या चक्कर है!" इससे पहले उसका हाथ उपर स्विच तक पहुंच पाता, एक झटके में सारे के सारे लाइट ऑन हो जाते है और तालियों के गूंज चारो और "हैप्पी बर्थडे राहुल!!!!"। सब के सब सदस्य वहीं रुके थे, चेहरे पर मुस्कुरहट और बेशुमार खुशी।
"आजा मेरे लाल!" कहके यशोधा देवी आगे गई और पोते के माथे को चूमने लगी, फिर कान में प्यार से शहद घोल दी "इससे ज़्यादा कुछ मत मांग! सब यही है!" हस्ते हस्ते यशोधा वह वापस जा रही थी, के राहुल ने फटक से उनका हाथ पकड़कर वहीं रुका दिया "अरे दादी! जो बात अपने मुझे बताई! ज़रा सबको तो बताना!"। यशोधा देवी की कदम वहीं रुक गई, धड़कने तेज हो गई "क्या बोलूं???" क्या कह राहा है तू?"। बदमाशी के साथ राहुल वहीं खड़े खड़े, मुस्कुराते हुए ज़ोर आवाज़ में बोलने लगा "दादी ने मुझे एक अनमोल उपहार दिया है! वोह भी कल रात को ही! क्यों दादी?"
यशोधा देवी संकट में अागई, लेकिन पिछले कुछ दिनों में वोह इतनी कामुक हो गई थी, के अब खेल खेलना शौक हो चुकी थी। "तू अगर शैतान है! तो में भी तेरी दादी हूं!"। फिर हुआ यू के रमोला भी राहुल का साथ देने लगी "माजी! ऐसा क्या दिया आपने! बताइए तो!। महेश भी साथ देने लगी "अरे मा! कौन सा ऐसा गिफ्ट है, जिसके लिए आपने रात को तकलीफ़ ली??"।
वहा दूसरे और रिमी की धड़कन तेज होने लगी, और चुपके से नमिता दीदी की कान में फुसफुसाई "कहीं दादी ने भइया के साथ??" नमिता की रोंगटे खड़े हो गए "व्हाट?? नो वे! कुछ भी मत बोल!" बाजू में खड़ी रेवती ने सब सुन ली, उसकी दिल जोरो से धार्कने लगी "ओह माय गॉड! दादी? नो! नो वे!"। तीनों लड़कियों कुछ बोली नहीं बस हैरानी से देखने लगी कि किस रोमांचक अंदाज़ से अचानक यशोधा हसने लगी "ओह!!! मेरे लाल! वोह गिफ्ट?? अरे वोह तो खास तेरे लिए था!"
रात की दास्तां को याद करते हुए यशोधा वहीं सब के सामने अपनी जिस्म में मीठी मीठी एहसास महसूस हुई, वहीं के वहीं अपनी होंठ दबाई बोल परी "क्या दादी पोते को रात में कोई गिफ्ट वगैरा नहीं दे सकती!!" मासूम सजके मनमानी करके वोह बोल परी। "दादी ने मुझे वोह अनमोल टोफा दिया, जिसका मै बेसब्री से चाहता था!" कहके राहुल जाके अपने दादी का हाथ थामा ओर चूम लिया। यशोधा के जी में आई के वहीं पोते को वापस बाहों में जकड़ ले और अपने वासना का इजहार सब के सामने करले! लेकिन काश यह इतना आसान होता।
"अरे कुछ खास नहीं! वोह दरअसल....... एक पप्पी मिली थी मुझे! राहुल बेटे के तरफ से! ईश!" शर्माकर। वोह ऐसे बोल परी जैसे अपने पहले प्यार के ख़त का खुलासा हुआ हो! "नोटी दादी!!!! और क्या क्या किया भइया के साथ!" रिमी भी मैदान में अगायी। "माजी! आप इतना क्यों शरमा रही हो?" रमोला हैरानी से पूछने लगी तो यशोधा मन में बोल परी "अरे कल्मुई! मेरे पोते ने इतना कुछ किया! के मै किया किया बॉलू तुम लोगो को! हाय!!!!! सोचकर ही गीली हो रही हूं!"
राहुल मैदान में हथियार थामे खड़ा हो गया "दादी पप्पी से बरकर भी कुछ दिया था मुझे! लेकिन शर्मा रही है!" अब चाल पे चाल चलता गया राहुल और दादी तो बेचारी अब क्या करती! बता देती के कैसे रात भर बाहों में बाहों और लिंग योनि का मिलाप किया था! पसीना माथे पर थी, लेकिन गीलापन नीचे ले तरफ थी, यह दशा थी यशोधा देवी की। ।
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