RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
कॉलेज में आने के बाद से कबीर का लड़कियों से सि़र्फ परिचय ही रहा था; दोस्ती का न कोई अवसर पैदा हुआ था, और न ही कोई अवसर कबीर ने पैदा करने की कोशिश की थी। लड़कियों को लेकर कबीर की झिझक और काम्प्लेक्स अभी तक नहीं गए थे, मगर फिर भी वह नेहा के साथ बातचीत के लिए का़फी आतुर था।
‘‘आर यू ऑन योर ओन हियर।’’ कबीर को अकेला देख नेहा ने प्रश्न किया।
‘‘नहीं, मैं एक दोस्त के साथ आया हूँ, मगर वह कहीं और बि़जी है।
‘‘सेम हियर... मैं भी किसी के साथ आई हूँ, मगर वह भी कहीं और बि़जी है।’’ नेहा ने हँसते हुए कहा।
नेहा की हँसी कबीर को बहुत प्यारी लगी। एक लम्बे समय बाद उसके सामने किसी लड़की की ऐसी सरल-सहज हँसी बिखरी थी।
‘‘डू यू स्टडी हियर इन कैंब्रिज? आपको पहले कभी नहीं देखा।’’ गार्डन में पहुँचकर कबीर ने नेहा से प्रश्न किया।
‘‘या, क्वीन्स कॉलेज, डूइंग अंडरग्रैड इन फिलॉसफी।’’
‘‘वाह, तो आप फिलासफर हैं?’’
‘‘जी नहीं, मैं फिलासफी पढ़ रही हूँ, और फिलॉसफी पढ़ने भर से कोई फिलॉसफर नहीं बन जाता।’’ नेहा ने हँसकर कहा; ‘‘वैसे आप क्या कर रहे हैं?’’
‘‘मैं कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़ रहा हूँ।’’ कबीर ने नेहा की नकल करते हुए कहा।
‘‘हा, हा.. मगर कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़कर आप कंप्यूटर इंजिनियर तो बन जाएँगे।’’
‘‘हाँ, अगर पास हुआ तो।’’
‘‘नहीं तो?’’
‘‘फिलॉसफर बन जाऊँगा।’’ कबीर ने ठहाका लगाया।
‘‘वैसे एक बात कहूँ; कैंब्रिज में पढ़ने के अपने चैलेंज हैं।’’
‘‘वह क्या?’’
‘‘वह ये कि भले पढ़ाई कितनी भी कठिन हो, आप फेल होना अफोर्ड नहीं कर सकते। किसी खटारा कार से अगर स़फर पूरा न हो, तो दोष कार पर डाला जा सकता है, मगर फरारी की सवारी करके भी मंज़िल तक न पहुँचे तो उसकी ज़िम्मेदारी आप ही को लेनी होती है।’’
‘‘अरे वाह! आप तो अभी से फिलॉसफर हो गईं।’’ कबीर ने हँसते हुए कहा।
‘‘हे कबीर!’’ राज की आवा़ज आई। राज उनकी ओर ही आ रहा था।
‘‘हाय राज! मीट नेहा।’’ राज के करीब आते ही कबीर ने उससे नेहा का परिचय कराया।
‘‘हाय नेहा; थैंक्स फॉर गिविंग कबीर योर ब्यूटीफुल कंपनी।’’ राज ने नेहा से कुछ अधिक ही आत्मीयता से हाथ मिलाया, और फिर कबीर की ओर देखकर आँख मारते हुए कहा ‘‘होप कबीर बिहेव्ड हिमसेल्फ; इसे खूबसूरत लड़कियों के साथ की आदत नहीं है।’’
नेहा का चेहरा लजीले गर्व से गुलाबी हो उठा, और कबीर का चेहरा शर्मीली झेंप से लाल। कबीर की झेंप को महसूस किए बिना ही नेहा, राज के साथ बातों में मशगूल हो गई। कबीर, जो थोड़ी देर पहले नेहा के साथ में अपना खोया हुआ आत्मविश्वास ढूँढ़ रहा था, एक बार फिर नर्वस होने लगा। थोड़ी देर पहले उसे राज पर इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि वह उसे अकेला छोड़कर चला गया था; अब उसे राज से यह शिकायत थी कि उसने लौटकर उसे अकेला कर दिया था। मगर सच तो यह था कि कबीर को राज ने नहीं, बल्कि उसके साहस की कमी ने अकेला किया था। नेहा और राज अब भी उसके साथ ही थे; वो चाहता तो उनकी बातों में शामिल हो सकता था, मगर इस बार भी साहस की कमी की वजह से उसने अकेलेपन को ही चुना। उस रात के बाद कई दिनों तक कबीर ख़ुद को अकेला ही महसूस करता रहा।
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