RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
कुछ देर बाद ब्रेक हुआ। हिकमा को थोड़ी राहत महसूस हुई। एक तो उसे डाँडिया नृत्य अच्छी तरह नहीं आता था; उस पर कबीर की बेचैनी। तभी उसने टीना को उनकी ओर आता देखा। हिकमा को अहसास था कि टीना ही वह लड़की थी, जिसकी ओर कबीर की ऩजरें रह-रहकर जा रही थीं।
टीना के करीब आते ही कबीर का दिल ज़ोरों से धड़का, जिसकी आवा़ज शायद हिकमा को भी सुनाई दी हो; और यदि न भी सुनाई दी हो, तो भी उसे कबीर के माथे पर उभर आर्इं पसीने की बूंदें ज़रूर दिखाई दी होंगी।
‘‘हेलो कबीर!’’ टीना ने मुस्कुराकर कबीर से कहा। कबीर को फिर उसकी मुस्कुराहट खली... वही बेपरवाह मुस्कान।
‘हेलो!’ कबीर ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा।
‘‘दिस इ़ज हिकमा।’’ फिर उसी बेबस सी मुस्कान से उसने हिकमा का परिचय कराया।
‘हाय!’ हिकमा ने भी मुस्कुराकर टीना से कहा।
‘‘हाय, आई एम टीना!’’ टीना ने उसी सहज मुस्कान से कहा, ‘‘यू हैव ए वेरी प्रिटी गर्लफ्रेंड कबीर।’’
‘गर्लफ्रेंड’ शब्द हिकमा के लिए चौंकाने वाला था। तब तक उसने कबीर के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था; और यदि सोचा भी हो, तो भी वह सोच किसी सम्बन्ध में तब तक नहीं ढल पाई थी।
कबीर के चेहरे पर बेबसी के भाव थे। उससे कुछ भी कहते न बना; बस मुस्कुराकर रह गया।
‘‘कबीर, आई हैव टू गो; इट्स गेटिंग लेट नाउ।’’ हिकमा ने कहा।
कबीर उससे रुकने के लिए भी न कह पाया। बस उसी बेबस मुस्कान से उसने मुस्कुराकर हिकमा को बाय कहा, और ख़ुद भी घर लौट आया।
चैप्टर 7
‘‘क्या तुम मुझे इसलिए ले गए थे, कि तुम शो कर सको कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?’’ अगले दिन हिकमा ने कबीर से थोड़ी तल़्ख आवा़ज में पूछा।
‘‘नहीं नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।’’ कबीर ने बेचैन और घबराई हुई आवा़ज में कहा।
‘‘तो फिर तुमने टीना से यह क्यों नहीं कहा कि हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है।’’
‘‘सॉरी, उस वक्त मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या कहूँ।’’ कबीर ने सफाई दी।
‘‘ओके, लेट्स फॉरगेट इट; मगर कबीर, मुझे इस तरह का शो-ऑ़फ पसंद नहीं है।’’
‘‘मैं ध्यान रखूँगा।’’ कबीर ने ऩजरें झुकाते हुए कहा।
हिकमा के जाने के बाद कबीर कुछ गुमसुम सा बैठा था, तभी कूल ने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछा, ‘‘व्हाट्स अप मेटी।’’
‘‘कुछ नहीं यार।’’ कबीर ने बिना मुड़े ही जवाब दिया।
‘‘हिकमा के बारे में सोच रहा है?’’ कूल ने थोड़ी शरारत से पूछा।
‘‘नहीं, बस ऐसे ही।’’
‘‘कल उसे डाँडिया डांस में ले गया था?’’ कूल ने आँखें मटकाईं।
‘‘हाँ।’’
‘‘फिर क्या हुआ?’’ कूल ने उत्सुकता से पूछा।
‘‘कुछ नहीं।’’
‘‘कुछ नहीं? तू उससे कहता क्यों, नहीं कि तू उसे पसंद करता है?’’
‘‘मगर कहूँ कैसे? कोई बहाना तो होना चाहिए न।’’
‘‘बहाना है।’’ कूल ने चुटकी बजाते हुए कहा।
‘‘क्या?’’ कबीर की आँखों में उत्सुकता जगी.
‘‘मिसे़ज बिरदी ने एक नई पहल की है, स्टूडेंट्स का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए। इसमें किसी भी स्टूडेंट को किसी दूसरे स्टूडेंट के बारे में जो भी अच्छा लगे, उसे एक काग़ज पर लिखकर, बिना अपना नाम लिखे, चुपचाप उसके बैग में डाल देना है; इससे स्टूडेंट्स को हौसला मिलेगा, और उनका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।’’
‘‘और किसी ने कोई खराब बात लिखी या शरारत की तो?’’ कबीर ने शंका जताई।
‘‘इसीलिए तो नोट हाथ से लिखा होना चाहिए; अगर किसी ने शरारत की तो उसकी हैंडराइटिंग से पता चल जाएगा।’’
‘‘मगर इसमें मुझे क्या करना होगा?’’
‘‘तू एक काग़ज में हिकमा की बहुत सी तारी़फ लिखकर उसके बैग में डाल दे; लड़कियों को अपनी तारी़फ पसंद होती है, और तारी़फ करने वाला भी पसंद आता है।’’
‘‘मगर उसे कैसे पता चलेगा कि तारी़फ मैंने लिखी है? वह काम तो चुपचाप करना है; उस पर अपना नाम तो लिखना नहीं है।’’ कबीर आश्वस्त नहीं था।
‘‘तू अपने नोट में कुछ क्लू डाल देना, जिससे हिकमा को अंदा़ज हो जाए कि मैसेज तूने ही लिखा है।’’ कूल ने सुझाव दिया।
‘‘कैसा क्लूू?’’
‘‘तुझे हिकमा ने थप्पड़ क्यों मारा था?’’
‘‘क्योंकि मैंने उसका नाम ग़लत लिया था; थैंक्स टू यू।’’ कबीर का हाथ अचानक उसके गाल पर चला गया।
‘‘बस एक क्लू उसके नाम को लेकर डाल देना; ऐसे ही एक-दो और क्लू डाल देना, वह समझ जाएगी।’’
‘‘यार, तू फिर से थप्पड़ तो नहीं पड़वाएगा?’’ कबीर की शंका गई नहीं थी।
‘‘नो यार; दैट वा़ज ए जोक, बट दिस इस ए सीरियस मैटर।’’ कूल ने कबीर को आश्वस्त किया।
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