RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
वह फ़ौरन मेरे ऊपर से हट गयो और मेरे लंड को दोनों हथेलियों में लेकर मेरी मुठ मरने लगी. 7-8 झटको के बाद मेरा लंड तेज तेज पिचकारी मरने लगा. मेरा बिर्य उछल कर उसके सिने और मेरे पेट पर आ गिरा. वह तबतक मेरे लंड को हिलाए जा रही थी जबतक की वह सिकुड़ नहीं गया.
इसके बाद उसने मेरे होंठो का रस चूसा और उठकर खड़ी हुई और धीरे-से पूछा – “बाबु, नहाने का कमरा किधर है?”
मैंने हलके से आँख खोलकर अपनी दायें और इशारा किया. मैं इस पल को महसूस कर रहा था आँख बंद कर. बाथरूम से नल की आवाज आ रही थी. थोड़ी देर में वह वापस आई तोलिये से अपने बदल को पोंछते हुए. मैं लेते हुए उसकी नंगी बदन को देख रहा था. वह अपने कपड़े पहनने लगी. मेरी और देखकर मुस्कुरा रही थी. उसकी नंगी बदन को देखकर मेरा लंड फिर से जागने लगा. वह सारे कपड़े पहन कर तोलिया रखने बाथरूम से गयी तो मैं भी पीछे से गया और उसको पीछे से पकड़ के उसकी मम्मो को दबाने लगा.
वह मेरी और पलटकर बोली – “बाबु, अभी और नहीं. सबके आने का वक़्त हो गया है” फिर मेरे लंड को देखी, मेरा लंड लगभग खड़ा हो चूका था. वह बोली – “इसको मैं ठीक करती हूँ”. बाथरूम में तेल की शीशी लेकर थोड़ा तेल हथेलियों में लगाकर मेरे लंड को मसलने लगी. मेरे लंड की पानी निकाल कर तोलिये से पोंछते हुए बोली – “बाबु, मालकिन कब आएगी?”
“परसों” मैंने कहा. “ठीक है मैं कल फिर आउंगी.”
सोमलता कमरे से बाहर चली गई. मैं बहुत खुश था क्योंकि यह मेरी जिंदगी की सबसे बढ़िया सेक्स था. मैं हमेशा से ही एक अच्छा बेटा, अच्छा छात्र, अच्छा कर्मचारी बनने में ही अपनी आधी जिंदगी गुजारी थी. मेरी पिछली प्रेमिका से मेरा नाता टूटने का कारण थी यही था. खैर पिछली जिंदगी तो बीत गयी, अब वक़्त मुझे इतना अच्छा मौका दे रही है मुझे इसका इस्तेमाल करना चाहिए. मैं नंगा ही कमरे से बाहर गया. वह बाहर बरामदे में बैठकर बाकी काम करने वाले का इंतज़ार कर रही थी. मैं मेन गेट बंद कर बाथरूम में गया, ब्रश किया, नहाया खासकर मेरे लिंग को अच्छे तरह से धोया. मैंने पाया की मेरे लंड के आस-पास झांट काफी बढ़ गए है. मैं अगले आधे घन्टे उसको कैंची से काटने में बिताये फिर अच्छे तरह से नहाये. नहाते नहाते फिर सोमलता की बदन, उसकी चूचियां, उसकी मस्ती मेरे दिमाग में घुम रही थी जो मेरे लंड को फुल-साइज़ में लाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया और शावर में ही मुठ मरने लगा. मैं कल सुबह तक का इंतज़ार नहीं कर सकता था उसकी चूत पाने के लिए. मेरे पास आज और कल का समय था फिर मेरे परिवार के आने के बाद मुझे छुपकर मुठ मारकर की काम निकलना पड़ेगा.
मैं बाथरूम से बाहर निकला और सोमलता को फिर से बिस्तर में लाने का तरीका सोचने लगा. 9 बज गए थे. बाकी के काम करनेवाले आ गए थे, सोमलता बिल्कुल साधारण भाव से काम कर रही थी और मुझसे तो बिल्कुल साधारण थी. न ज्यादा चिपक रही थी ना ही ज्यादा भाग रही थी. एक औरत जो मेरे साथ सोई, मुझे जिंदगी का सबसे अच्छा सेक्स अनुभव दी, वह मेरे सामने मजदूरी कर रही है यह देखकर मुझे दुःख हो रहा था लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था.
जैसे-तैसे दोपहर हुआ. बाकी सबके जाने के बाद वह खाना खाकर पानी पीने अन्दर आई. मैंने उसको लपक लिया और एक चुम्मा जड़ दिया होंठो पर.
वह मुझे धक्का देकर अलग हो गयी और बनावटी गुस्से से बोली – “तुम मर्दों को और कुछ नहीं सूझता क्या? हमेशा चूत और चूची में ही घुंसे रहते हो. अभी नहीं हो सकता. मुझे पानी पिलाओ.”
मैं शरारत से अपनी बॉक्सर नीचे करते हुए लंड हिलाकर बोला – “इसका पानी तो तुम खुद निकल कर पी सकती हो”
वह दौड़ कर मेरा बॉक्सर ऊपर कर धीरे से चिल्लाई – “क्या करते हो बाबु? थोड़ा ख्याल रखो, इस भरी दोपहर में ऐसा मत करो. जाओ पीने का पानी लाकर दो.”
मैं किचेन से पानी लाया और देते हुए बोला – “रानी, हमारे पास सिर्फ दो दिन है और मैं कल सुबह का इंतज़ार नहीं कर सकता. आज रात भर तुम यहाँ नहीं आ सकती?”
वह पानी पीकर जग मुझे देकर बोली – “मुझे घर जाना पड़ेगा और कल काम पर आना भी पड़ेगा”
मैंने बोला – “अरे उसकी चिंता मर करो. मैं देर रात को तुम्हे तुम्हरे गाँव से लेकर आऊंगा और कल की छुट्टी ले लो. बोलो की तबियत ख़राब है, काम पे नहीं आ सकती.”
वह जाते हुए बोली – “ठीक है. सोच के देखूंगी.”
मैं घुटनों पर बैठकर उसकी दोनों हाथो को पकड़कर विनती की – “प्लीज रानी”
वह हँसते हुए बोली – “ठीक है” और अपनी कमर कुछ ज्यादा ही लचकते हुए चली गयी.
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