RE: kamukta Kaamdev ki Leela
पोते की हरकत और बातों से यशोधा देवी और नटखट हो गई और उनकी मोटी उभगरे हुए जांघो को राहुल प्यार से सहलाने लगा "दादी, मेरी एक छोटी सी इच्छा है! अगर आप कहो, तो बताऊं!"। पोते के स्पर्श को महसूस करती हुई यशोधा खुद मस्त हो रही थी "बताना! शरमा क्यों रहा है! अब कोई परदा थोड़ी ना है!"। राहुल अपने चेहरे को उनके और करीब लाया और कान में हल्के से बोलने लगा "अगर आप एक बार रिमी और नमिता दीदी, तीनों एक साथ मुझे अपने आगोश में लेले, तो मज़ा आ जाए दादी!!!!" इतना सुनना था के यशोधा की घुटने पिघल ने लगी और योनि के दुआर में से रस का बरसात होने लगा "क्या????"
राहुल ने उनके फूले हुए गालों को चूम लिया और जवाब का इंतज़ार करने लगा। यशोधा की गाल टमाटर की तरह फूल चुके थे और उनकी सासें तेज़ हो गई "हाय! यह मुझसे नहीं होगा! उफ्फ तू और तेरी चिन्ताधारा!!!! अरे रेहम कर इस बुढ़िया पे" बहुत बुरी तरह धर्मा रही थी यशोधा देवी, पोते के प्रस्ताव सुनके। यह दोनों इस बात से अनजान थे, के पास में ही लेती आशा भी सोने के नाटक करके, बाते सुन रही थी उन दोनों की। मन में वोह खुद बोल परी "हाय मा! यह मेरा बेटा मेरे सास के साथ भी रंगरेलिया मना चुकी है! ओह! घोर कलयुग है यह सच में! और इतना ही नहीं! अपनी बहनों को भी नहीं बक्षा! और तो और.... यह क्या बोल रहा है के...... एक साथ मिलके!! नहीं नहीं घोर अनर्थ है यह!" सोचती हुई वोह आगे आगे सुनने लगी, सोने का नाटक करती हुई।
यशोधा : तू इस घर का रुख ही बदल के ही मानेगा! अरे गंदे गंदे किताबे पड़ना बन्द कर दे!
राहुल : अगर में कहू के में आप तीनों के साथ एक पवित्र बन्धन में घुलना चाहता हूं, तो! (दादी के स्तन को मसलने लगा)
यशोधा : उफ़! मेरी स्तन को अब अकेला छोड़! अब इनको और फुलाने का इरादा है क्या! (होंठ दबाती हुई)
राहुल : उफ़! दादी!!! तुम यू हरकते करती हो, के बस दिल में आता है के और बहुत कुछ करू!!
यशोधा : लेकिन तू इस पूरी लीला में, अपनी चाची और उसकी बेटी को अब तक शामिल क्यों नहीं की?? अरे तेरी चाची क्या कम तरसती है!
राहुल : (रमोला के जिस्म को याद करके) उफ़! सच कह रही है दादी तुम! चाची भी कम नहीं है किसी से भी! (फिर स्तन को हल्का मसलता हुए) कुछ करो दादी! चाची की भी पटाने में मदात करो!
यशोधा : सांड कहीं का! मुझे क्या दलाल समझ रखा है?? जाके खुद बात कर! (एक कातिल मुस्कान) वैसे..... मुश्किल भी नहीं है! क्योंकि मैंने खुद उसकी आंखो में काफी प्यास देखी है और वोह भी किसी नए स्पेश के तलाश में है!
राहुल का दिल गदगद हो गया खुशी से, और वोह अपने दादी से लिपट जाता है। दोनों फिर उसी बिस्तर पर आशा के बाजू ही लेट जाते है और एक दूसरे को चूमने लगते है। यशोधा देवी अपने गद्देदार जिस्म में राहुल को ऐसे सुला देती है, मानो कोई मैट्रेस पे राहुल सो रहा हो, अपनी भारी जिस्म पे गर्व करती हुई, वोह खुद और मस्त मगन हो उठी और इस बहाने रीहुल अपने नंगे लिंग से उनकी सारी में कैसे योनि को टोकता गया। सच में राहुल खुश तो इतना था के जैसे दुनिया जीत ली हो "ओह दादी!" । "अब दादी मत बोला कर!! मुझे यशोधा बुला ले अकेले में!!" बुरी तेरह शरमा गई यशोधा यह कहकर और एक बार फिर राहुल उनकी प्यासे लबों और उंगली फिराने लगा "ओह! यशोधा यह होंठ त तेरे!! उफ़"।
यशोधा : यह होंठ? (ज़बान फिराने लगी)
राहुल : मुझे यकीन है! हम पिछले जनम के बिछरे हुए साथी थे! लेकिन अब! तुम मेरी हो यशोधा!! (लब को हलके चूम लेता है)
यशोधा : (राहुल का खेल का आनंद लेती हुई) हां!! तू सच कह रहा है! में तो कमसिन जवानी हूं, इस जिस्म मै कैद! मुझे तृप्त करदे राहुल बेटा! और प्यार दे मुझे!!!
अब क्या! दोनों दादी और पोते में प्यार उभेर के अागाया और फिर राहुल पल्लू को आखिर में कंधो से हटा ही देता है और झ्ट से ब्लाउस के हुक खोलने ही वाला था के यशोधा उसे रोक देती है "थोड़ा इंतज़ार कर ले! यह हवस अब अपनी चाची के लिए बचा के रख!" इतना करहना था के वोह एक कातिल मुस्कुराहट देती हुई बिस्तर में से खुद को एडजस्ट करती हुई खड़ी हो गई और वहा लेता राहुल एक ज़ोर की अंगराई लेने लगा "दादी! आई लव यू!!!"
एक बलखाती चाल लिए यशोधा मटक मटक के कमरे में से बाहर निकल जाती है और फौरन अपने कमरे की और जाने लगी। अपनी बिस्तर पर पहुंचकर उन्होंने गौर की इस बात की के रामधीर अभी भी चैन की नींद लेटे हुए थे। हैरनजनक जब यशोधा अपने पति को उठाने की कोशिश की तो वोह बेजान बाजू के तरफ लेट गए, मानो जिस्म पूरा धीला था। "हाय! यह क्या हों गया इन्हे!! अजी उठिए!!!!!" लेकिन रामधीर की तरफ से कोई आवाज़ नहीं आया।
.......
पूरा का पूरा घर इखट्टा हो गया कमरे में, महेश और गौरव भी ऑफिस से आ गए थे। इस बात को जानने में देर नहीं हुई के रामधीर अब नहीं रहे थे। पूरे घर में एक मायूसी का माहौल छा गया और यशोधा देवी भी खुद निराश हो गई। उनको संभालने के लिए आशा और रमोला दोनों उनके पीठ को सहलाने लगे। लेकिन फिर मातम का माहौल और कब तक रहता भला! कुछ हफ्ते बीत गए इस बात को और सब कुछ नॉरमल होने लगा।
एक दिन हुआ यू, के कमरे में एकेली यशोधा देवी, सफेद साड़ी में लिपटी हुई अपनी पति की तस्वीर देखने लगी और मन ही मन खुश हो उठी के आशा को भोगना उनकी हमेशा से इच्छा रहा था, जो पूरी हो भी गई थीं, और उन्हें यकीन थी इस बात की, के उनके पति के आत्मा भी शांति में ही थे। गौर से तस्वीर की और देखने लगी "में तो इस बात से खुश हूं, के आप का अंतिम इच्छा में पूरी कर पाई! पर अब आप अपने पोते राहुल को आशीर्वाद दीजिए! के वोह हम सब महिलाओं को सम्भल पाए! उफ़! आप नहीं जानते, आपकी पत्नी खुद उनके दीवानी हो चुकी है!"
इतना कहना था के वोह मन ही मन मुस्कुराने लगी और सोचने लगी के लिए रमोला को राहुल भोग पाएगा या नहीं!
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