RE: kamukta Kaamdev ki Leela
आज स्टोर रूम का माहौल बरा रंगीन था। हर दीवार बस एक ही दिशा की और देख रहे थे, जहा राहुल और नमिता एक बार फिर चुदाई के खेल में मगन हो गए। अपनी मोटी मोटी टांगो को कस के अपने भाई के नितम्ब पर, उछल रही थी नमिता, जिससे उसकी पपीते भी हिल रहे थे एक मस्त अंदाज में। "और चोद मुझे राहुल! ओह और मसल मुझे!" खिली खिली पपीतों को प्यार से सहलाना अब राहुल का मनपसंद कार्य हो गया था। बड़ी प्यार से निप्पलों और स्तन के मास को अपने हाथो से सेहलता हुआ राहुल अपने दीदी को चोदने लगा। मज़े की बात यह थी के आज चुदाई में राहुल कुछ ज़्यादा ही फुर्तीला था, मानो काफी ज़्यादा उत्तेजित हो।
नमिता ने यह उत्तेजना भांप ली थी, अपने भाई के लौड़े पर नितम्ब कस कस के रगड़ती हुई वोह गौर से उसकी और देखने लगी "कुछ ज़्यादा ही खुजली है आज तुझे! सच बता बात क्या है?" अपने मस्त गांड़ लौड़े पे थपथपाती हुई वोह सीधे राहुल के होंठ से होंठ मिला दी। कुछ हद तक चुम्बन के बाद राहुल स्वयंम बोल ए "यह मत पूछो दीदी! लगता है इस लीला क्लब में अब चाची भी बहुत जल्द शामिल होने वाली है!" इतना कहना था के अब ताबड़तोड़ धक्के पे धक्का देने लगा राहुल अपने दीदी कि योनि में। भाई के बातों को सुनके नमिता भी और उत्तेजित हो गई "सच में! बहुत कामीना हो गया है तू!!!"।
राहुल : (स्तन मसलता हुए) सच दीदी! चाची तो अब मेरी चंगुल में आ ही गई है! उफ़ उनकी जिस्म तो सच में!
नमिता : कहने को तो, तू दादी को भी चोद चुका है! तो बहुरानी को भी चोद ले! किस ने मना किया!
राहुल : उफ़ यह घर अब किसी शबाबखना से कम नहीं है दीदी! लेकिन इसको रंडीखाना कहना ज़्यादा अच्छा होगा!! उफ़ में तो जीते जागते स्वर्ग पहुंच गया हूं दीदी!!!!!! ओह मेरा अब निकालने वाला है!
नमिता : निकाल ले! रस से वापस तृप्त कर दे मुझे! ओह!
अपनी मोटी टांगो को वापस अपने भाई की और जकड़ ली और अपनी बच्चेदानी के भीतर मलाई भरने लगी। एक चुदाई को सम्पत करते हुए फिर से दोनों भाई बहन एक गहरी चुम्बन में उलझ जाते है और कुछ पल तक दोनों वहीं उसी पुराने खटिए पे लेटे रहे। नमिता अपनी भाई के कान को अपनी रसीले लबों से चूमती हुई बोली "जब दादी को तूने भोग ही लिया है! तो उनकी बहुएं क्या चीज़ है!"। "बहुए" से इशारा आरती के तरफ भी था, यह राहुल समझ चुका था। उसने और कस के जकड़ लिया अपने दीदी को बाहों में और अपने मुरझाए हुए लिंग को भीतर ही रखा "सच में! तुम भी कम कामिनी नहीं हो दीदी!"।
दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे के तभी रूम में चुपके से आती है रिमी "ओह माय! ज़रा देखो तो इन प्रेमियों को! सो क्यूट।" इतना कहके वोह भी अपनी सारी के सारी वस्त्र उतार देती है, टीशर्ट, शर्टस और ब्रा को फटक से अपनी जिस्म से अलग करके रिमी एक लम्बी सांस लेने लगीं, जिससे हल्का सा हलचल उसकी नए नए उभर पे होने लगी "लेट में ज्वाइन यू गियस!" कहके वोह भी दोनों के बाजू में लेट गई। अब हुआ यू के मुरझे गए राहुल के लिंग की और देखकर रिमी हस परी और नमिता भी खिलखिला उठी। दोनों बहनों को देखकर राहुल प्यार वाले नाराजगी से बोल परा "ओय तुम दोनों! क्या चल रहा है!"
रिमी : (अपनी कोहनी के बल पर उठ के बैठी) सोरी भइया! बात यह है के मुर्झे हुए लिंग बहुत ही प्यारी दिखती है! क्यों दीदी?
नमिता कुछ बोली नहीं, बस चुपके से मुस्कुरा रही थी। राहुल तो एकदम से चिड गया दोनों पे और खास कर के रिमी पर। उसने फौरन अपनी छोटी बहन को अपने और खींच ली, और हुए यू के अब तीनों एक दूसरे के आगोश में जम गए थे। राहुल अब बारी बरी दोनों के लबों को चूमने लगा और वह दोनों भी अपने भाई का भरपूर साथ दे रहे थे। अब राहुल के दो दो हाथ दो अलग अलग स्तन को मसलने में लग गए। धीरे धीरे हुआ यू के उसका सोया लिंग भी अब वापस जागने लगा और अब बरी बारी राहुल दोनों के गर्दन और गालों को चूमने चाटने लगा था। माहौल सच में काफी रंगीन हो चला था।
ऐसे ही कुछ चुंबनों के बाद अब हुआ यह के दिनों बहनों ने राहुल को नीचे लेटा दी और यह दोनों चड गए उपर के और जिससे हुआ यह के दोनों के मस्त उभरे अब उसके छाती से रगड़ रहे थे। एक माध्यम आकार के तो एक मोटी अमरूद प्रकार की। राहुल के छाती पे उनके निप्पलों का भी एहसास पागल कर दे रहा था। राहुल अब चैन से आंखे मूंद लेता है क्योंकि अब बारी बारी दिनों बहने उसके गले से लेकर छाती की इर्द गिर्द चूम रहे थे। दो दो रसीले होंठो का जोड़े को अपने जिस्म पर महसूस करके राहुल और उत्तेजित हो उठा। आंखे तो खोलना चाहा लेकिन रिमी हाथ आगे करके उसके आंखो को फिर धक देता है "बस महसूस करो!"।
राहुल तो बिना झिझक के आंखे मूंद ली लेकिन फिर एक बहुत ही मस्त एहसास से वोह सिसक उठा लेटे लेट। यह एहसास इस बात से थी के अब उसके वापस से जागृत हुई मोटे लौड़े पर दो दो जबान चल रहे थे। राहुल एकदम से पागल हो उठा, एक ऐसी मनमोहक दृश्य का सामना किया, जो केवल सपनों तक सीमित था। रिमी और नमिता दोनों अब बरी बारी लिंग के इर्द गिर्द चूम रहे थे और फिर धीरे धीरे अपने अपने ज़बान को सुपाड़े तक लेके आए। इस एहसास से राहुल एकदम गदगद हो उठा।
दोनों ने कुछ भी नहीं कहा, बस अपने अपने काम में मगन थे। अब उनके होंठ धीरे धीरे सुपाड़े के नरम त्वचा पर आक्रमण करने लगे और शुरू हो गई चुसाई का अजब प्रतियोगिता।
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