RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
‘‘क्या मतलब?’’ कबीर ने चौंकते हुए पूछा।
‘‘मैं पाँच साल की थी, जब मॉम और डैड अलग हो गए थे।’’
‘‘ओह सॉरी।’’
‘‘यू डोंट नीड टू बी सॉरी कबीर; मुझे अच्छा लगता है जब कोई मॉम की बात करता है।’’
‘‘अब मॉम कहाँ हैं? तुम उनसे मिलती तो हो न?’’
‘‘कबीर, इट्स ए लॉन्ग स्टोरी, रहने दो, लेट्स गो एंड डांस।’’ नेहा ने बाकी की शराब एक घूँट में गटकते हुए कहा।
कबीर, नेहा को लिए डांस फ्लोर पर आ गया। डांस करते हुए नेहा के क़दम लड़खड़ा रहे थे, और उसे कबीर की बाँहों के सहारे की कुछ अधिक ही ज़रूरत महसूस हो रही थी। नेहा के ना़जुक बदन को बाँहों में थामे, डांस करने में कबीर को आनंद तो बहुत आ रहा था, मगर साथ ही उसे नेहा की चिंता भी हो रही थी। मन तो उसका नेहा को यूँ ही बाँहों में लिए सारी रात डांस करते रहने का था, मगर नेहा का नशा धीरे-धीरे बेहोशी में बदल रहा था। थोड़ी देर डांस करने के बाद कबीर ने नेहा से कहा, ‘‘नेहा, आई थिंक, वी शुड गो नाउ।’’
‘‘ओ नो कबीर, थोड़ी देर और डांस करते हैं न... आई एम एन्जोयिंग इट।’’ नेहा ने लड़खड़ाती आवा़ज में कहा।
‘‘नहीं नेहा; तुम्हें नशा कुछ ज़्यादा ही हो गया है, चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ।’’
‘‘मेरा कोई घर नहीं है कबीर।’’ नेहा की आवा़ज में एक ऐसा दर्द था, मानो वह लड़खड़ाते हुए गिरकर कोई गहरी चोट खा बैठी हो।
‘‘जहाँ भी तुम रहती हो; चलो अब।’’ कबीर ने नेहा को दोनों बाँहों में भींचकर लगभग खींचते हुए कहा।
नेहा को बाँहों में भींचते हुए कबीर की साँसें ते़ज हो चली थीं, मगर उस वक्त उसे सि़र्फ नेहा का ख़याल था। क्लब से बाहर निकलकर कबीर ने इशारा कर एक टैक्सी बुलाई। टैक्सी की पिछली सीट का दरवा़जा खोलकर नेहा को टैक्सी में बैठाया।
‘‘नेहा प्ली़ज टेल योर एड्रेस।’’ कबीर ने नेहा से उसका पता पूछा।
‘‘मेरा कोई घर नहीं है।’’ नेहा ने लड़खड़ाती आवा़ज में फिर वही कहा।
‘‘आजकल के बच्चे... न घर-बार की फ़िक्र है, और न ही माँ-बाप की। माँ-बाप समझते हैं कि ये पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े होंगे, और ये यहाँ शराब पीकर लड़खड़ाते रहते हैं।’’ टैक्सी ड्राइवर अपने एक्सेंट और रंग-रूप से पाकिस्तानी मूल का लग रहा था।
‘‘हे यू शटअप! अपने काम से काम रखो, भाषण मत दो।’’ नेहा ने लड़खड़ाती आवा़ज में टैक्सी ड्राइवर को झिड़का।
‘‘नेहा, अगर तुम अपना पता भी नहीं बताओगी, तो ये अपना काम कैसे करेंगे।’’ कबीर ने नेहा से कहा।
नेहा ने लड़खड़ाती आवा़ज में अपना पता बताया। टैक्सी ड्राइवर ने टैक्सी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी।
नेहा का स्टूडियो अपार्टमेंट सेकंड फ्लोर पर था। नेहा, टैक्सी में ही गहरी नींद में डूब चुकी थी। कबीर, नेहा को टैक्सी से उतारकर बाँहों में उठाए बिल्डिंग के भीतर पहुँचा। तीन फ्लोर ऊँची बिल्डिंग में लिफ्ट नहीं थी। कबीर को, नेहा को बाँहों में उठाए हुए ही दो फ्लोर की सीढ़ियाँ चढ़नी थीं; मगर किसी भी जवान लड़के को किसी जवान लड़की के खूबसूरत बदन का भार बोझ नहीं लगता। कबीर ने एक ऩजर अपनी बाँहों में झूलते नेहा के बदन पर डाली। एक ओर उसका खूबसूरत चेहरा और झूलते हुए खुले रेशमी बाल, दूसरी ओर पॉइंटेड हील के गोल्डन ब्राउन लेदर में लिपटे उसके ना़जुक पैरों तक पहुँचती सुडौल टाँगें और बाँहों के बीच स्कर्ट और क्रॉपटॉप के बीच से झलकती छरहरी कमर; ऐसे खूबसूरत बदन को वह दो फ्लोर की चढ़ाई तो क्या, समय के अंत तक उठाने को तैयार था।
नेहा के अपार्टमेंट के दरवा़जे पर पहुँचकर कबीर ने नेहा के बाएँ कंधे पर झूल रहे उसके पर्स से अपार्टमेंट की चाबी निकालकर दरवा़जा खोला। अपार्टमेंट छोटा, मगर खूबसूरत था। एक ओर रेड और क्रीम फैब्रिक का सो़फाबेड था, बीच में ओक वुड का कॉ़फी टेबल, और साथ में कुछ केन की कुर्सियाँ, और दूसरी ओर ग्लॉस क्रीम और रेड यूनिट्स का फिटेड किचन। अपार्टमेंट न सि़र्फ कॉम्पैक्ट और सा़फ-सुथरा था, बल्कि शौक और सलीके से सजाया हुआ भी था। अपार्टमेंट को देखकर यह कतई नहीं लग रहा था कि वह उस नेहा का था, जिसकी शामें और रातें अपनी उदासी को शराब में डुबाकर लापरवाही से गु़जरती हैं।
नेहा को सो़फाबेड पर लेटाकर, कबीर ने उसके पैरों से उसकी हील्स उतारनी चाही। कुछ देर के लिए कबीर की ऩजरें नेहा के ना़जुक पैरों पर लिपटी उसकी खूबसूरत हील्स पर ही जम गईं। कबीर को अचानक एक अद्भुत उत्तेजना सी महसूस हुई। उसका मन हुआ कि घुटनों के बल बैठकर नेहा के पैरों पर अपने होंठ रख दे। वह मन का मचलना क्या था? समर्पण, या किसी किस्म का सेक्सुअल फेटिश, जो चार्ली का लूसी के पैरों के प्रति था? या फिर दोनों में कोई अंतर ही नहीं था। कबीर ने चार्ली ही की तरह घुटनों पर बैठते हुए सिर झुकाकर अपने होंठ नेहा के पैरों के करीब लाए। नेहा की हील्स से उठती ता़जे लेदर की गंध, उसे और उत्तेजित कर गई। कबीर के होंठ काँप उठे, मगर उसकी हिम्मत उन्हें नेहा के पैरों पर रखने की नहीं हुई। मचलते हुए मन पर एक सहमा सा विचार मँडराया, कि कहीं उसके होंठों के स्पर्श से नेहा की नींद न खुल जाए। काँपते होंठों को नेहा की हील्स के करीब रखे हुए, वह कुछ देर उनसे उठती मादक गंध में मदहोश होता रहा; फिर उसने काँपते हाथों से नेहा की हील्स के स्ट्रैप्स खोले; हील्स को नेहा के पैरों से उतारकर, उसने उन्हें हसरत भरी निगाहों से देखा, और उन्हें अपने चेहरे से सटाते हुए उन पर अपने होंठ रख दिए। हील्स से उठती मादक गंध, उसे एक बार फिर मदहोश कर गई।
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