RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
यह खबर पूरे स्कूल में फैल गई कि कबीर और कूल के बीच हाथापाई हुई, हिकमा को लेकर। कबीर और कूल पर तो डिसप्लनेरी एक्शन हुआ ही, मगर साथ ही हिकमा का भी म़जाक उड़ा। उसके बाद हिकमा कबीर से कटी-कटी रहने लगी। जब भी कबीर और हिकमा की ऩजरें मिलतीं, हिकमा ऩजर फेरकर निकल जाती। कबीर को लगा कि उसने हिकमा के करीब जाने की कोशिश में आपसी दूरी बढ़ा ली। इससे अच्छी तो उनकी दोस्ती ही थी; कम से कम बातचीत तो होती थी, निकटता तो बनी हुई थी। क्या वह हिकमा से जाकर कहे, कि जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाए; दे कैन बी फ्रेंड्स अगेन; जस्ट फ्रेंड्स। मगर यह जस्ट फ्रेंड्स क्या संभव है? उसके मन में हिकमा के लिए जो अहसास हैं, वे चले तो नहीं जाएँगे।
चैप्टर 8
कुछ दिनों बाद कबीर ने एक अजीब सा सपना देखा। सपने वैसे अजीब ही होते हैं। हमारे बाहरी यूनिवर्स में स्पेस-टाइम कर्वचर स्मूद होता होगा, मगर सपनों के यूनिवर्स में स्पेस और टाइम नूडल्स की तरह उलझे होते हैं, या फिर किसी रोलर कोस्टर की तरह ऊपर-नीचे आएँ-बाएँ दौड़ रहे होते हैं। कबीर के सपनों में एक ख़ास बात ये होती थी कि हालाँकि उसके दिन के सपने पूरे ग्लोब का चक्कर लगाने के थे, मगर उसकी रातों के सपनों में वड़ोदरा ही जमा हुआ था। लंदन तब तक उसके सपनों में घुसपैठ नहीं कर पाया था; हाँ लंदन वालों की घुसपैठ ज़रूर शुरू हो गई थी।
सपने में कबीर, वड़ोदरा में डाँडिया खेल रहा था। उसके साथ डाँडिया खेल रही थी हिकमा। उसने हरे रंग का गुजराती स्टाइल का घाघरा-चोली पहना हुआ था। उसके बाल खुले हुए थे, जिनकी बिखरी हुई लटें बार-बार उसके लाल गालों से टकरा रही थीं। डाँडिया की धुन पर उसका छरहरा बदन खुलकर लहरा रहा था, और उसके बदन की लय पर कबीर का मन थिरक रहा था। दोनों में अच्छा तालमेल था। वह शायद कबीर की ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत सपना था, या फिर उसके सपने को अभी और खूबसूरत होना था। अचानक डाँडिया की टोली में उसे टीना दिखाई दी। टीना ने ठीक उस दिन की पार्टी की तरह ही काले रंग की मिनी स्कर्ट और उसके ऊपर क्रीम कलर का टॉप पहना हुआ था।
कबीर की ऩजरें बार-बार टीना की ओर जा रही थीं, और हिकमा को इसका अहसास हो रहा था। अचानक हिकमा ने कबीर से कहा, ‘‘कबीर, मुझे भूख लग रही है।’’
‘‘क्या खाओगी?’’ कबीर ने टीना से ऩजर हटाकर हिकमा से पूछा।
‘‘जो भी तुम खिला दो।’’
‘‘बटाटा वड़ा?’’
‘‘हाँ चलेगा।’’
कबीर और हिकमा वहाँ से हटकर बटाटा वड़ा की तलाश में निकल पड़े। रात का़फी हो चुकी थी, बहुत सी दुकानें बंद हो चुकी थीं। सड़क लगभग सुनसान थी। अचानक कबीर को अपने पीछे एक आवा़ज सुनाई दी, ‘‘हे बटाटा वड़ा!’’
उसने मुड़कर देखा। पीछे कूल और हैरी दिखाई दिए। कबीर ने मुँह फेरकर उन्हें ऩजरअंदा़ज किया और हिकमा का हाथ थामकर आगे बढ़ चला।
‘‘मुझे बटाटा वड़ा नहीं खाना।’’ कबीर ने हिकमा से कहा।
‘क्यों?’ हिकमा ने आश्चर्य से पूछा।
‘‘बस ऐसे ही।’’
‘‘तो क्या खाओगे?’’
‘‘कुछ भी, मगर बटाटा वड़ा नहीं।’’
वे थोड़ा और आगे बढ़े। आगे एक फिश एंड चिप्स की दुकान दिखाई दी।
‘‘फिश एंड चिप्स खाओगे?’’ हिकमा ने पूछा।
‘‘हाँ चलेगा।’’ कहते हुए कबीर हिकमा का हाथ थामे फिश एंड चिप्स की दुकान के भीतर दाखिल हुआ। भीतर जाते ही उसे एक सुखद आश्चर्य हुआ। भीतर लूसी बैठी थी; सेक्सी लूसी, अकेली; फिश एंड चिप्स खाते हुए। कबीर एकबारगी हिकमा को भूल गया। हिकमा का हाथ छोड़कर वह लूसी के बगल में बैठ गया।
‘‘कबीर बॉय... हैव सम चिप्स।’’ लूसी ने कबीर को अपनी प्लेट से चिप्स ऑ़फर किया।
‘‘थैंक यू।’’ कहकर कबीर ने प्लेट से एक चिप उठाया।
फटाक! इससे पहले कि वह चिप अपने मुँह में डाले, उसके बाएँ कंधे पर एक छड़ी पड़ी। कबीर ने घबराकर ऩजरें उठार्इं। उसे सामने एक लेदर सो़फे पर हिकमा बैठी दिखाई दी। डाँडिया की एक छड़ी उसने अपने दायें हाथ में पकड़ी हुई थी। इस बार हिकमा ने स्कूल यूनिफार्म पहनी हुई थी। ग्रे स्कर्ट, वाइट टॉप, ब्लू ब्ले़जर; सिर पर रंग-बिरंगा डि़जाइनर स्का़र्फ बाँधा हुआ था। कबीर उसके पैरों के पास घुटनों के बल बैठा हुआ था, हाथ पीछे बाँधे हुए, गर्दन झुकाए।
‘‘कबीर, क्या तुम्हें लूसी मुझसे ज़्यादा पसंद है?’’ हिकमा ने गुस्से से पूछा।
‘‘सॉरी मैडम।’’ कबीर ने घबराते हुए कहा।
‘‘सॉरी? मतलब वह तुम्हें मुझसे ज़्यादा पसंद है?’’ हिकमा ने उसकी बायीं बाँह पर छड़ी मारी।
‘‘नो मैडम।’’ कबीर की आवा़ज लड़खड़ाने लगी।
‘‘तो फिर तुमने लूसी के लिए मुझे इग्नोर करने की हिम्मत कैसे की?’’
‘‘सॉरी मैडम।’’ कबीर का चेहरा शर्म और अपराधबोध से लाल होने लगा।
‘‘कबीर बॉय डू यू फैंसी मी?’’ अब हिकमा की जगह लूसी ने ले ली।
‘‘यस मैडम।’’
‘‘डू यू वांट टू बी माइ स्लेव?’’
‘‘यस मैडम।’’
‘‘से इट।’’
‘‘आई वांट टू बी योर स्लेव मैडम।’’
‘‘कबीर यू आर माइ स्लेव।’’ अब वहाँ टीना आ गई।
‘‘नो कबीर, यू आर माइ स्लेव।’’ कबीर के कंधे पर हिकमा की छड़ी पड़ी।
‘‘नो कबीर, यू आर माइ स्लेव।’’ लूसी।
‘‘नो कबीर...।’’ टीना।
‘‘नो कबीर...।’’ हिकमा।
‘‘बी माइ स्लेव कबीर; गो अहेड एंड किस माइ फुट।’’ लूसी।
‘‘नो कबीर, यू आर माइ स्लेव, किस माइ फुट।’’ हिकमा की एक और छड़ी पड़ी।
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