RE: kamukta Kaamdev ki Leela
अब धीरे धीरे वोह घरी आने लगा, जब राहुल झडने के कगार पर पहुंचें लगा, और दूसरे और रेवती भी खुद को मसलती हुई, और थोड़ी सी हिम्मत जुटाकर आगे जाने लगी। राहुल के उंगलियां तक सुपाड़े के नरम चमड़े को मसलने में मगन था। बेचारी रेवती को इस बात का एहसास भी नहीं के अब सुपाड़े का मुंह उसके पेट के बहुत नज़दीक होने लगा, क्योंकि वोह तो आगे आगे आने लगी थी।
अब राहुल के हाथ ने सीधे नीचे जाकर अपने गुठलियों को मसलने में लग गया, जिसे रेवती और ज़्यादा गौर से देखने लगी। दिनों गेंदे मलाई से भरे आलू की तरह फूल चुके थे, और हल्के हल्के बलो में भरे दोनों बॉल को देखकर रेवती और उत्तेजित होने लगी। वैसे भी लिंग के प्रति उसका एक प्राकृतिक आकर्षण हो चुकी थी, और अब आंखो देखी वास्तविक लिंग देखकर, वोह खुद को रोक नहीं पाई और हिम्मत जुटाकर, एक हाथ को आगे बढ़ाकर बस उस राहुल के मुट्ठी के उपर से ही लिंग को ज़रा सा क्या छू ली बस!
फटक!!
राहुल का जिस्म एक झाटका मारने लगा और गरमागरम वीर्य सुपाड़े के मुंह से लपकर सीधा उपर की तरफ छलांग मारी और कुछ उसके खुद के पेट पर गिरा, तो कुछ रेवती की पेट की और!
गहबरकर रेवती नीचे टीशर्ट की हुलिया देखकर, वहा से भाग गई और यहां राहुल एक सुकून से अपने आंखे खोल दिए। मन में उसके बस एक ही खयाल आने लगा के, उसके लिंग पर डबल प्रेशर आया तो कैसे आया! वोह पास में परे हुए रुमाल से अपना मलाई साफ ही रहा था के नीचे नज़रे एक और रुमाल पे टिक जाता है, जो कुछ ही दूरी पे परा हुआ था। बिस्तर से उठकर जैसे वोह उस रुमाल को उठकर परखने लगा, तो एक मुस्कान आने लगा उसके चेहरे पर।
रुमाल पे कर्सिव लेखनी में R नामक एक हस्ताक्षर थी, जिसे राहुल बरखुबी पहचान गया था के, रेवती की थी।
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