RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
वह स्कूल में कबीर का पहला दिन था। ब्रिटेन के स्कूलों में ख़ास बात यह है कि वहाँ पीठ पर भारी बस्ता लादना नहीं पड़ता; हाँ, कभी-कभी स्पोर्ट्स किट या पीई किट ले जानी होती है, मगर वह भी भारतीय बस्ते जितनी भारी नहीं होती। उस दिन कबीर की पीठ पर कोई बोझ नहीं था, मगर उसके दिमाग पर ढेर सारा बोझ था। ब्लैक शू़ज, ग्रे पतलून, वाइट शर्ट, ब्लू ब्ले़जर और रेड टाई में वैसे तो वह ख़ुद को का़फी अच्छा महसूस कर रहा था, मगर मन में एक घबराहट भी थी कि टीचर्स कैसे होंगे? साथी कैसे होंगे? स्कूल कैसा होगा? ब्रिटेन में स्कूलों में सुबह प्रार्थना नहीं होती, राष्ट्रगान नहीं गाया जाता; बस सीधे क्लासरूम में। शायद वहाँ लोग प्रार्थनाओं में यकीन नहीं रखते। ब्रिटेन में ही सबसे पहले सेकुलरिज्म शब्द ईजाद हुआ था, जिसने धर्म को सामाजिक जीवन से अलग कर व्यक्तिगत जीवन में समेटने की क़वायद शुरू की थी। वहीं पेरिस में बैठकर कार्ल माक्र्स ने धर्म को अ़फीम कहा था। अब तो ब्रिटेन में चर्च जाने वाले ईसाई गिनती के ही हैं, और उनके घरों में प्रार्थना तो शायद ही होती हो। राष्ट्रीय प्रतीकों का भी तकरीबन यही हाल है। ब्रिटेन के राष्ट्रीय-ध्वज यानी यूनियन जैक के डोरमैट और कच्छे बनते हैं।
पहला पीरियड एथिक्स का था; टीचर थीं मिसे़ज बर्डी। कबीर ने क्रो, कॉक और पीकॉक जैसे सरनेम ज़रूर सुन रखे थे, मगर बर्डी सरनेम पहली बार ही सुना था। मिसे़ज बर्डी ऊँचे कद, स्लिम फिगर और गोरे रंग की लगभग तीस साल की महिला थीं। उनकी हाइट कबीर से आधा फुट अधिक थी, और उनकी स्कर्ट की लम्बाई उसकी पतलून की लम्बाई की आधी थी। उनकी टाँगों जितनी लम्बी, खुली और गोरी टाँगें कबीर ने उसके पहले सि़र्फ फिल्मों या टीवी में ही देखी थीं। पूरे पीरियड, कबीर का ध्यान उनकी लम्बी टाँगों पर ही लगा रहा। मिसे़ज बर्डी का अंग्रे़जी एक्सेंट उसे ज़रा भी समझ नहीं आया, मगर उस पीरियड के बाद के ब्रेक में बर्डी नाम का रहस्य ज़रूर समझ आ गया।
‘‘आई एम कूल।’’ सिर पर लाल रंग की दस्तार बाँधे एक सिख लड़के ने कबीर की ओर हाथ बढ़ाया।
‘‘मी टू।’’ कबीर ने झिझकते हुए हाथ बढ़ाया।
‘‘ओह नो! माइ नेम इ़ज कूल... कुलविंदर; पीपल कॉल मी कूल।’’ कूल ने कबीर का हाथ मजबूती से थामकर हिलाया। पहली मुलाकात में ही उसने कबीर को अपने पंजाबी जोश का अहसास करा दिया।
‘‘ओह! आई एम कबीर।’’ कबीर ने कूल के हाथों से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा। संकोची सा कबीर, ऐसी गर्मजोशी का आदी नहीं था।
‘‘न्यू हियर?’’ कूल ने पूछा।
‘‘यस, फ्रॉम इंडिया।’’
‘‘बी केयरफुल मेट, नए स्टूडेंट्स को यहाँ बहुत बुली करते हैं।’’
‘‘आई नो।’’ कबीर ने ब्रिटेन के स्कूलों में नए छात्रों को बुली किए जाने के बारे में समीर से का़फी कुछ सुन रखा था।
‘‘यू नो नथिंग।’’ कूल की आँखों में शरारत थी या धमकी, कबीर कुछ ठीक से समझ नहीं पाया।
‘‘यू लाइक मिसे़ज बिरदी? नाइस लेग्स, हुह।’’ कूल ने एक बार फिर शरारत से अपनी आँखें मटकाईं।
‘‘यू मीन मिसे़ज बर्डी?’’ एथिक्स की टीचर के लिए ही इस तरह का शरारती सवाल कबीर को कुछ पसंद नहीं आया, मगर फिर उसे ध्यान आया कि पूरे पीरियड में उसका ख़ुद का ध्यान मिसे़ज बर्डी की लंबी खूबसूरत टाँगों पर ही टिका हुआ था। इस बात से उसे थोड़ी ग्लानि भी हुई, और यह शंका भी, कि कूल को भी इस बात का अहसास होगा।
‘‘नो नो, बिरदी; वो जर्मन हैं, उनकी शादी एक इंडियन से हुई है, मिस्टर बिदरी से।’’
‘‘ओह, फिर सब उनको मिसे़ज बर्डी क्यों कहते हैं?’’
‘‘हाउ इ़ज बिरदी स्पेल्ड? बी आई आर डी आई, बर्डी; गॉट इट?’’
‘‘ओह! ओके।’’ कबीर ने मुस्कुराकर सिर हिलाया।
दो पीरियड बाद लंच का समय हुआ। कबीर, कूल के साथ अपना लंच बॉक्स लिए लंच रूम पहुँचा।
‘‘आर यू सैंडविच?’’ डिनरलेडी ने कबीर के हाथ में लंच बॉक्स देखकर पूछा।
‘सैंडविच? आई ऍम ए बॉय, नॉट सैंडविच।’ कबीर ने ख़ुद से कहा।
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