RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
‘‘सॉरी निशा, मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है, आई थिंक आई शुड गो होम।’’ माया, निशा की बाँह को अपनी गर्दन से हटाती हुई उठ खड़ी हुई। निशा ने उसे रोकना ठीक नहीं समझा।
घर लौटकर माया, कबीर और निशा की बातों पर गौर करती रही ‘सच ये है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ, और तुम भी मुझसे प्यार करती हो।’, ‘कबीर के चेहरे पर लिखा है, बड़े बड़े कैपिटल लेटर्स में– ही इ़ज इन लव विद माया।’, ‘तुम उसे एक चांस क्यों नहीं देती? आई टेल यू, ही विल वरशिप द फ्लोर यू वुड वॉक ऑन।’’ कबीर उसे चाहता है, उससे प्यार करता है; क्या वह भी कबीर को चाहती है? कबीर ने उसे कितना बदल दिया है; और उसने वह बदलाव प्रसन्नता से स्वीकार भी किया है। क्यों उसने ख़ुद पर कबीर का इतना असर होने दिया? क्या यही प्यार है? क्या अपने प्रेम को न पहचानकर वह ग़लती कर रही है? माया की रात इन्हीं सवालों से जूझते हुए बीती।
अगले दिन काम पर, माया कबीर से ऩजरें चुराती रही, मगर बहुत देर तक वह कबीर को ऩजरअंदा़ज नहीं कर पाई। उसका ख़ुद का मन कबीर से मिलने का हो रहा था। वह कबीर से बात करना चाहती थी, मगर क्या और कैसे, यह उसे समझ नहीं आ रहा था। दोपहर को उसने कबीर को फ़ोन लगाया।
‘‘कबीर, क्या तुम शाम को मुझे घर पर मिल सकते हो?’’
‘‘हाँ माया।’’ कबीर ने बस इतना ही कहा।
कबीर खुश था। उत्साहित था। उसे पूरी उम्मीद थी कि माया ने उसे उसका प्रेम स्वीकारने के लिए ही बुलाया था। माया के लिए एक खूबसूरत सा गुलदस्ता लेकर वह उसके अपार्टमेंट पहुँचा। माया ने दरवा़जा खोला। कबीर ने उसके बाएँ गाल को चूमते हुए, गुलदस्ता उसके हाथों में दिया।
‘‘कम इन कबीर, प्ली़ज हैव ए सीट।’’ माया ने सो़फे की ओर इशारा किया।
कबीर ने अपनी ऩजर लिविंग रूम में घुमाई। आज लिविंग रूम का रूप कुछ अलग ही था। शो केस की बदली हुई सजावट, ब्राइट शैम्पेन रंग के पर्दे, फ्लावर पॉट्स में जास्मिन, डे़जी और डहलिया के फूलों के गुलदस्ते। सराउंड साउंड सिस्टम में धीमा जा़ज संगीत बज रहा था।
‘‘हूँ... आज लग रहा है कि यहाँ माया रहती है; आज ये प्रिया का नहीं, माया का अपार्टमेंट लग रहा है।’’ कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा।
‘‘कबीर, क्या तुम प्रिया को बिल्कुल भूल जाना चाहते हो?’’ माया ने धीमी आवा़ज में पूछा।
‘‘माया, मैं तुम्हें चाहता हूँ, और तुम्हारे लिए मैं सब कुछ भूलने को तैयार हूँ।’’ कबीर ने भावुक स्वर में कहा।
‘‘और कल किसी और के लिए मुझे भी भूल जाओगे।’’
‘‘माया, तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?’’
‘‘भरोसा तो प्रिया ने भी किया है तुम पर।’’
‘‘माया, मैंने आज तक प्रिया से कोई प्रॉमिस नहीं किया है; मगर मैं आज तुमसे एक प्रॉमिस करता हूँ।’’ कबीर सो़फे से उठकर माया के सामने घुटनों के बल बैठा, और माया के बाएँ पैर को अपने हाथों में लिया, ‘‘प्ली़ज एक्सेप्ट मी ए़ज योर स्लेव मैडम! आई प्रॉमिस टू स्पेंड माइ लाइफ इन योर सर्विट्यूड।’’ कहते हुए कबीर ने माया के पैर पर अपने होंठ रख दिए।
माया का दिल ज़ोरों से धड़का। उसने कबीर को बाँहों से पकड़कर उठाया, और उसके चेहरे को अपनी बाँहों के बीच भींचकर सीने से लगा लिया।
कबीर को माया की ते़ज धड़कन सा़फ सुनाई दे रही थी। ऐसी धड़कन टीना के सीने में नहीं थी। माया वाकई उससे प्रेम करने लगी थी।
कबीर के होंठ माया की गर्दन पर सरके, और उसके चेहरे पर पहुँचकर उसके होठों से सट गए। माया और कबीर एक होने लगे; प्रिया के घर पर, प्रिया के काउच पर... प्रिया को पूरी तरह भूलकर।
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