RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
‘‘कबीर, कम दिस साइड।’’ कूल ने उसे बुलाया, ‘‘जो स्टूडेंट्स घर से लंच बॉक्स लेकर आते हैं, उन्हें यहाँ सैंडविच कहते हैं; और जो स्कूल में बना खाना खाते हैं, उन्हें डिनर।’’
अजीब लोग हैं ये अंग्रे़ज भी; ज़रूर बोलने में इन लोगों की ज़ुबान दुखती होगी, तभी तो कम से कम शब्दों में काम चलाते हैं।
कूल ने अपना लंच बॉक्स खोला। उसमें ब्राउन ब्रेड का बना ची़ज एंड टोमेटो सैंडविच था, साथ में एक केला और सेब। हाउ बोरिंग! कबीर ने सोचा। क्या कूल हर रो़ज यही खाता है? इस देश में लोगों को खाने का शऊर नहीं है। मगर कूल तो इंडियन है, वह क्यों यह बोरिंग खाना खाता है। कबीर ने अपना लंच बॉक्स खोला। अहा! बटाटा वड़ा, थेपला और आम का अचार... इसे कहते हैं खाना। कबीर को अपनी माँ पर फ़ख्र महसूस हुआ। कितना टेस्टी खाना बनाती है माँ; और एक कूल की माँ... क्या उसे पराठा या पूड़ी बनाना भी नहीं आता।
‘‘स्मेल्स सो नाइस, व्हाट इ़ज इट?’’ पास बैठे एक गोरे अंग्रे़ज लड़के हैरी ने पूछा।
‘‘बटाटा वड़ा।’’ कबीर ने गर्व से कहा।
‘‘वाओ! बटाटा वरा। कबीर इ़ज नॉट सैंडविच, ही इ़ज बटाटा वरा।’’ हैरी ने हँसते हुए कहा। अंग्रे़ज होने के नाते वह ‘ड़’ का उच्चारण ‘र’ करता था।
‘‘नो नॉट बटाटा वरा, बटाटा वड़ा।’’ कूल ने वड़ा पर ज़ोर देकर कहा। उसके बटाटा वड़ा कहने के अंदा़ज पर पास बैठे सारे छात्र भी हँसने लगे। कबीर को बड़ी शर्म आई। बड़ी मुश्किल से उससे एक थेपला खाया गया।
उस दिन के बाद से कबीर के लंच बॉक्स में कभी बटाटा वड़ा नहीं आया, मगर उसका नाम हमेशा के लिए बटाटा वड़ा पड़ गया।
‘‘डू यू नो दैट गर्ल?’’ अगले दिन प्लेटाइम में एक लम्बी, स्लिम और गोरी लड़की की ओर इशारा करते हुए कूल ने कबीर से पूछा। लड़की ने सिर पर रंग-बिरंगा डि़जाइनर स्का़र्फ बाँधा हुआ था, जिससे कबीर ने अंदा़ज लगाया कि वह कोई मुस्लिम लड़की होगी।
‘‘नो, हू इ़ज शी?’’
‘‘शी इ़ज बट्ट।’’
‘‘बट्ट? यू मीन बैकसाइड?’’ कबीर को लगा कि वह कूल की कोई शरारत थी।
‘‘हर फॅमिली नेम इ़ज बट्ट, हर फॅमिली इ़ज फ्रॉम कश्मीर।’’
‘‘ओह! आई सी।’’
कश्मीर के ज़िक्र पर कबीर को भारत सरकार की दुकान पर काम करने वाले लड़के बिस्मिल का ध्यान आया। कितने फ़ख्र से उसने कहा था कि वह आ़जाद कश्मीर से है। हुँह, आ़जाद कश्मीर... इट्स पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर।
‘‘दोस्ती करोगे उससे?’’ कूल ने आँखें मटकाकर पूछा।
वह आम कश्मीरी लड़कियों से भी ज़्यादा सुन्दर थी। ख़ासतौर पर उसके कश्मीरी सेब जैसे गुलाबी लाल गाल तो बहुत ही खूबसूरत थे।
‘‘व्हाट्स हर फर्स्ट नेम?’’ कबीर ने उत्सुकता से पूछा।
‘लिकमा।’
‘‘लिकमा? ये कैसा नाम हुआ?’’ कबीर को वह नाम बड़ा अजीब सा लगा।
‘‘इट्स एन अरेबिक वर्ड, इट मीन्स विज़्डम।’’
‘‘हम्म! ब्यूटीफुल नेम।’’
‘‘गो... टेल हर, दैट यू लाइक हर नेम।’’ कूल ने लड़की की ओर इशारा किया।
‘अभी?’
‘‘हाँ, लड़कियों को अपनी तारी़फ सुनना पसंद होता है। यू टेल हर, यू लाइक हर नेम, शी विल लाइक इट।’’
कबीर को का़फी घबराहट हुई। जिस लड़की को दूर से देखकर ही उसका दिल धड़क रहा था, उसके पास जाकर क्या हाल होगा। मगर उसके गुलाबी लाल गाल कबीर को लुभा रहे थे। उस वक्त उसे लगा कि उन गालों के लिए वह उससे दोस्ती तो क्या, पाकिस्तान से दुश्मनी भी कर सकता है। हिम्मत करके किसी हिन्दुस्तानी सिपाही की तरह कबीर उसकी ओर बढ़ा। सिर उठा के, कंधे थोड़े चौड़े करके, अपनी घबराहट को काबू करने की कोशिश करते हुए।
‘हाय!’ कबीर ने लड़की के सामने पहुँचकर बड़ी मुश्किल से कहा। एक छोटा सा हाय भी उसे एक पूरे पैराग्राफ जितना लम्बा लग रहा था।
‘हाय!’ लड़की ने बड़ी सहजता से मुस्कुराकर कहा। कबीर को उसकी स्माइल बहुत प्यारी लगी। वह एक लड़की थी। एक अजनबी लड़के से बात करते हुए घबराहट उसे होनी चाहिए थी, मगर वह बिल्कुल नॉर्मल थी, और कबीर एक लड़का होते हुए भी घबरा रहा था। कबीर का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। किसी तरह अपनी धड़कनों को सँभालते हुए उसने कहा, ‘‘आई लाइक योर नेम, लिकमा!’’
‘व्हाट?’ लड़की ने चौंकते हुए पूछा।
‘‘लिकमा बट्ट।’’
तड़ाक। कबीर के बाएँ गाल पर एक ज़ोर का थप्पड़ पड़ा। उसे पता नहीं था कि कोई ना़जुक सी लड़की इतनी ज़ोर का थप्पड़ मार सकती है। कबीर का गाल उस लड़की के गाल से भी अधिक लाल हो गया; कुछ तो थप्पड़ की वजह से, और कुछ किसी लड़की से थप्पड़ खाने के अपमान की वजह से। कबीर को कुछ समझ नहीं आया कि आ़िखर उस लड़की ने उसे थप्पड़ क्यों मारा। उसने ऐसा क्या कह दिया; उसके नाम की तारी़फ ही तो की थी... और कूल का कहना था कि लड़कियों को तारी़फ पसंद होती है।
चैप्टर 4
‘‘हा हा...लिकमा बट्ट, लिक माइ बट्ट, लिक माइ बैकसाइड... बटाटा वरा, यू आर लकी टू हैव बीन स्पेयर्ड विद ओनली वन स्लैप।’’ हैरी की हँसी रुक नहीं रही थी।
‘‘इ़ज दैट नॉट हर नेम?’’ कबीर अभी भी अपना गाल सहला रहा था।
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