RE: kamukta Kaamdev ki Leela
रामधीर से अब रहा नहीं गया! उन्होंने फौरन ब्लाउस में कैद कबूतरों को मसलने लगा, हौले से, प्यार से। स्तन दबोच जाने से आशा की मुंह से सिसकारियां भरी मीठी मीठी वाणी निकल गई। इस वक्त वोह बस अपनी ससुर की बाहों में रहना चाहती थी। अपने आप ही उसके हाथ रामधीर की पीठ पर कस लिए और इस बार वोह खुद अपनी रसीले लबों को अपने ससुर से जोड़ दी, जिसे देख यशोधा को प्रेम वासना भारी जलन हुई, वोह केवल वासना भरी नजर से सामने देखती गई और हाथो को अपने पपीते जैसे स्तन पर कायम रखा।
रामधीर अपनी बहू की रसपान करने में मगन हो गई और साथ साथ अब ब्लाउस के बटनों को खोलने में व्यस्त हो गए। एक बटन के खुल जाने पे आशा की धड़कन तेज तेज दौड़ने लगी। अपनी होंठो को दबाए उसने केवल अपनी आंखे बंद की थी और बहू के स्तन कसायाई देखकर यशोधा स्वयंम अपनी ब्लाउस के अंदर हाथ घुसेड़ के सफेद ब्रा के ऊपर से पपीतों को मसलने लगी पागलों की तरह। वासना का तापमान बड़ रहा था, लेकिन केवल अंदर का ही दृश्य मनमोहक थी, ऐसा नहीं था दोस्तों! कमरे के बिलकुल चौखट पे चुप चाप एक लड़की अपनी पूरी पैंटी और शोर्ट्स घुटनों तक करके अपनी मुनिया को मसल रही थी, और साथ साथ हथेली को मुंह तक लेके गई, ताकि दुनिया को अपनी बेबसी ना ऐलान कर सके! यह लड़की कोई और नहीं बल्कि रिमी थी।
अंदर होते हुए दृश्य को हजम करना काफी मुश्किल थी एक ऐसे लड़की के लिए, जो पिछले कुछ दिनों से इतना कामुक हो उठी थी के अपने भाई से भी सम्बन्ध बना ली थी! और अब अपने ही मा को अपने दादा के साथ इस तरह देखें, पूरी जिस्म में एक भयंकर खुमारी छा गई थी, जो संभाल पाना काफी कठिन होने वाली है रिमी के लिए। खैर, बार बार उसके दादाजी उसके मा को दबोच लेते, उतनी बार वोह बेचैरित अपनी थूक से सने उंगलियां नीचे की और ले जाती। ब्लू फिल्मे देखना तो एक और बात थी, लेकिन परिवार में ऐसी वासना जनक माहौल को देखना एक और बात थी!
रिमी आगे आगे देखती गई और वहा दूसरे और रामधीर अब अपने कुत्ते को निकाकर फेंक देता है और हैरान जनक, उन्होंने कोई बनियान नहीं पहना था और उनका चौदा बालों से घने छाती सीधा आशा के नज़रों के सामने आ गया। यह वहीं छाती था जिसके गंध आशा अक्सर बनियान से सुंगती थी और आज वही पसिनेदार छाती उसकी आंखो के सामने खुले आम। उत्तेजित होकर वोह ससुर के छाती पर अपनी नाक को रगड़ ने लगी, जिसे देख यशोधा बहुत कमुक हो उठी, इतना मात्रा में, के वोह खुद कुर्सी से उठ गई और अब निर्वस्त्र होने में मगन हो गई।
कामवासना का तापमान इतना बड़ गया था के सारी, ब्लाउस और पेटिकोट तक उतार दी फेंकी थी। अपनी भरी भरकम शरीर को यशोधा नग्न करके उसे एक अजीब सुकून मिली, सच पूछिए तो कमरे की हवाओं से और उनकी जिस्म महक उठी और पूर्ण बेशर्मी से जब वोह मटक मटक कर आगे गई और बिस्तर के बिकुक करीब रुक गई, कमर पर हाथो को थामे। इस दृश्य को देखे रिमी की योनि इतनी गंगा जमुना बहाने लगी, के नीचे टाइल्स अब चिकना होने लगा। "ओह माय गॉड!!! दादी???" उसे यकीन नहीं हो रही थी के याहोधा देवी पूर्ण नग्न खड़ी थी बिस्तर के बिल्कुल सामने, जहा उनके पति अपने ही बहू को जी भर कर भोग रहे थे।
"आओ! आओ मेरे आगोश में बहू!" रामधीर अब आशा की ब्लाउस पूर्ण उतार फेंक देती है, जिससे शर्म और हया की एक और दीवार भी टूट गई और फिर जैसे ही शर्म से आशा की नज़रों थोड़ी सी बाजू में मुड़ी, तो उसकी रूह कांप उठी अपनी सांस को पूर्ण नग्न अवस्था में देखकर "माजी!!!?? यह आप...."। लेकिन वासना से भरी मन और जिस्म लिए यशोधा इतनी आंधी हो गई के उनकी हाथ अपने आप ही अपने बहू के गाल पर उठ गई "साली कुतीया!!! बहुत बात कर रही है!! चुप!"।
आशा की आंखे नम हो गई "माजी?"
"चुप!!! मेरे पति को चैन से भोगने दें! जब गान्ड मतकई यहां से वहा फिरती थी उनके सामने से, तब सोचना चाहाई था!!!" एक हुंकार मारती हुई यशोधा बोल परी।
आशा और रिमी, दोनों के दिल कांप उठे! ना जाने किसकी आत्मा घुस चुकी थी इस कोमल सी बूढ़ी औरत के अंदर के वासना के इस मुकाम पर लाकर खड़ी की थी खुदको! गाल पर तमाचा मिलते ही आशा मायूस हो गई और इस बहाने रामधीर उसे नीचे लेटा देता है और आंखो के इर्द गिर्द चूमने लगा, साथ साथ अब ब्रा का भी मुक्त होने का समय आगाय। उंगलियां पीछे स्ट्रैप से खेलने लगे और आशा की सासे तेज़ हो गई। अब बरी थी लंगोट मिया की, जो सीधा रामधीर ने शरीर से अलग करके नीचे टाइल्स की और फेंक दिया।
फिर एक एक वस्त्र आशा के त्याग होने लगे! पेटिकोट से लेके ब्रा तक।
अब दृश्य कमरे में बेहद कामुक था, दो साठ साल के पति पत्नी अपने ही बहू की साथ पूर्ण नग्न अवस्था में प्रिमलीला के मज़े ले रहे थे और बाहर रिमी की थूक और उंगली का मिलन कभी नहीं रुक पाई। वोह हर घरी अपनी मुनिया को मारने लगी, मसलने लगी और खुरेड़ने लगी "आह!!!! उफ्फ!!! यह सब...ओह गॉड!!" उसकी सिसकियां रुके नहीं रुक रही थी। आज माहौल बेहद रंगीन थी।
अब हुआ यू के, आशा के मुख्य दुआर में घुसने के लिए रामधीर पागल होने लगा और ऐसे में यशोधा खुद अपने पति के लिंग को जकड़ लेती है "आय जी! यह तो लोहा के तरह सकत हो गया है! एक मिनिट!" इतना कहने के बाद, उन्होंने कामदेव के तस्वीर के नीचे रखे आरती की थाली ली और वहा से कुछ सिंदूर लिए अपने पति के लिंग और बहू के नग्न योनि पर फिरा दी "जय कामदेव! जय कामदेव!" की रट भी लगाई हुई थी। "उफ्फ भाग्यवान! कुछ भी कहो, बहू की जिस्म तो लाजवाब है!" रामधीर ऊपर से नीचे आशा को तारने लगे, जिससे हुआ यह के यशोधा घुस्से में नाटक करती हुई बोल परी "जाइए जी! एक ज़माने में, में भी ऐसी ही थी, लेकिन अब मोटी हो गई हूं! तो आपको बहू भा गई!!"
एक रोने के पोज लिए यशोधा नाटक करने लगी, उनकी चौड़ी हो गई पहले से ही चौड़ी स्तन देखें रिमी अपनी योनि को कस के ऐसे दबोच ली, के उसकी घुटनों पे अब कमजोरी आने लगी और वोह उसी चिकने टाइल्स पर छूटने टिकाए बैठी, आगे देखती गई।
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