RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
चैप्टर 18
‘‘कबीर, तुम्हारे ग्रेड्स बहुत अच्छे हैं; हमारी फ़र्म तुम्हें बहुत अच्छा पैकेज दे सकती है।’’ माया ने कबीर का सीवी देखते हुए कहा।
‘‘मगर माया, मैं अभी जॉब नहीं करना चाहता; अभी तो मैंने तय भी नहीं किया है कि मैं क्या करना चाहता हूँ।’’
‘‘कबीर, तुम्हारे पेरेंट्स इंडिया से यहाँ इसीलिए आए थे, कि तुम पढ़ाई पूरी करने के बाद भी ये तय न कर सको कि तुम्हें करना क्या है? क्या उन्होंने तुम्हें इतनी अच्छी एजुकेशन इसलिए दी, कि तुम सड़कों पर गिटार बजाते फिरो?’’ माया ने कबीर को झिड़का।
‘‘वेल दैट्स फन, आई सेड आई एम एन्जॉयिंग माइ लाइफ।’’
‘‘एंड आई सेड, यू नीड टू टेक योर लाइफ सीरियसली; आई एम सेंडिंग योर सीवी टू द एचआर, यू विल हियर फ्रॉम अस सून।’’ माया ने कबीर के सीवी पर कुछ लिखते हुए कहा, ‘‘और हाँ, आज शाम को मुझे घर पर मिल सकते हो?’’
‘‘अब क्या मुझे घर पर भी नौकर रखोगी।’’ कबीर ने म़जाक किया।
‘‘नहीं, मुझ पर तुम्हारा डिनर उधार है।’’ , एक लम्बे समय के बाद माया के होठों पर मुस्कान आई, ‘‘और हाँ, अपना गिटार भी लेकर आना... तुम गिटार बहुत अच्छा बजाते हो।’’
शाम को कबीर, प्रिया के अपार्टमेंट पहुँचा; एक खूबसूरत गुलदस्ता और शैम्पेन की दो बोतलें लिए।
‘‘प्ली़ज कम इन।’’ माया ने दरवा़जा खोलते हुए कहा।
‘‘थैंक्स, यू आर लुकिंग वेरी प्रिटी।’’ कबीर ने गुलदस्ता माया के हाथों में दिया और उसके बाएँ गाल से अपना बायाँ गाल मिलाया।
‘‘थैंक्स कबीर, प्ली़ज हैव ए सीट।’’
कबीर ने सो़फे पर बैठते हुए अपनी ऩजरें लिविंग रूम में घुमार्इं। उसे आश्चर्य हुआ, कि लिविंग रूम की सजावट बिल्कुल वैसी ही थी, जैसी कि प्रिया छोड़ गई थी। फूलदानों में रखे फूल भी बदले नहीं गए थे, जो अब कुछ मुरझाने भी लगे थे। पिछले एक हफ्ते से वहाँ रह रही माया ने फ्लैट की सजावट में अपनी कोई पसंद या अपना कोई किरदार नहीं जोड़ा था।
‘‘माया! एक हफ्ते बाद भी यह फ्लैट प्रिया का फ्लैट ही लग रहा है; ऐसा लग ही नहीं रहा कि यहाँ कोई माया भी रह रही है।’’ कबीर ने थोड़े शिकायती अंदा़ज में कहा।
‘‘यह प्रिया का ही फ्लैट है, मैं तो बस मेहमान हूँ यहाँ।’’
‘‘हाँ, मगर मेहमान की भी तो अपनी कोई पसंद होती है; जिस घर में माया रह रही है, उसे देखकर माया के बारे में भी तो कुछ पता चले।’’
‘‘क्या जानना चाहते हो मेरे बारे में?’’
‘‘बहुत कुछ... फ़िलहाल तो मैं उस माया को जानता हूँ, जो प्रोफेशनल है, बॉसी है; जिसे सक्सेस, मनी और पॉवर पसंद है... मगर वह माया कैसी है, जो घर पर रहती है? उसे क्या पसंद है? उसे कौन से रंग पसंद हैं, कौन से फूल पसंद है, कैसी तस्वीरें पसंद हैं, कैसा म्यू़िजक पसंद है... वह माया कितनी रोमांटिक है; उसे लड़के कैसे पसंद हैं..।’’
‘‘कबीर..।’’ माया ने आँखों के इशारे से कबीर को झिड़का।
‘‘ओके; माया को लड़के पसंद नहीं हैं।’’ कबीर ने शरारत से हँसते हुए कहा।
‘शटअप!’ माया ने एक बार फिर उसे झिड़का।
‘‘लेट्स हैव सम ड्रिंक्स फर्स्ट... शायद ड्रिंक करके तुम कम्फर्टबल हो जाओ।’’
‘‘आई थिंक इट्स ए गुड आइडिया।’’
शैम्पेन की बोतल खोलकर फ्लूट्स में उड़ेलते हुए माया ने पूछा। ‘‘तुम शैम्पेन की दो बोतल क्यों लाए हो?’’
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