RE: kamukta Kaamdev ki Leela
राहुल चिट्ठी को लिए अपने कमरे कि और जाने ही लगा के रास्ता रोक देती है नमिता! "जनाब कहा चले?"। राहुल के चेहरे पर असीम खुशी था और वोह अपने दीदी को बाहों में लेकर झूम उठा "मीनल की चिट्ठी है दीदी! लगता है अब शुभ घरी जल्द ही आयेगा!। वैसे दोस्तों, आप सब को बता दू के नमिता को अपने भाई और मीनल की रिश्ते के बारे में मालूम थी। नमिता उस चिट्ठी को लेती है और नज़ाकत के साथ पड़ने लगी :
________
राहुल!
प्यार के बारे मै जितना भी कहूं, कम है! और सच पूछो तो यह चोरी चूपी का खेल अब सता ने लगी मुझे! जितनी जल्दी हो सके, में चाहती हूं के अब हम एक अटूट बन्धन में जुड़ हाए!
अब जल्द से जल्द दोली लेके आना!
तुम्हारी मीनल!
________
चिट्ठी को पड़के, नमिता अपने भाई की तरफ देखने लगी और भोली बनने का नाटक करती हुई एक बलखाती नज़र से अपने भाई की और देखने लेगी "वैसे! दिखती कैसी है वोह! कभी बताया नहीं तूने" इतना कहना था के वोह अब राहुल के करीब आने लगी। राहुल भी खेल का पूरा साथ देता हुआ आगे की और जाने लगा "क्या जानना चाहती हो मेरी सेक्सी दीदी?"। नमिता की स्तन अब उसके भाई की छाती से केवल कुछ इंच दूरी पे थी और होंठ थे के जुड़ने के लिए बेताब हो रहे थे।
नमिता : क्या उसकी होंठ रसीले है? (होंठ दबाती हुई)
राहुल : (दीदी के होंठो पर एक उंगली फिरता हुआ) हा! काफी रसीले है!
नमिता : और उसकी स्तन और कूल्हे? (राहुल के हाथ को लिए अपने सुडौल कमर पर लगाई)
राहुल : (कमर को कस के दबा देता है) दीदी!!! उसकी कूल्हे तुमसे कम नहीं है! लेकिन तुम्हारे कुछ ज़्यादा ही गदराए हुए है!
नमिता : (अब अपने भाई की हाथो को अपने बग्लो पर रख देती है) और क्या यहां पर वोह तुझे आकर्षित लगती है??
राहुल जो पहले से ही नमिता के बगलो का दीवाना था, फिर एक बार अपने नाक को उस जगह पर धस लिया "हम! पता नहीं दीदी!! सुंगा नहीं कभी! लेकिन आप सा गंध ही होगा शायद!"। नमिता इस कथन से बहुत कामुक हो उठी और अपने भाई को कस ली अपने बगल मै "और सुंग राहुल! उफ़ मैंने तो आजकल वहा शैव भी नहीं कर रही हूं तेरे लिए! तू देख लेना एकुम आदिवासी औरतों कि तरह इसे और उगा दूंगी!!!"। ऐसी कामुक कथन के बाद अब राहुल बारी बरी दोनों बगल को सूंग्ने लगा "उफ्फ यह गंध मुझे पागल कर देगा दीदी! आप इन्हे कभी भी धोया मत करो!!!"
नमिता : (दोनों हाथो को ऊपर किए हुए) सुबह से इतनी नित्य कर बैठी हूं, के पसीना रुकने का नाम ही नहीं ले रही है इनमें!!! हाय!
राहुल : (बगल के कुछ बालों को मुंह से चाटते हुए) ओह! मज़ा आया दीदी! कितनी नमकीन पानी है!!
नमिता अपने बगल पर नाज़ करने लेगी और फिर अपने भाई के होंठ पर अपने होंठ जोड़ देती है। राहुल भी दुनिया को भूलकर दीदी की रसपान करने लगता है। धीरे धीरे उसके हाथ कमर से नीचे कैसे हुए मोटी गांड़ पर जाने लगा और मास को यह वहा दबा ने लगा। नमिता अपने पीछे के कैसे हुए मास के दबाए जाने से सिसक उठी और जिस्म में हिलोरे आने लगी। "दीदी यह आपकी गांड़ उफ्फ!!!!"। "रिमी सी भी अच्छी है??" बस फिर क्या! राहुल सीधा खड़ा हो गया "क्या मतलब दीदी??"।
नमिता अपनी भाई की कान को प्यार से मदोड दी "अब मुझसे मत छुपा! तू इतना सांड हो गया के, रिमी को भी भोग लिया! वैसे तू वर्जिश कर कर के और चिकन वगेरह खा खा कर इतना सांड हो रहा है! कहीं तेरी नजर बाकी के औरतों पे तो नहीं?? नमिता एक तीखी अंदाज़ में अपनी कमर पर हाथ कासाए पूछने लगी। आंखो में शरारत लिए और होंठ को गीली करती हुई वोह जवाब का इंतज़ार करने लगी अपनी भाई से।
राहुल का लिंग महाराज और उठने लगा दीदी की ऐसी बातों से। वोह और कस के अपने दीदी को जकड़ लेता है "हा! दीदी सही कह रही हो तुम!! रिमी के साथ भी मेरे संभध है! क्या करू दीदी, भूख तो मिटती ही नहीं" और इस बार कस के र राहुल अपने छाती को नमिता के सीने पर धस द देता है। उफ़! एक तेज़ तूफान दौड़ गई दोनों के जिस्म में, और नमिता जो पहले से ही कामुक थी! और कामुक हो उठी राहुल के मुंह से सच सुनने के बाद।
बिना किसी झिझक के नमिता अपने भाई को लिए सीधा बाथरूम में घुस जाति है। दीवार पर धस के राहुल के शर्ट को बदन से आज़ाद कर लेती है नमिता और फिर उन हाथो को दीवारों के दोनों और फैला देती है, कुछ इस तरह, जिससे अब राहुल के बगले अब उसकी आंखों के सामने था। सुबह पे वर्जिश करने के कारण वहा पे भी काफी पसीना जम गया था। अपने दीदी कि मुस्कुराहट देखकर राहुल समझ गया था के उसके एहसान के जवाब का समय आ चुका था और इस सोच में खुद भी मुक्सुराया।
तुरंत ही नमिता भी अपनी टीशर्ट निकाल फेंक देती है और अब दोनों के दोनों उपर से नग्न थे। एक तरफ चौड़ी छाती तो दूसरे तरफ गुब्बारे समान स्तन, दोनों के निप्पल मानो एक दूसरे को देख रहे थे। दोनों में से किसी को भी शॉवर का खयाल नहीं आया, इतने मगन थे एक दूसरे के पसीने को भांपने में। नमिता को हमेशा से डोमिनेट करना अच्छी लगती थी, भाई बहनों में सबसे बड़ी जो ठहरी!
उसने थोड़ी ज़ोर से राहुल के गाल पर एक चमाट लगाई "कमिना कहीं का! घर पर अपनी बहनों से मन नहीं भरता और बाहर उस मीनल को भी पटा रखा है तूने!" फिर दूसरे गाल और और कस के एक थुस दी "खैर! तेरा एहसान में आज चुका दूंगी" इतना कहना था के वोह अपनी नाक को अपने भाई के एक बगल के पसीनेदर झांट पर ले आती है और संगने लग जाति है।
इक अजीब सी महक थी राहुल के झांट पे, एक मर्दाना एहसास जो नमिता को पागल बना रही थी। बिना विमलंब किए वोह एक एक बगल को चाटने लगी और फिर एक बार दिनों भाई बहन शवर के नीचे ही अपने अपने चुदाई में मगन हो जाते है। पानी के बूंदें उनके नंगे जिस्म को भीगो तो रही थी, साथ साथ जिस्म की रिहाई में और भी ज़्यादा मज़ा आ रही थी। राहुल निरंतर अपने दीदी के मोटे मोटे स्तन का रसपान करता गया और साथ साथ बलखाती मास को मसलता भी गया। "ओह राहुल! ओह! दबा इन्हे और इन्हे और फूला दे! उफ़!! हो सके तो इन्हे मा जितनी करदे!"
बस! इतना कहना था के राहुल के उत्तेजना और कहीं ज़्यादा बड़ जाता है और वोह कस के अपने दीदी को अपने आगोश में लेलेता है। शॉवर के पानी से भीगती हुई दो बदन एक हो गए थे। एक तो पहले ही होगेये थे लेकिन बहती पानी का लुफ्त साथ साथ लेना कुछ अलग ही मज़ा था। राहुल अब नमिता की कानो तक होंठ ले जाता है और प्यार से "दीदी आपका यह गुब्बारे जैसी गांड़ को भी चखना है!!! प्लीज प्लीज!" राहुल बच्चो की तरह ज़िद्द करने लगा, जैसे बचपन में अक्सर वोह अपने नमिता से चॉकलेट मंगताता था। भाई की अर्जी सुनके नमिता हाथ में मुंह लगाए शर्मा गई "हाय! सचमुच मेरी इस गांड़ को चखेगा??"
राहुल जवाब में अपने तने हुए लिंग को गांड़ के चारो और घिसने लगा "और भी कुछ करने का मन तो कर रहा है दीदी! लेकिन फिलहाल इसे चखना है! देखना यह है के इसका गंध कितना पागल करती है कि मुझे!!" इतना कहना था के वोह नीचे घुटनों के बल झुक जाता है और दोनों हाथों से दीदी कि मोटी मस्त गांड़ के दोनों फनखो को फैला देता है "उफ़! दीदी? यह गुब्बारे का मज़ा ही अलग है!" दरार की तरफ गौर करते हुए है उन मासो को दबाना और दबोचने लगा। नमिता इस एहसास के बिल्कुल गदगद हो उठी।
|