RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
‘‘माया इ़ज ए स्टार; हमारी फ़र्म किसी को भी इतनी आसानी से रिक्रूट नहीं करती; मगर माया ने तुम्हें रिकमेंड किया तो हमें एक बार भी सोचना नहीं पड़ा।’’ निशा ने चलते हुए कहा।
‘थैंक्स।’ कबीर बस इतना ही कह पाया।
पहले दिन ही कबीर को माया की तुलना में छोटा महसूस करना पड़ा। माया न सि़र्फ उसकी सीनियर थी, बल्कि उसने उस फ़र्म में अपनी अच्छी खासी रेपुटेशन भी बना रखी थी; और कबीर की परेशानी ही यही थी। उसका मन उसे माया के अधीन होने को खींचता था। उसे डर था कि कहीं वह माया के आगे समर्पण न कर बैठे।
कबीर ने इंडक्शन पूरा किया, मगर माया से कतराता रहा। पूरे दिन उसने माया से ऩजरें चुराईं। अगले कुछ दिन भी यही हुआ। कबीर काम पर जाता, काम में मन लगाने की कोशिश करता, मगर माया से ऩजरें चुराता रहता। माया को बेचैनी हुई। माया की फ़र्म में लगभग हर किसी को अंदा़ज था, कि कबीर की जॉब माया की सिफारिश से लगी थी, और हर कोई ये महसूस कर रहा था, कि कबीर माया से कतरा रहा था।
‘‘हाय कबीर! माया कहाँ है?’’ कबीर को ऑफिस की कैंटीन में अकेले बैठे, कॉ़फी पीते देख निशा ने पूछा।
‘‘माया बि़जी है।’’ कबीर ने रूखा सा जवाब दिया।
‘‘इतनी बि़जी कि तुम्हारे साथ एक कप कॉ़फी भी नहीं पी सकती?’’
‘‘ये तो माया ही जाने।’’ कबीर का जवाब अब भी रूखा ही था।
‘‘कोई प्रॉब्लम है तुम दोनों के बीच?’’
‘‘नहीं निशा; तुम जानती हो माया को अपना काम पसंद है।’’ कबीर को अहसास हुआ कि वह निशा के साथ बेरुखी से बात कर रहा था।
‘‘और तुम्हें माया।’’ निशा ने मुस्कुराते हुए कहा।
‘‘ये क्या कह रही हो निशा!’’ कबीर ने निशा से आँखें चुराते हुए कहा।
‘‘माया को देखकर जिस ते़जी से तुम्हारा दिल धड़कता है, उसकी आवा़ज कोई भी सुन सकता है।’’ निशा ने एक बार फिर शरारत से मुस्कुराकर कहा।
‘‘सिवा माया के।’’ कबीर के मुँह से अनायास निकल पड़ा।
निशा मुस्कुराती हुई कबीर का शर्म से लाल हुआ चेहरा देखती रही। कबीर ने शरमाकर आँखें झुका लीं।
निशा के सामने अपने प्रेम को स्वीकार कर लेने के बाद, कबीर की उलझनें और भी बढ़ गयीं। अब वह सि़र्फ माया से ही नहीं, बल्कि हर किसी से ऩजरें चुराने लगा। इससे उसका काम भी प्रभावित होने लगा, साथ ही ऑफिस में भी यह फुसफुसाहट होने लगी, कि कबीर और माया के बीच कुछ गड़बड़ है। माया का इससे परेशान होना स्वाभाविक था। एक दिन माया ने कबीर को फ़ोन किया,
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