RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
इस बीच कुछ लड़कियों ने इस पर्दे को सरकाने की कोशिश भी की, मगर वह ख़ुद ही हर बार उसे फिर से तान लेता; शायद इसलिए कि मौका वैसा एक्साइटिंग न होता, जैसा कि उसकी फैंटसी की दुनिया में होता; या फिर उसके करीब आने वाली लड़की उसके ख्वाबों की सब़्जपरी सी न होती... या फिर वैसा कुछ स्पेशल न होता, जिसकी उसे चाह थी; या फिर यह डर कि वैसा कुछ स्पेशल न हो पाएगा।
मगर फिर कुछ स्पेशल हुआ। कबीर की फैंटसी एक क्वांटम कलैप्स के साथ हक़ीक़त की ज़मीन पर आ उतरी, एक बेहद खूबसूरत हक़ीक़त बनकर। कौन कहता है कि फैंटसी कभी सच नहीं होती! क्या हर किसी की रियलिटी किसी और की फैंटसी नहीं है? हम सब किसी न किसी की कल्पना, किसी न किसी के सपने का साकार रूप ही तो हैं। प्रिया भी शायद वही रियलिटी थी, जो कबीर की फैंटसी में सालों पलती रही थी।
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