RE: kamukta Kaamdev ki Leela
उपर स्वर्ग में पूरी रात की दास्तां लाइव टेलीकास्ट हुआ था कामदेव और रती की मेहल मै। दोनों उत्तेजित तरीके से एक दूसरे को देखने लगे!
कामदेव : सच में बहुत कामुक स्तिथि थी कल रात को!
रती : बिल्कुल प्रभु! ओह! कैसे एक इतनी उम्र की औरत अपने ही बहू को अपने पति के साथ जुड़ा ली!
कामदेव : सच कह रही हो प्रियतमा! यह यशोधा देवी तो सचमुच बेहद कामुक और नटखट निकली। खैर! कामुकता तो हर इंसान के रग रग में है! क्यों सच कह रहा हूं ना?
रती : (बाहों में बाहें डाले) आप जो बोले, सत्यवचन है प्रभु! सच पूछिए तो इतना कामुक सीन देखने के बाद, मै खुद कामुक होता जैसे शब्द पर और ज़्यादा गर्व करने लगी हूं! (कामदेव के छाती प पर सर रखे) लेकिन प्रभु! मुझे अब राहुल की भवहिस्या जानने में बेहद दिलचस्पी है। इस लड़के का क्या होगा?
कामदेव : (रती के बालों पर हाथ फेरता हुआ) तुम्हारा उत्कसुख रखना लाजमी है! अब राहुल कामुकता की नदी में उतर चुका है! अब इसका वापस लौटना मुश्किल है! धीरे धीरे वोह सब को आगोश में लेलेगा! (मुस्कुराता हुआ) अब चलिए आगे आगे देखते है क्या होता है!
रती : (होंठो को दबाए) जी प्रभु! मुझे और भी देखना है! क्या क्या होते है इस घर में!
चलिए हम भी चलते है नीचे धरती की तरफ!
.......
सुबह सुबह हमेशा की तरह चिड़िया चेहक उठी और एक लम्बी अंगराई लिए आशा अपनी नींद से जाग उठी। आंखे खोलते ही जब आस पास देखी, तो बुरी तरह शर्मा गई, क्योंकि दूसरे तरफ लेटा था उसका ससुर रामधीर, जैसे कोई थका लेटा हुआ सांड हो, जो पूरी रात अपने गाई का खुदाई या खेत जुटाई में व्यस्त था। फिर एक नजर आशा ने अपने हुलिए की और गौर की तो अपनी पूरी नग्न जिस्म की उपर के हिस्से पे हर जगह प्रेम के छाप महसूस की! चाहे वोह उसकी मोटी मोटी स्तन हो, या गले और गाल हो! हर हिस्से पे एक लव बाइट के नाम पे खरोच मौजूद था रामधीर का दिया हुआ।
बेसंकोच बोह पूर्ण नग्न अवस्था प में उठ गई और सेधा आइने के सामने खड़ी हो गई, ताकि अपनी जिस्म मै लगे हर बाइट को गौर से देख रके। "हाई राम! यह बाबूजी तो सच में सांड निकले! यह गालों और स्तन पर दाग लिए, मै भला कैसे निकलूंगा कमरे से!!" आशा की मन तो थोड़ी सी चिंतित ज़रूर थी, लेकिन जिस्म तृप्त हो चुकी थी रात के खुदाई के बाद। उसकी नज़र अपने आप ही अपनी मोटी मोटी स्तन पे गई जो पहले से थोड़ी और सूझ गई थी, मसल जाने के कारन!
यूं तो ४० की थी, लेकिन आज २० की महसूस कर रही थी आशा, मानो इसे लगी के अंग अंग खिल उठी थी, रामधीर के कारन! फिर उसकी नज़र अपने गालों पर गई, जाहा उसने गौर किया के दोनों तरफ दांत के बैट्स मौजूद थे। इस एहसास से वोह शर्मा गई और जांघ पर फिर से गीलापन महसूस की "अब बच्चो को मुंह कैसे दिखाऊ! हाय राम!" लेकिन यह तो कुछ भी नहीं थी, जहा उसके योनि में गरमा गरम मलाई जाने का एहसास हुआ था!
अब क्या होगा! क्या सच में वोह गर्भ से होंगी? इस चुटकी भर सोच से ही आशा फिर शर्मा गई और बहुत ही खुशी छलक गई चेहरे पर, एक अजीब सी लहर दौड़ गई पूरी जिस्म मै, मानो नई नई दुल्हन हो! "हाई काश में मर जाऊ!!! यह सब क्या हो गया मेरे साथ! महेश हो सके तो मुझे माफ़ कर देना!" इतना कहना था के वोह फौरन अपने लिबाज़ उठाए अपनी कमरे कि और भाग गई।
थिरकते गांड़ लिए वोह कैसे भी हो अपने खुद की कमरे तक पहुंच जाती है और एक सुकून की सास ले ली, जब महेश को चैन से सोते हुए पाई। एक नॉरमल सी सारी और ब्लाउस लिए वोह अपने बाथरूम में घुस जाती है।
वहा दूसरे और हॉल मै अब चाई की चुस्की का वकत हो चुका था। सबसे पहले बैठी खुद यशोधा देवी, हाथ में चाई लिए और मज़े की बात यह थी के बाल डाई किया हुआ था और गालों पे हल्की सी लालिमा भी अाई थी, मानो कोई हल्का टच लगाया गया हो अनपे। यह सब राहुल के साथ रासलीला का नतीजा था, जो उन्हें जवान बनने पे मजबुर कर रही थी। जी में तो यह भी आती रही के काश वोह कुछ रेंग बिरंगी सारी पहने! लेकिन सफेद पुराने सारी पे डाई किया हुआ बाल, कुछ हद तक कामुक लगने लगी उन्हें।
रमोला अपने आस के बाजू में चाई लेकर बैठ जाती है और अपनी सास पे गौर करने लगी। सच में एक सुकून का भाव थी चेहरे पर और तो और यह गालों के लालिमा कुछ ज़्यादा नहीं थी? सच में इनकी उम्र के हिसाब से कछ ज़्यादा ही छलक रहे थे फूले हुए गालों पे। यूं तो यशोधा अख़बार में मगन थी, लेकिन ध्यान रमोला की और भी बरकरार थी "क्या हुआ बहू? ऐसे क्या देख रही हों?" चाई की चुस्की लिए वोह मुस्कुरा उठी। जवाब मै रमोला भी हल्के से मुस्कुराई "कुछ नहीं माजी! आप कुछ ज़्यादा ही खिली खिली लग रही है!"। यशोधा खुशी खुशी अख़बार को बाजू में रखती है और मन ही मन एक फैसला करने लगी, फिर मुस्कुराके रमोला की हाथ थाम लेती है "तू जानती है यह खुशी किस लिए है?"
रमोला आश्चर्य से अपने सास की और देखने लगी, मानो लाखो सवाल हो मन में, लेकिन फिर ना मै सर हिलाई। यशोधा ने उसके हाथ पर हाथ मल दिए और प्यार से बोली "यह हुआ है कामदेव के पूजा से! तुझे नहीं मालूम बहू, कुछ दिन पहले, रात को सपने में स्वयंम प्रभु कामदेव खुद आए हुए थे और मुझसे आदेश दी के अब से घर में उन्हीं की पूजा होनी चाहिए!" इतना कहना था कि वोह एक झलक अपने बहू को गौर से देखने लगी, जिसके चेहरे पर हैरानी झलक रही थी अभी भी "सच माजी?? ओह!"
यशोधा केवल मुस्कुराई और आगे आगे सुनाती गई "सपने में उन्होंने मुझे एक जरीबुटी दी, जिससे हुआ यू के पीने के बाद एक ताज़गी आती है जिस्म मै! देह तृप्त हो जाती है! और जवानी का आलम छाने लगती है! सच कह रही हूं बहू!"। रमोला की धड़कने तेज हो गई यह सुनके, वोह भी और उत्सुक हो गई सपने के डिटेल्स जानने के लिए "माजी, कैसे दिखते है प्रभु??"। यशोधा भी बहू की तरफ मुड़ जाती है और राहुल के मस्त जिस्म को याद करती हुई मुस्कुरा उठी "क्या कहूं बहू! एकदम जवान था! गठीला युवक! उफ़!"
रमोला : (उत्सुक होके) और बताइए माजी!
यशोधा देवी : आती सुंदर! बड़े प्यार से उन्होंने मुझे एक कटोरी दी (राहुल के लिंग को याद करके) उस कटोरी में एक बेहद मजेदार पदर्थ था! दूध मलाई के समान! (अपने पोते के सुपाड़े से निकले मलाई के याद में) बस फिर क्या! उस के रसपान से नतीजा यह हुए के तुझे मै इतनी खिली खिली लग रही हूं!
रमोला केवल तसव्वुर कर रही थी इन सब का, काश उसे यह पता होती की इन सब से भी बड़कर बहुत कुछ हुआ रहा उस रात को। काश उसे यह पता होती की कैसे राहुल ने अपने ही दादी को भोगा था और सच में कटोरी भर मलाई ही खिलाया था। वोह सोच ही रही थी के गौरव का बुलावा आता है और वोह उठ के, अपने कमरे की और जाने लगी।
यशोदा भी उठ जाती है और यूहीं घर में यहां वहा ठहलने लगी। ठहलते ठहलते, वोह राहुल के कमरे से गुजर ही रही थी के अचानक उनकी कदम वहीं के वहीं रुक जाती है।
यशोधा की नज़रे कमरे के हल्के खुले हुए दरवाज़े के उस पार टिक गई, जहा राहुल पूर्ण मगन होके अपने डंबल हाथ लिए वर्जिश कर रहा था। पसीने में लथपथ गठीले जिस्म को देखकर यशोधा वहीं के वहीं रुक गई और नज़रे अपने पोते पे जमाई रेखी। दुनिया से बेखबर राहुल अपने वर्जिश में लगा हुआ था और बार बार अपनी चौड़ी स्तन को फुलाए देखती गई "हाय! सच में मेरा पोते का जवाब नहीं!" उसकी सांसे तक फूल उठी और हाथ अपने आप अपनी पैरो कर दर्मिया चली गई।
जैसे जैसे राहुल पंप करने लगा, वैसे वैसे यशोधा अपनी फूली हुई योनि सारी के उपर से ही सेहलने लगी। वहा उनके पोते के मुंह से एक आह निकला और यहां उनकी लबों से भी अंहा निकली। राहुल के जिस्म को निहारती हुए एक बेबस बूढ़ी औरत वहीं के बही रुके, अपने जिस्म की इर्द गिर्द मसलने लगी और ऐसा करने पे बार बार खुद को और जवान महसूस करने लगी। उनकी होंठ थरथराए "राहुल! ओह राहुल बेटे!"। रमोला से कहीं गई बात गलत तो नहीं थी! उनका पोता सचमुच कामदेव का ही अवतार था। खैर, सीन का मज़ा लेते हुए यशोधा वहीं खड़ी थी के अचानक पीछे से "दादी!!"
यशोधा की दिल की धड़कन ज़ोर से कांप उठी, और वोह पीछे मुड़ गई।
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