RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मुझे अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था. आखिर मेरी बोरिंग जिंदगी में पहली बार कुछ दिलचस्प हो रहा था.
मैंने पूछा – “तुम्हारा नाम क्या है?”
उसने मुस्कुराते हुए कहा – “सोमलता”.
“अच्छा नाम है”, मैंने भी मुस्कुराते हुए जबाब दिया. वोह अन्दर आई और एक कुर्सी पर बैठ गयी. मैंने अभी तक ब्रश भी नहीं किया था. मैं कहा – “सुनो सोमलता, तुम बैठो. मैं जल्दी से ब्रश कर आता हूँ.”
वह मेरी और देखी, मुस्कुराई और बोली – “अरे बाबु, बाद में नहा ही लेना. अभी हमारे पास ज्यादा समय नहीं है.” और हल्की सी आँख भी मारी.
मैं जोर से हंसा. “एक कप चाय हो सकती है?” मैंने हँसते हुए पूछा.
“हाँ, क्यों नहीं”, उसने भी हँसते हुए कहा और मेरे साथ रसोई में आ गयी.
मै गैस ओवन चालू कर चाय बनाने लगा. वह मेरे पीछे खड़ी थी. उसने कहा – “बाबु तुम तो बाहर बड़े शहर में रहते हो. अच्छी नौकरी भी करते हो. जरूर तुम्हारी कोई लड़की दोस्त होगी. वोह क्या कहते है अंग्रेजी में? हाँ, गर्लफ्रेंड”.
मुझे हंसी आई. मैंने कहा – “हाँ थी. अब नहीं है.”
उसने बड़ी मासूमियत से पूछा – “क्यों?”
मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या जबाब दूँ. मैं आखिर में कहा – “यार, हमारे बीच कुछ सही से जम नहीं रहा था इसलिए अलग हो गया”
उसने एक गहरी साँस लेकर कहा – “चलो अच्छा हुआ बाबु. जब नहीं जमे तो अलग होना ही अच्छा होता है.” फिर उसने चुहलबाजी से पूछा – “तो कब से यह तुम्हारा लंड चूत के लिए तरस रहा है?” और मेरे लंड को बॉक्सर के ऊपर से एक थपकी दी.
मै चाय कप में उड़ेलते हुए कहा – “लगभग 8 महीने हो गए”.
“ओ, बेचारा. कब से तरस रहा है”, यह कह उसने मेरे लंड को कपड़े के ऊपर से मसल दिया.
“अआह्ह”, मेरे मुंह से एक मीठी सिसकारी निकली. “मेरी छोडो. तुम अपने बारे में बताओ. तुमने मुझे कैसे अपने जाल में फंसा लिया?”, मैंने चाय का कप आगे बढ़ाते हुए पूछा और आँख मारी. हम सोफे पे बैठ गए अपने-अपने चाय के कप के साथ.
उसने चाय की एक चुस्की ली और सोफे पर पीठ गड़ाते हुए आराम से बैठ गयी. बैठने के दौरान उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा निचे खिसक गया. उसने गहरे बैंगनी रंग की ब्लाउज पहनी थी. निचे का सफ़ेद ब्रा का पता ब्लाउज के ऊपर से चल रहा था. उसकी चुचियाँ ब्रा पहनने की वजह से कसी हुई लग रही थी. उसने गहरे गले में कोई आदिवासी टैटू बनाया था, जो आदिवासी औरतो में आम बात है.
वह मेरी आँखों में देखी और बताना शुरू किया – “बाबु, 5 साल पहले मेरी शादी हुई. मेरा मरद दिल्ली में काम करता था. मै भी कुछ महीने वहां रही उसके साथ, शादी के बाद. फिर वोह मुझे अपने गाँव छोड़ गया. एक साल हो गए, न कभी घर आया न ही कोई खबर किया. सब कहते है कि उसने वहां शादी-बच्चे कर लिया है. मेरे सास-ससुर भी मर गए. मैं अकेली रहती हूँ और पेट पलने के लिए मजदूरी करती हूँ. गाँव के मर्दों से बहुत डर लगता है बाबु. सब अकेली औरत समझकर हमेशा पीछे लगे रहते है. दो दिन पहले जब मैं काम कर रही थी. मैं सामान लाने घर के पिछवाड़े में गयी. तुम तब पुराने बाथरूम में नहाने गए थे. मैंने जब टूटे दरवाजे से देखी तो तुम अपने लंड से खेल रहे थे. मैं समझ गयी की तुम्हारा भी मेरा जैसा ही हाल है. तुमसे चुदवाने से मुझे कोई डर भी नहीं है. और तुम तो अच्छे आदमी हो बाबु.” उसने बड़ी मासूमियत से मेरी तरफ मुस्कुरा दी.
मुझे न जाने क्यों उसपे बड़ा प्यार आ रहा था. इसमें हवस जैसी कोई बात नहीं थी. यह तो दिल की बात थी. मैं अपने आप पर ही हंस दिया.
सोमलता ने उत्सुकता से पूछा – “क्या हुआ बाबु?”
मैंने कहा – “कुछ नहीं.”
वह थोड़ा उदास हो कहा – “जानती हूँ. तुम सोच रहे होगे कि मुझ जैसी 35 साल की गंवार औरत के साथ क्या कर रहा हूँ. यही ना?”
मैं चाय का कप मेज पर रखा और उसके और नजदीक जाकर उसके दोनों कंधे पर हाथ रखकर कहा – “नहीं रे. मुझे अपने किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा है. इसलिए हंस रहा था. सबकुछ इतना अचानक हो रहा है ना.”
उसने अपना चेहरा मेरे सामने की और मेरी आँखों में गहराई से देखकर कहा – “मजाक मत करो बाबु. मैं कुछ पाने के लिए यह नहीं कर रही हूँ. तुम सच में मुझको अच्छे लगते हो.”
मैं दोनों हथेलियों से उसके नरम गालो को प्यार से दबाया और उसके होंठो को बिल्कुल अपने होंठो के पास लाते हुए कहा – “मुझे पता है रे.”
वह थोड़ा शरमाते हुए मुस्कुरा दी. हमारे होंठ इतने पास-पास थे की हमें एक-दुसरे के गर्म सांसो का अनुभव हो रहा था. अब मैंने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया. सोमलता की लम्बाई मुझसे लगभग एक फीट कम थी. मुझे झुकना पड़ा उसके होंठो को ठीक से पाने के लिए. उसके दोनों बांहों से मेरी कमर को कास कर पकड़ लिया. मेरी दोनों हथेलियाँ अभी भी उसकी गालो को थामे हुए थी.
सोमलता अपने आँखों और होठों को बंद किये हुए थी. मैं उसकी बाहरी होंठों को जोर-जोर से चूस रहा था. थोड़ी देर में उसने अपने होंठो को अलग किया और उसके उसके मुँह से अजीब सी तेज महक आई. शायद यह कच्चे प्याज की महक थी. मै अपने मुँह को परे हटा दिया. वह आँख खोलकर नजर मिलकर बोली – “क्या हुआ बाबु? अच्छा नहीं लगा?”
मै बस मुस्कुराकर रह गया. शायद उसको असली बात का पता चल गया. वह थोड़ा उदास हो गयी. मैंने उसको बाँहों के कसकर भर लिया और बड़े प्यार से कहा – “सोमलता रानी, कोई बात नहीं. मुझे तुम्हारी महक अच्छी लगी. बस आदत नहीं है ना” यह कहकर मैंने उसकी गांड को कसकर दबाया.
वह थोड़ा शरमाकर बोली – “बाबु तुम बड़े बदमाश हो” और मै जोर से हंस दिया. मैंने अपने होंठो को उसके होंठो से मिलाया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दिया.
सोमलता मेरे जीभ को धीरे-धीरे चूस रही थी. मैं तो जैसे सातवे आसमान में था. मै अपने हाथो को उसकी पीठ पर ले गया. उसकी पीठ नरम नहीं थी. थोड़ा सख्त था, क्योंकि वह मजदूरिन थी. लेकिन उसकी त्वचा काफी चिकनी थी. मैं उसकी पीठ को सहला रहा था और बीच-बीच में ब्लाउज के अन्दर ऊँगली डालकर उसकी ब्रा की फीते को खींचता भी था. वह तो जैसे पुरी तरह से मुझ में खो गयी थी. हम लगभग 15 मिनट से चुम्मा-चाटी कर रहे थे. अचानक वह रुक गयी और दोनों हाथों से मेरी छाती पर हल्का सा धक्का देकर अलग हो गयी.
मैंने हैरानी से पूछा – “क्या हुआ रानी?”
वह मेरी बॉक्सर की बॉर्डर को खींच कर बोली – “बाबु, ज्यादा समय नहीं. सारे काम करने वाले आ जायेंगे. हमे जल्दी काम निपटाना होगा. चलो तुम्हारे कमरे में चलते है.” वह बॉक्सर के साथ मुझे खीचने लगी.
मैं बोला – “मेरे कमरे में नहीं. वह कमरा रस्ते के सामने है. बाहर आवाज जाएगी. हम अंदर के कमरे में जायेंगे.” मैंने बाहरी गेट को अन्दर से बंद किया और सोमलता को कमर से पकड़कर अन्दर कमरे में ले गया.
अन्दर का कमरा कभी इस्तेमाल नहीं होता था. एक तो काफी अँधेरा था और सामानों से ठुंसा पड़ा था. कोई खाट भी नहीं था. मै एक गद्दा लाया और फर्श पर बिछाया. मैंने शरारत भरी नज़रो से सोमलता की और देखा. वह भी मंद-मंद मुस्कुरा रही थी. मैंने उसकी हाथ को खींचकर अपने करीब लाया. उसकी सांसे तेज चल रही थी. मैं काफी जोर से सोमलता को बाँहों में जकड़ा हुआ था. मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था जो उसकी पेट से चिपका हुआ था. अब मैं उसकी चिकनी बदन का दर्शन करना चाहता था. मैं उसकी साड़ी के पल्लू को हटा ही रहा था कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक दिया.
“क्या हुआ रानी?” मैंने पूछा.
वह इठलाते हुए बोली – “बाबु, आप आराम से बैठो. आज सब कुछ मैं करुँगी.”
मैं उसकी बायीं गाल पर एक चुम्मा जड़ते हुए ख़ुशी से कहा – “जैसे तुम्हारी इच्छा रानी” और मैं गद्दे पर गिर गया. दीवार से पीठ टिकाकर मैं ललचाई नजरों से सामने खड़ी सोमलता को देख रहा था. वह मेरी आँखों में देखकर धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी.
वह धीरे से अपना पल्लू हटायी और साड़ी को समेटते हुए अपने कमर से खोलने लगी. पुरी साड़ी को खोलकर बगल पड़ी कुर्सी में रक्ख दी. अब मेरी रानी ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी. गहरे बैंगनी रंग के ब्लाउज और अंदर से झांकता हुआ सफ़ेद ब्रा, कमाल लग रही थी. निचे सफ़ेद पेटीकोट पहने हुई थी. उसका पेट सपाट था लेकिन नाभि गहरी थी. स्तनों का आकर लगभग 36 होगा जो उसकी ब्लाउज में कैद थी. अब उसने अपनी ब्लाउज के हुक खोलना शुरू किया. मेरा लंड तो बॉक्सर फाड़ने को बेताब था. मैं बॉक्सर के ऊपर से उसको सहला रहा था. धीरे-धीरे सारे हुक खोलने के बाद उसने ब्लाउज को कंधे से सरकाना शुरू किया और मेरी धड़कन बढ़ने लगी. मुझे खुद अपनी धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी. लंड का तो हाल ना पूछो, ऐसा लगता था की शरीर का सारा खून लंड की नसों में आ गया है. अब सोमलता ने पूरा ब्लाउज उतार दिया. मेरे मुँह से निकला – “ओह माय फ़किंग गॉड !”
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