RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
चैप्टर 11
कबीर और हिकमा के किस्से के खत्म होने के बाद, कुछ दिन कबीर अवसाद में रहा, मगर वह उम्र अवसाद में जीने की नहीं थी; वह उम्र तो खेलने, खाने और मस्ती करने की उम्र थी; वह उम्र सीखने और बड़े होने की उम्र थी। सीखने और बड़े होने की उम्र में होने का अर्थ यह नहीं होता कि आप कुछ जानते ही नहीं हैं, या आपमें कोई परिपक्वता नहीं है; उसका अर्थ यही होता है कि जो आप जानते हैं वह पर्याप्त नहीं है; आपको अभी और सीखना और जानना है, और इसी सीखने और जानने में आप यह भी सीखते हैं कि आप कितना भी जान लें, वह कभी पर्याप्त नहीं होता। कबीर को यह ज्ञान भी बहुत देर से हुआ।
कबीर ने उसके बाद एक लम्बे समय तक किसी लड़की को ‘‘आई लव यू’’ नहीं कहा। कबीर के मन में यह भावना घर कर गई, कि वह परिपक्व नहीं था, लिहा़जा किसी लड़की के लायक नहीं था। जब कबीर की उम्र का लड़का ख़ुद को लड़कियों के क़ाबिल नहीं मानता, तो वह ख़ुद को ऐसी किसी भी ची़ज के क़ाबिल नहीं मानता, जिसे पाने या करने के लिए एक आत्मविश्वास भरे व्यक्तित्व की ज़रूरत होती है। ‘ही वा़ज नॉट गुड इऩफ।’, ये कबीर का विश्वास बन गया था। कबीर ने लड़कियों से ध्यान हटाकर पढाई-लिखाई में लगाना शुरू किया। लड़कियों से ध्यान हट जाए, तो पढ़ाई-लिखाई में ध्यान आसानी से लग जाता है। स्कूली पढ़ाई-लिखाई जानकारियाँ तो बहुत दे देती है मगर व्यक्तित्व के निखार में उनकी कोई ख़ास भूमिका नहीं होती। कबीर का व्यक्तित्व भी कुछ वैसा ही बनता गया... किताबी कीड़े सा; जिसे किताबी ज्ञान तो भरपूर था, मगर व्यवहारिक ज्ञान का़फी कम। लड़कियाँ कबीर के किताबी ज्ञान से प्रभावित तो होतीं; मगर उसके अलावा कबीर के व्यक्तित्व में ऐसा कोई चार्म नहीं था, जो लड़कियों को आकर्षित कर पाता।
कबीर, स्कूल की पढ़ाई खत्म कर यूनिवर्सिटी पहुँचा। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के किंग्स कॉलेज में कंप्यूटर एंड इनफार्मेशन इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। कबीर, कॉलेज इस दृढ़ निश्चय के साथ गया, कि नए परिवेश में अपनी ग्रंथियों से निकलने का नए तरीके से प्रयास करेगा। कैंब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी; मगर वहाँ तो सभी वही उपलब्धि लेकर आए थे। कबीर के पास ऐसा कुछ नहीं था जो बाकियों से बेहतर हो, जिसके सहारे वह अपनी ग्रंथियों से बाहर निकलने का प्रयास कर सके। इसे समझते हुए कबीर ने उन लड़कों से दोस्ती करने की कोशिश की, जो कॉलेज में कुछ ख़ास माने जाते थे; यानी जो कूल थे, पॉपुलर थे; ताकि उनकी दोस्ती के सहारे ही कबीर की गिनती कुछ ख़ास लोगों में हो। उन कूल और पॉपुलर लड़कों में ही एक था राज। लम्बा-तगड़ा और खूबसूरत हंक। कॉलेज में राज की इमेज मिस्टर परफेक्ट की थी। सबसे अच्छे सम्बन्ध रखना, और सबकी ऩजरों में अच्छा बने रहना राज की खासियत थी। राज के मीठे बोल सबको आकर्षित करते। कबीर जैसे लडकों के लिए राज उनका रहनुमा था, जो उन्हें गाइड भी करे और ग्रूम भी।
‘‘हेलो, दिस इस राज! इफ यू नीड एनीथिंग फ्रॉम मी, जस्ट आस्क फॉर इट, नेवर हे़जीटेट... मुझे अपना बड़ा भाई समझो यार।’’ राज ने कबीर से पहली ही मुलाकात में कहा था।
इसके बाद कबीर और राज की दोस्ती बढ़ती गई। राज, कबीर की मदद करता और उसे गाइड करता, और बदले में कबीर अक्सर लोगों से राज की तारीफ करता, जो राज की छवि निखारने में काम आता, साथ ही कबीर को राज के संबंधों का फायदा भी मिलता; यानी कि विन-विन रिलेशनशिप, सिवा इस बात के कि कबीर को जाने-अन्जाने राज के अहसानों के भार का अहसास होने लगा था। धीरे-धीरे कबीर, राज की साइडकिक बनने लगा।
‘‘हे कबीर, टुनाइट देयर इ़ज ए पार्टी एट ब्रायन्स, यू मस्ट कम।’’ एक दिन राज ने कबीर से कहा। ब्रायन राज का ख़ास दोस्त था।
‘‘ओह ऑफकोर्स! आई मोस्ट सरटेनली विल कम।’’ कबीर ने बेझिझक कहा।
‘‘दैट्स वंडरफुल, एंड कैन आई आस्क ए फेवर! यार मेरी कार सर्विसिंग के लिए गई है, सो कैन आई आस्क यू टू गिव मी ए लिफ्ट टू ब्रायन्स।’’
‘‘श्योर, आई विल पिक यू अप फ्रॉम योर होम।’’
‘‘ग्रेट, प्ली़ज पिक मी अप एट सिक्स।’’
‘‘या, श्योर।’’
कबीर ने कार ब्रायन के घर से लगभग सौ मीटर दूर पार्क की। दरअसल उससे कम दूरी पर कोई पार्किंग की जगह खाली ही नहीं थी। सौ मीटर की दूरी से भी ब्रायन के घर से उठता ते़ज संगीत का शोर सा़फ सुनाई दे रहा था। राज के साथ ब्रायन के घर के भीतर जाते हुए कबीर थोड़ा नर्वस महसूस कर रहा था। उस पार्टी में कबीर, राज का मेहमान था। ब्रायन से उसकी थोड़ी बहुत ही जान-पहचान थी, और ब्रायन के बाकी दोस्तों से बिल्कुल नहीं या नहीं के बराबर।
पार्टी में कुछ दोस्तों से परिचय कराने, और कुछ देर बातचीत के बाद राज ने कबीर से कहा, ‘‘कबीर, मुझे किसी से ज़रूरी बातें करनी हैं; यू जस्ट हैंग अराउंड एंड एन्जॉय योरसेल्फ।’’
इतना कहकर राज, कबीर को कुछ दोस्तों के हवाले करके वहाँ से चला गया। राज और ब्रायन के दोस्त कबीर के लिए अपरिचित ही थे। कुछ देर उनके साथ समय बिताने के बाद कबीर ख़ुद को अकेला महसूस करने लगा। बोर होता हुआ कबीर, हाथ में एक बियर की बोतल लिए हुए एक काउच पर जा सिमटा।
‘हाय!’ काउच पर बैठा कबीर सिर झुकाए कुछ सोच ही रहा था, कि उसे किसी लड़की की आवा़ज सुनाई दी।
कबीर ने ऩजरें उठाकर देखा। सामने एक लगभग उन्नीस-बीस साल की खूबसूरत लड़की खड़ी था। रंग साँवला, कद मीडियम, स्लिम फिगर और शार्प फीचर्स। लड़की ने का़फी टाइट और रिवीलिंग ड्रेस पहनी थी जो इस तरह की पार्टियों के लिए आम थी।
‘‘हाय, आई एम नेहा।’’ बाएँ हाथ में रेडवाइन का गिलास थामे हुए लड़की ने दायाँ हाथ कबीर की ओर बढ़ाया।
‘‘हाय! कबीर।’’ कबीर ने मुस्कुराकर कहा।
‘‘कैन आई ज्वाइन यू?’’ नेहा ने चंचलता में लिपटी विनम्रता से पूछा।
‘‘या, ऑफकोर्स।’’ कबीर ने काउच पर अपनी बगल की ओर इशारा किया।
‘‘व्हाई डोंट वी गो आउट इन द गार्डन? इट्स क्वाइट लाउड इन हियर।’’ नेहा ने दरवा़जे की ओर इशारा किया।
‘‘या श्योर।’’ कबीर ने उठते हुए कहा।
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