RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
‘‘यस, वी डू हैव लाइफ आउटसाइड ऑ़फ दिस स्ट्रिप क्लब; वी आर आल्सो ह्यूमन, वी आल्सो हैव मीनिंग एंड पर्प़ज इन अवर लाइफ।’’ लड़की ने तंज़ भरे स्वर में कहा।
‘‘सॉरी, आई डिड नॉट मीन दैट।’’ कबीर की आवा़ज में थोड़ी शर्मिंदगी थी।
‘‘डोंट वरी अबाउट इट, मीट दिस गाए।’’ लड़की ने कबीर के कन्धों पर हाथ रखते हुए उसके बाएँ गाल को हल्के से चूमा। पहली बार कबीर को उसका स्पर्श सुखद लगा।
चैप्टर 16
इस तरह मेरा परिचय कबीर से हुआ।
‘‘स्पेन के एक ईसाई संत और कवि हुए हैं, सेंट जॉन ऑ़फ द क्रॉस; उनकी कविता है, ‘ला नॉचे ओस्कुरा देल अल्मा’ यानि ‘डार्क नाइट ऑ़फ द सोल।’’ मैंने अपने सामने बैठे कबीर को बताया।
‘‘लेकिन इसका मतलब क्या है?’’ कबीर, डार्क नाइट का अर्थ जानने को विचलित था।
‘‘द डार्क नाइट एक मानसिक या आध्यात्मिक संकट होता है, जिसमें मनुष्य के मन में जीवन और अस्तित्व पर प्रश्न उठते हैं; जीवन जैसा है, उसके उसे कोई मायने नहीं दिखते; जीवन को उसने जो भी अर्थ दिए होते हैं वे टूटकर बिखर जाते हैं, जीवन उसे निरर्थक लगने लगता है।’’ मैंने कबीर को डार्क नाइट का अर्थ समझाया।
‘‘और मैं इस डार्क नाइट से गु़जर रहा हूँ?’’
‘‘संभव है... डिप्रेशन एक शारीरिक बीमारी है, जिसका क्लिनिकल ट्रीटमेंट ज़रूरी है; मगर शरीर, मन और आत्मा से जुदा नहीं है; मन और आत्मा का संकट ही शारीरिक बीमारियाँ पैदा करता है।’’
‘‘आप इसमें मेरी क्या मदद कर सकते हैं?’’ कबीर मुझसे कई उम्मीदें लेकर आया था।
‘‘उतनी ही, जितनी कि तुम स्वयं अपनी मदद करना चाहो।’’
‘‘सुना है आपके हाथों में जादू है; आप अपने हाथों से छूकर कुण्डलिनी जगा देते हैं।’’ कबीर की आँखों में आश्चर्य और उम्मीद की मिली-जुली तस्वीर थी।
‘‘हर सुनी-सुनाई बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए,’’ मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया; ‘‘खैर, पहले तुम अपनी बात कहो; मैं तुम्हारी पूरी कहानी सुनना चाहता हूँ... अब तक तुम्हारी जो भी प्राब्लम्स रही हैं; जो भी बातें, जिन्होंने तुम्हें पीड़ा दी है, परेशान किया है।’’
कबीर ने मुझे अपनी पूरी कहानी कह सुनाई।
‘‘मैं किसी लड़की का प्रेम पाना चाहता था; मगर प्रेम तो बस एक शब्द था, जिसे मैंने ठीक से समझा या जाना ही नहीं था; तो फिर वह क्या था, जिसे मैं पाना चाहता था? क्या टीना के बदन से लगकर जो सुख मिला था, मैं उसे पाना चाहता था? यदि वैसा ही था, तो उससे घबराकर मैं भाग क्यों आया था? क्या हिकमा के साथ में जो उमंग मुझे हासिल होती थी, मैं उसे पाना चाहता था? मगर हिकमा के साथ होते हुए भी मुझे टीना की मुस्कान क्यों खींच रही थी? एक पहेली सी थी टीना की मुस्कान, जिसे मैं कभी समझ नहीं पाया। नेहा का साथ भी एक पहेली ही था। नेहा के साथ रहकर भी मैं कभी उसे अपने करीब महसूस नहीं कर पाया। उस रात जब नेहा नशे में थी, मैं चाहता तो पूरी रात नेहा को बाँहों में समेटे रह सकता था, जी भर के उसके बदन को महसूस कर सकता था; मगर मैं सि़र्फ उसका बदन नहीं चाहता था, मैं पूरी नेहा चाहता था। पर जब पूरी नेहा मेरे सामने टूटकर, बिखरकर बैठी थी, तो मैं उसे क्यों नहीं समेट पाया? अगर उस वक्त मैं बाँहें फैलाता तो नेहा उसमें सिमट आती, मगर मैं नहीं कर पाया... आ़िखर क्यों?’’ कहते हुए कबीर की पीड़ा उसकी आँखों से बह निकली।
मैं थोड़ी देर कबीर के चेहरे को देखता रहा... उसके चेहरे पर पुता उसका अवसाद, उसके चेहरे पर खिंची उसकी उलझनें पढ़ता रहा; फिर मैंने कहा, ‘‘कबीर, तुम्हारी समस्या ये नहीं है कि तुम्हें किसी लड़की का प्रेम नहीं मिला, तुम्हारी समस्या यह है कि तुम्हें अपना ख़ुद का प्रेम नहीं मिला... तुम अपने स्वयं से प्रेम नहीं करते, तुम्हें अपने आप पर विश्वास नहीं है। ख़ुद से प्रेम करो, ख़ुद को ख़ास समझो, स्पेशल समझो। तुम्हारे अपने प्रेम से तुम्हारा रूप निखरेगा, तुम्हारा व्यक्तित्व आकर्षक बनेगा। जब तुम स्वयं से प्रेम करोगे, तो तुम्हारी आत्मा तुम्हें उत्तर देगी कि वह क्या चाहती है।’’
कबीर मेरे उत्तर से संतुष्ट लगा। वह मेरा शिष्य बन गया। वह मुझसे योग साधनाएँ सीखने लगा। वह मेरी हर बात पर गौर करता; मेरी हर शिक्षा पर अमल करता। कबीर का व्यक्तित्व बदलने लगा। कबीर को लगता था कि वह मेरी शिक्षा का जादू था... मैं जानता था कि वह उसके समर्पण और आस्था का जादू था।
‘‘का़फी दिलचस्प कहानी है कबीर की।’’ मीरा की आँखों का कौतुक संतुष्ट लग रहा था।
‘‘अभी कहानी खत्म नहीं हुई है।’’ मैंने मीरा से कहा। दरअसल कोई भी कहानी कभी खत्म नहीं होती; अलि़फ-लैला की दास्तानों की तरह एक के बाद दूसरे किस्से निकलते आते हैं; ‘‘आगे की कहानी सुनने से पहले आपको माया को जानना होगा।’’
‘माया?’
‘‘हाँ; माया प्रिया की सहेली है।’’
‘कहिए।’ मीरा ने रिलैक्स होते हुए पीछे की ओर पीठ टिकाई।
चैप्टर 17
प्रिया के सेलफोन की घंटी बजी। प्रिया ने फ़ोन उठाया। दूसरी ओर से आवा़ज आई, ‘‘हाय प्रिया! हाउ आर यू?’’
‘‘हे माया! आई एम गुड, हाउ अबाउट यू?’’ प्रिया ने चहकते हुए कहा।
‘‘अच्छी हूँ... तुझे एक गुड न्यू़ज देनी है; मैं लंदन आ रही हूँ, मुझे जॉब मिली है तेरे शहर में।’’
‘‘वाओ! दैट्स ग्रेट... कब आ रही है?’’
‘‘नेक्स्ट सैटरडे।’’
‘‘ब्रिलियंट; मेरा फ्लैट है लंदन में, आई वुड लव यू टू स्टे विद मी।’’
‘‘तुझे कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी?’’
‘‘प्रॉब्लम कैसी? आई विल एन्जॉय योर कंपनी।’’
‘‘आई मीन तेरा कोई बॉयफ्रेंड होगा।’’
‘‘फ्लैट शेयर करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है; बस बॉयफ्रेंड से दूर रहना।’’ प्रिया ने ठहाका लगाया।
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