RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
चैप्टर 13
उस शाम कबीर बहुत उमंगों से क्लब जाने के लिए तैयार हुआ। उमंग सि़र्फ नेहा से मिलने की ही नहीं थी; उमंग इस उम्मीद की भी थी, कि शायद उसे नेहा से ये कहने या अहसास दिलाने का मौका मिले, कि वह उसका संबल बन सकता है। स्किनी ब्लू जींस के ऊपर सिल्कसैटन की पार्टी शर्ट पर अरमानी का परफ्यूम छिड़ककर उसने अपनी उमंगों को और तरोता़जा किया। उन्हीं महकती उमंगों में मचलता हुआ वह क्लब पहुँचा, मगर भीतर का दृश्य देखकर उसकी उमंगें मुरझाने लगीं। भीतर एक बूथ में नेहा थी, और उसका हाथ थामे बैठा था साहिल। पहले-पहल तो कबीर को वह आँखों का धोखा लगा, मगर जल्दी ही उसे समझ आया कि वक्त उसके साथ एक और म़जाक कर रहा था। साहिल और नेहा फिर साथ थे। अगर साहिल नेहा की ज़िन्दगी में लौट आया था, तो फिर कबीर के लिए नेहा की ज़िन्दगी में कौन सी और कितनी जगह हो सकती थी? शायद नेहा की ज़िन्दगी में उसके लिए कोई ख़ास जगह थी ही नहीं। शायद वह जबरन ही नेहा की ज़िन्दगी में वह जगह ढूँढ़ रहा था, जो उसने उसके लिए बनाई ही नहीं थी। इन्हीं सवालों से उखड़े साहिल के क़दम क्लब के भीतर जाने के बजाय उसे वापस उसके घर लौटा लाए। इस बीच नेहा के कुछ फ़ोन कॉल भी आए, मगर कबीर का न तो उन्हें रिसीव करने का मन ही हुआ और न ही साहस।
अगले दिन सुबह उठने पर कबीर ने पाया कि उसके सेल़फोन पर नेहा के चार मिस्डकॉल थे। आश्चर्य की बात ये कि चारों कॉल सुबह ही आए थे। कबीर के लिए उन मिस्डकॉल को ऩजरअंदा़ज करना कठिन था। सुबह सुबह चार कॉल करने का मतलब ही था, कि कोई बहुत ही ज़रूरी बात थी। कबीर ने नेहा को कॉल किया। नेहा के फ़ोन उठाते ही उसकी सिसकती हुई आवा़ज आई, ‘कबीर..।’
कबीर चौंक उठा। नेहा सिसक क्यों रही थी? रात भर में ऐसा क्या हुआ?
‘‘नेहा क्या हुआ? तुम रो क्यों रही हो?’’ कबीर की आवा़ज घबराहट भरी थी।
‘‘कबीर कैन यू प्ली़ज कम हियर?’’ नेहा ने उसी सिसकती आवा़ज से कहा।
‘‘श्योर, कहाँ?’’
‘‘माइ प्लेस।’’
‘‘आई विल बी राइट देयर।’’ कबीर ने हड़बड़ाते हुए कहा।
नेहा के स्टूडियो अपार्टमेंट में पहुँचकर कबीर ने देखा कि अपार्टमेंट का दरवा़जा खुला हुआ था। हड़बड़ाकर भीतर जाने पर पाया कि नेहा सो़फाबेड पर बैठी थी, घुटनों के बीच चेहरा दबाए।
‘‘नेहा, क्या हुआ? रो क्यों रही हो?’’ नेहा के बगल में बैठते हुए कबीर ने उसके सिर पर हाथ रखकर घबराते हुए पूछा।
‘‘कबीर, पहले यह बताओ कि तुम कल क्लब क्यों नहीं आए थे?’’ नेहा ने घुटनों से अपना चेहरा उठाया। उसके बाल बिखरे हुए थे, और आँखें सूजी हुई थीं।
‘‘सॉरी नेहा, कुछ ज़रूरी काम आ गया था; मगर तुमने तो एन्जॉय किया न।’’ कबीर ने झूठ बोला, जिसे शायद नेहा ने समझ भी लिया।
‘‘कल क्लब में साहिल आया था।’’ नेहा की आवा़ज में अब भी उसकी सिसकी मौजूद थी।
‘‘मैंने देखा था।’’ कबीर के मुँह से निकलते-निकलते रह गया।
‘‘साहिल मुझसे रिक्वेस्ट कर रहा था, कि क्या हम अपनी रिलेशनशिप को एक और मौका दे सकते हैं। मैंने कहा कि मैं उस वक्त कोई फैसला नहीं ले सकती; मुझे वक्त चाहिए था। साहिल ने कहा कि वह मुझे मिस कर रहा था, और कुछ वक्त मेरे साथ बिताना चाहता था। उस वक्त मैं अपने दोस्तों के बीच साहिल को शामिल करने के मूड में नहीं थी। मुझे लगा कि साहिल ख़ुद को मुझ पर लाद रहा था; मगर वह उदास लग रहा था, इसलिए मैंने उसे अपने साथ रहने दिया। हम आम रातों की तरह ड्रिंक, डांस और मस्ती करते रहे। धीरे-धीरे मेरे बाकी के दोस्त चले गए, और मैं और साहिल ही रह गए।’’
‘‘तुमने कल फिर ज़्यादा ड्रिंक की?’’
‘‘हाँ कबीर; कल फिर मेरी हालत वही थी; मैं नशे में होश खो रही थी। साहिल मुझे घर छोड़ने आया, मगर..मगर..कबीर...।’’ कहते हुए नेहा एक बार फिर सिसक उठी।
‘‘मगर..क्या हुआ?’’ कबीर ने घबराकर पूछा।
‘‘कबीर, मुझे ज़रा भी होश नहीं था, और उस बेहोशी की हालत में...।’’
‘‘क्या हुआ उस बेहोशी की हालत में?’’
‘‘साहिल ने मुझसे जबरन सेक्स किया।’’ नेहा फफक पड़ी।
‘‘व्हाट? यू मीन रेप?’’ कबीर चौंक उठा।
नेहा चुप रही; सि़र्फ उसकी सिसकियों की आवा़ज आती रही।
कबीर एक बार फिर एक अजीब से कॉम्प्लेक्स से भर गया। कभी उसकी बाँहों में भी नेहा थी; नशे में चूर, गहरी नींद में डूबी... मगर उसकी हिम्मत नेहा के पैर चूमने की भी नहीं हुई थी, और साहिल... किस तरह का लड़का रहा होगा साहिल? क्या साहिल ने अपनी किसी फैंटसी में किसी लड़की को कोई सम्मान, कोई अधिकार दिया होगा? क्या उसने किसी लड़की के आगे सिर झुकाया होगा, समर्पण किया होगा? साहिल जैसे लड़के, कैसे किसी लड़की का प्रेम हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं? कैसे किसी लड़की का उन पर दिल आ जाता है? क्या यही फ़र्क है अपनी फैंटसियों में जीने वाले कबीर और लड़कियों का प्रेम हासिल करने वाले लड़कों में?
‘‘छी..साहिल ऐसा कैसे कर सकता है! नेहा, तुम्हें पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए।’’ कबीर ने साहिल के प्रति गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा।
नेहा फिर चुप रही। भीगी आँखों से उसने कबीर को देखा। उन आँखों में आँसुओं की कुछ बूँदों के अलावा कई सवाल भी थे, जिन्हें शायद कबीर पढ़ न सका।
‘‘नेहा, यू शुड रिपोर्ट इट टू द पुलिस; तुम्हारे डैड बड़े लॉयर हैं, वो साहिल को ऐसी स़जा दिलाएँगे कि वह ऐसी हरकत फिर कभी नहीं कर पाएगा।’’ कबीर ने ज़ोर देकर कहा।
नेहा ने फिर उन्हीं भीगी आँखों से कबीर को घूरकर देखा। उसकी आँखें कबीर के चेहरे को पढ़ रही थीं। कबीर के चेहरे पर लिखी इबारत कुछ कह रही थी; मानो कबीर में उसके लिए हमदर्दी से कहीं अधिक, साहिल के लिए ईष्र्या थी। मानो उसकी दिलचस्पी नेहा के दर्द को समझने से कहीं अधिक साहिल को दंड दिलाने में थी।
‘‘नेहा, वेट ए मिनट, आई एम कॉलिंग पुलिस।’’ कबीर ने अपने मोबाइल पर उँगलियाँ फेरते हुए कहा।
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