RE: kamukta Kaamdev ki Leela
करीब दो हफ्ते बीत गए, रामधीर की देहांत को, और अब धीरे धीरे उनकी यादें भी अतीत की तरफ चले गए थे। आशा जब भी अपने ससुर के तस्वीर को प्रणाम करती, तो अक्सर वोह हसीन रात उसे याद आने लग जाती थीं। "आप तो चले गए! अब लगता है शायद खुद को ही मुझे संभालनी पड़ेगी!" बस बिल्कुल ऐसे समाय में कमरे में किसी की आहट उसे सुनाई दी। जब मुड़ी तो राहुल बिल्कुल पीछे खड़ा था और अपने हाथो से उसकी कंधो को मसलने लगा "मा! में हूं ना! आप को कमी कमी महसूस नही होंगी!"। आशा समझ गई थी राहुल किस विषय पे बातें कर रहा था, लेकिन एक मा होके, यह सब करना... क्या यह इतना आसान थी!
आशा : (अपने कंधो से बेटे के हाथ को हटा कर) नहीं! यह ठीक नहीं राहुल! तू जो सोच रहा है, वोह मुमकिन नहीं
राहुल : (अब झुक के अपने नाक से गले को सहलाने लगा) तुम ऐसी क्यों सोच रही हो! मुझे मालूम है तुम मेरे बारे में सब जान गई हो! तुम यह भी जानती हो के दादा का पूरा आशिर्वाद भी मेरे साथ है!
आशा : (पसीना पसीना होके) कया कहना चाहता है तू?
राहुल : यही के भोग विलास में आप भी शामिल हो जाओ! (अब धीरे से गले को अपने हाथो से सहलाने लगा) लेकिन आप को ज़ोर नहीं करूंगा! अपनी मर्ज़ी से आप आओगी!
आशा कुछ कहीं नहीं, बस वहा से चल दी अपनी कमरे में और राहुल मन ही मन खुद को बोलने लगा "अब तो, तुम जब मानोगी! तभी में आऊंगा मा! और वोह भी बहुत जल्द!" इतना करहने के बाद वोह मुड़ कर जा ही रहा था के सीधे रमोला से तड़कराती है और ऐसे में उसकी मोटी मोटी पपीते सीधा जाकर राहुल के सीने से धस जाती है "ओह! देख कर चल बेटा!" बोल परी रमोला, खुद को स्माभलती हुई। राहुल के नजर सीधे जाके अपने चाची के ब्लाउस पर टिक गया, जहा पल्लू थोड़ी सी सड़क चुकी थी और दरार का हल्का सा दर्शन भी हो रहा था।
राहुल : वैसे (ब्लाउस को गौर से देखें) आजकल काफी लचक आगर्इ है आपके चाल में चाची! (आंख मारता हुए)
रमोला : (पीठ पे थपकी देती हुई) बदमाश!! बहुत बोलने लगा है आजकल! लगता है मीनल रुठ गई है तुझसे! जो चाची पे ही लाइन मार राहा है!
राहुल : अरे उसे रहने दो! अपनी सुनाओ चाची! बढ़ती उम्र की बात ही कुछ और होती है वैसे! (थोड़ा करीब जाता हुआ)
रमोला : लगता है दीदी को इस बारे में कुछ केहनी पारेगी! हाथ से निकला जा रहा है तू! (फ्लर्ट करती हुई)
राहुल : अरे मा का किया! उसे में मना लूंगा! दो मिनिट में वोह भी। (रमोला के खुले गेसुओ को सुंगता हुआ) वैसे चाची, आप कौन सा शैंपू या तेल इस्तेमाल करती हो? कितनी बढ़िया महक है!
रमोला : (थोड़ी बेचैनी से) नॉरमल वाली ही करती हूं! नहीं मतलब! तू क्या....
राहुल अब चाची की पीछे जाके खड़ा हो गया "कुछ मत कहो चाची! मुझे यकीन है के, चाचाजी ज़रूर इन गेसुओं की तारीफ करते रहते है!" और इतना कहके वोह वहीं के वहीं खड़ा होकर गरम सासें छोरने लगा उनकी गर्दन पर, जिससे रमोला अब थोड़ी सी सिसक रही थी "नहीं ऐसी बात नहीं!"
राहुल : मतलब?
रमोला : (मन की पीड़ा को हल्का करती हुई) तू नहीं जानता! तेरे चाचा किसी काम के नहीं!
राहुल : भला ऐसा क्यों? (अब धीरे से अपने हाथो से पीठ को सहलाता हुआ) दिल को हल्का कर दो चाची!
रेनिला : (मन में) तुझे क्या क्या बता दू! यही के तेरे चाचा मेरी और देखते भी नहीं! यही के ना जाने कितने रात गए, मै ठीक से भोगी भी नहीं गई!! (फिर राहुल की और देखकर) रहने भी दे! तू क्या हल निकलेगा! (नटखट होके)
राहुल (सीधे पीछे चिपक दिया छाती को पीठ पर) चाची माई डार्लिग! अब हम नौजवानों को तो ज़िम्मा उठने भी दो! एक तो अजय होस्टल गया हुआ है! और तुम कहो तो, मा के साथ साथ तुम्हे भी में संभाल सकता हूं!
रमोला : (चंचल मुस्कुराहट से) सच?
राहुल : आजमा के देखलो!
रमोला भी अब अपनी जिस्म में कुछ तरंगे महसूस करने लगी, अब वोह पीछे पूरी के पूरी मुड़ गई और राहुल के गले में अपनी हाथो को पसारे खड़ी रही "वैसे! अपनी मा और मेरा खयाल कैसे रखेगा तू? मतलब किस अंदाज़ से!" अब आंखे आंखो से जैसे मिल चुकी हो। राहुल भी प्यार से चाची की आंखो में डुबकी लगा रहा था "जैसे हर हीरो करता है! फिल्मों में, जैसे हर वोह बलवान करता है, जंगलों में अपने कसिबा के नारियों के साथ! में एक मर्द की भूमिका के बारे में बात कर रहा हूं चाची!"
रमोला की दिल अब जोरों से धड़क उठी इन शब्दो को सुनके, उसकी माथे पर पसीना ही पसीना आ गई और होंठ कांप उठे "क्या इरादा है तेरा??"। अब माहौल रोमांचक होने चला था, इतना रोमांचक के राहुल अब हल्का हल्का मसाज करने लगा अपने चाची की कंधो का, और फिर अपने होंठ को जैसे उनके गले पर चिपका देता है, रमोला सिसक उठी वहीं के वही। अचानक हुआ यूं के उसे अब जोरों कि पिशाब लग गई थी। वोह हिल पा नहीं रही थी क्योंकि मानो किसी अनदेखी दौड़ से राहुल उसे बांधे हुए रेखे थे।
रमोला : (सिसक सिसक के) राहुल जाने दे मुझे! कुछ काम है!
राहुल (कस के चाची को और थोड़ी जकड़ लेता है) नहीं चाची! ऐसे सिसकियां देती हुई मत जाओ! सच का सामना करो! देखो मेरी और! लुक एट मी!!
रमोला : (पेशाब को पकड़ती हुई) राहुल!! समझने की कोशिश कर! मुझे बाथरूम जानी है! अभी इसी वक़्त! जाने दे बेटा!
लेकिन कामुकता की इतनी हद पार करने के बाद कोई कैसे रुके! यही हाल था राहुल का, वोह और नए नए अनुभव के लिए विचलित हो रहा था। उसने रमोला को जाने ही नहीं दिया और उल्टा कस के जकड़े रखा अपने बाहों में और दूसरे और रमोला घबरा रही थी कि कहीं कोई अनर्थ ना हो जाए। ऐसी परिस्थिति में वोह कभी पहले नहीं आई थी। उसकी पूरी के पूरी जिस्म अब भीगने लगी थी घबराहट के मारे।
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