RE: Indian Sex Kahani डार्क नाइट
‘‘मैं समझता हूँ माया... तुम कहती हो तो मैं कुछ दिन प्रिया से नहीं मिलता, धीरे-धीरे उसे ख़ुद समझ आने लगेगा।’’
‘‘तुम्हें जो ठीक लगता है करो कबीर; मगर मैं तुम्हें पहले भी कह चुकी हूँ, मैं अपना बॉयफ्रेंड किसी के साथ शेयर नहीं कर सकती... प्रिया के साथ भी नहीं।’’ माया ने सा़फ शब्दों में कबीर को चेतावनी दी।
अगले दिन कबीर के पास प्रिया का फ़ोन आया।
‘‘हाय कबीर!’’
‘‘हाय प्रिया! कैसी हो?’’
‘‘अच्छी हूँ; आज शाम डिनर पर आ रहे हो न?’’ प्रिया ने उत्साह से पूछा।
‘‘सॉरी प्रिया, आज कुछ ज़्यादा काम है; काम पर देर तक रुकना होगा।’’ कबीर ने बहाना बनाया।
‘‘जब काम खत्म हो जाए तब आ जाना; घर ही तो है, कोई रेस्टोरेंट थोड़े ही है।’’ प्रिया को कबीर का बहाना अच्छा नहीं लगा।
‘‘प्रिया, तुम्हें बेकार ही मेरे लिए वेट करना पड़ेगा; ऐसा करते हैं, कल जल्दी काम निपटाकर आता हूँ।’’ कबीर ने प्रिया को आश्वस्त करना चाहा।
‘‘ओके कबीर; मगर कल कोई बहाना नहीं चलेगा।’’ प्रिया ने थोड़े मायूस स्वर में कहा।
‘‘बहाना नहीं बना रहा प्रिया, प्ली़ज अंडरस्टैंड मी।’
’
‘‘ओके फाइन, लव यू कबीर।’’
‘‘आई लव यू टू।’’ कहते हुए कबीर ने फ़ोन काट दिया।
प्रिया को कबीर का व्यवहार एक बार फिर विचित्र लगा। कबीर में उससे मिलने की कोई व्यग्रता न देख प्रिया की चिंता बढ़ गई।
अगले दिन भी कबीर ने व्यस्तता का बहाना बनाया। कबीर का रवैया प्रिया की बर्दाश्त से बाहर होने लगा। उसका कबीर पर शक पुख्ता हो गया।
दो दिनों बाद प्रिया ने कबीर को फ़ोन किया,
‘‘कबीर, अगर तुम मुझसे मिलने नहीं आ सकते, तो मैं ही तुमसे मिलने आ जाती हूँ।’’ प्रिया ने गुस्से से कहा।
‘‘आई एम वेरी सॉरी प्रिया; क्या तुम लंच पर बॉम्बे स्पाइस पहुँच सकती हो? मैं भी वहीं पहुँचता हूँ।’’
‘‘ओके, वन ओक्लॉक?’’ प्रिया ने खुश होते हुए कहा।
‘‘येह, दैट्स फाइन, सी यू प्रिया।’’
एक बजे प्रिया और कबीर, बॉम्बे स्पाइस रेस्टोरेंट पहुँचे। रेस्टोरेंट के भीतर माहौल अच्छा था, मगर भीड़ कम थी। इंडियन करी रेस्टोरेंट में भीड़ शाम को ही अधिक होती है। लंच में फ़ास्ट़फूड की माँग अधिक होती है।
कबीर ने खाना ऑर्डर किया। प्रिया की अधिक दिलचस्पी कबीर से बात करने में थी।
‘‘कबीर, क्या हो गया है तुमको? तुम्हारे पास मुझसे मिलने का समय भी नहीं है।’’ प्रिया ने नारा़जगी दिखाई।
‘‘आई एम रियली वेरी सॉरी प्रिया, मगर अब तो आ गया हूँ।’’ कबीर ने बहुत विनम्रता से कहा।
‘‘कबीर, तुम्हें यह जॉब करने की क्या ज़रूरत है?’’
‘‘प्रिया, क्या कह रही हो! मुझे अपना करियर तो बनाना है न? कोई न कोई जॉब तो करनी ही होगी।’’
‘‘मैं भी वही कह रही हूँ, यही जॉब क्यों?’’
‘‘इस जॉब में बुराई क्या है प्रिया? अभी कुछ ज़्यादा काम है, कुछ दिनों में नॉर्मल हो जाएगा।’’
‘‘कबीर, तुम डैड की फ़र्म क्यों नहीं ज्वाइन कर लेते? इस छोटी सी जॉब में तुम्हें क्या मिलता होगा! डैड तुम्हें बहुत अच्छी पो़जीशन और पैकेज दे सकते हैं।’’
‘‘प्रिया, तुम्हें मेरी पो़जीशन से दिक्कत हो रही है?’’
‘‘मुझे तुम्हारे समय न देने से दिक्कत हो रही है; और तुम्हें डैड की फ़र्म ज्वाइन करने में क्या दिक्कत है?’’
‘‘पहले मुझे किसी बड़ी पो़जीशन के लायक तो बनने दो; तुम्हारी सिफारिश से मुझे पो़जीशन तो बड़ी मिल जाएगी, मगर उसे सँभालना तो मुझे ही होगा।’’
‘‘कबीर, ये जॉब भी तो तुम्हें माया की सिफारिश पर ही मिली है...।’’
|