RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
शाम को जब मैंने सारे लोगो का भुगतान किया तो वह ठेकेदार को बोली – “बाबु, मेरा सर बहुत दुःख रहा है मैं कल नहीं आ पाऊँगी. घर में आराम करुँगी.”
मैं कहा – “मेरे पास सरदर्द की दवा रक्खी है. तुम चाहो तो ले सकती हो.”
इतने में ठेकेदार बोला – “ठीक है. तू कल मत आ. वैसे कल काम भी कम है. हम लोग चलते है. तू साहब से दवा लेकर आ पीछे.”
सोमलता मेरे पीछे घर के अन्दर आई. मैंने उसे एक फ़ोन दिया जो पहले से ही साइलेंट मोड पर था और उसका नंबर नया था. मैं फ़ोन देकर बोला – “देख रात के 11 बजे मैं मोटर बाइक से आऊंगा और तुझे फ़ोन करूँगा. तू बस यह अपने साथ रखना. फ़ोन आने पर यह वाला बटन दबाना और मुझसे बात कर लेना” मैं उससे उसकी घर का पूरा नक्सा समझ लिया.
वह बोली – “बाबु एक दिक्कत है. मोटर साइकिल से आने पर आवाज होगी और रौशनी भी. आस पास के लोगो को पता चल जायेगा. तुम साइकिल से आना”
मैं बोला – “ठीक है” वह मुझसे फ़ोन ली, उसको पेटीकोट की जेब में डाली और चली गयी.
मैं रात की तैयारी में जुट गया. मार्किट गया, चिकेन खरीदा, एक पैकेट कंडोम लिया और घर आया. रात के खाने के लिए चिकेन-रोटी बनाया. फ्रिज में पहले से ही बियर की चार बोतलें थी. आज रात को मैं मेरी रानी पर चढ़ने वाला था. पूरा नियंत्रण मेरे हाथ में था. बस जल्दी से रात हो और 11 बजे.
रात के 10:30 बजे मैं घर से साइकिल लेकर निकला. उसका गाँव लगभग 6 km दूर है. रात के सुनसान शहर में गाँव पहुँचने में आधा घंटा लगा. मैं गाँव का बाहर एक बड़े झाड़ के पीछे रुक गया और उसको फ़ोन किया. पहली रिंग में ही उसने फ़ोन उठा लिया जैसे मेरा फ़ोन का इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसे झाड़ के पीछे आने को कहा, दस मिनट में वह आती दिखी. घूँघट में पूरा चेहरा ढका था.
मेरे पास आकर बोली – “जल्दी से चलो. कोई देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी.”
मैंने उसे साइकिल के सामनेवाले बार पे बैठाया और जोर-जोर से पैडल मरने मेन रोड पर आने के बाद मुझे आराम मिला. अब मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्योंकि कोई देखना वाला नहीं था. मैं साइकिल चलाते उसकी गर्दन को चूम भी रहा था.
वह थोड़ा डरते हुए बोली – “बाबु, जल्दी से घर चलो. इस रात में पुलिस मिल गयी तो बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाओगे.”
मैंने भी वक़्त को समझते हुए सारी ताकत से जोर लगते हुए घर पहुंचा. चुपचाप कोई आवाज नहीं करते हुए अन्दर दाखिल हुआ और सोमलता को अन्दर ले आया. अन्दर दरवाजा बंद करते हुए उसको जोर से अपनी बाँहों में लिया और होंठो को चूसने लगा.
मुझे परे हटाते हुए बोली – “बाबु थोड़ा सब्र करो. तुम्हारे पास मेरे लिए कोई कपड़े होंगे? ”
मैंने उसको मेरी टी-शर्ट और बॉक्सर दी.
वह लजाते हुए बोली – “इसको कैसे पह्नुगी?”
मैंने कहा – “रानी जैसे मैंने पहना है.”
वह मुस्कुराते हुए कपड़े लेकर बाथरूम चली गयी. मैं किचेन में खाना लगाने लगा. खाना टेबल पर रखा तब वह बाथरूम से बाहर आई. मैं उसको देखता ही रहा, क्या गजब की पारी लग रही थी. बाल खुले हुए थे, टी-शर्ट इसकी बड़ी-बड़ी मम्मो पर कसकर लगी हुई थी. अन्दर शायद उसने ब्रा नहीं पहना था.
मुझसे नज़र मिलाने के बोली – “क्या देख रहे हो बाबु? ठीक नहीं लग रही हूँ इस कपड़ो में?”
मैंने उसे अपनी और खींचते और उसकी गांड को देख के बोला – “रानी पुरी आइटम लग रही हो आज. जी करता है आज तुझे खा ही जाऊ.”
वह हँसते हुए बोली – “ठीक है. पहले चलो खाना खाते है.”
खाते हुए बोली – “बाबु, तुमने खाना बहुत ही बढ़िया बनाया है. तुम्हारी बीवी तुमसे बहुत खुश रहेगी. इतना प्यार करती हो, खाना भी अच्छा बनाते हो और सबका ख्याल रखते हो.”
मैं जवाव में मुस्कुरा दिया. खाना ख़तम करने के बाद मैं बियर को दो बोतले फ्रिज से निकली. वह तबतक अन्दर के कमरे में जा चुकी थी और गद्दे बिछाकर मेरा इन्तेजार कर रही थी. मैंने एक बोतल उसकी ओर बढ़ाई तो शरमाते हुए बोली – “बाबु मैं शराब नहीं पीती”
मैं बोतले उसकी हाथ में पकडाते हुए बोला – “रानी पीकर तो देखो”
बोली – “थोड़ा-सा पियूंगी” मैं हाँ में सर हिलाया और बियर की एक घूंट ली. मैं पुरी बोतल ख़तम कर चूका था तो वह चोथाई पिने के बाद बोतल मुझे दे दी. मैंने उसको भी पिया और खाली बोतलें बगल में रखते हुए उसको बाँहों में ले लिया.
वह बोली – “बाबु, खाने के तुरंत बाद चुदाई ठीक नहीं. थोड़ा आराम करते है.”
मैं कहाँ “ठीक है” लेकिन नंगे होकर. वह मेरे माथे पर हल्का चपत लगते हुए बोली – “बदमाश” और अपनी टी-शर्ट उतरने लगी.
मैंने उसको रोककर कहा – “नहीं रानी. आज यह काम मैं करूँगा. तुम मेरे कपड़े उतारो.” और मैं उसके सामने खड़ा हो गया
. वह मेरी शर्ट निकाली, फिर जीन्स फिर अंडरवियर. मेरा लंड तो औरत की महक सूंघकर की टनटना गया था. वह मेरे लंड को गौर से देखी फिर मेरे पेट में एक चिकोटी काटी और बोली – “बाबु तुम्हारा डंडा बहुत बदमाश है. हमेशा तंग करता है.”
मैं हंसा और उसकी टी-शर्ट उतरने लगा. टी-शर्ट खोलते ही मम्मे आजाद हो गए. फिर मैंने पेंट उतारी. अंदर उसने कुछ भी नहीं पहना था. मैं उसको गॉड में उठाकर मेरे बेडरूम में ले गया. बेड पर लेटाने के बाद मैं उसकी बगल मैं लेट गया. हम दोनों एक दुसरे की बदन को मल रहे थे. वह मेरे सख्त लिंग और गोटी को सहला रही थी और मैं उसकी मम्मों को मसाज कर रहा था.
आधे घन्टे तक हम बिना किसी आवाज के एक-दुसरे से बदन से खेलते रहे. अब खेल को आगे बढ़ाने का वक़्त था. मैंने उसको अपने नीचे लिया और उसको चूमने लगा. मेरा लंड उसकी जांघो के बीच में फंस गया. मैं उसको लगातार चूमे जा रहा था और उसकी मम्मो को दोनों हाथो से दबाया जा रहा था. वह चुदास में पागल हो रही थी और अजीब-अजीब आवाज कर रही थी. अपने नाखुनो से मेरे पीठ को खरोंचे जा रही थी. अब मैंने उसकी चुचियों को चुसना शुरू किया. एक को दबाता तो दुसरे को चूसता. वह एकदम चढ़ चुकी थी मेरे इस चुसाई से. मेरे सर को बालो से पकड़ कर अपनी चुचियों में और दबा रही थी और बके जा रही थी – “हाँ बाबु, जोर से चुसो.... चुसो और दूध निकाल दो.... पियो दूध अपनी छिनाल का.... मर गई रे.... हाँ रंडवे, अपनी माँ का भी इसी तरह से चूसा होगा तूने.... मैं तुझे अपनी दूध पिलाऊंगी... आजा मेरे राजा... मेरे बालम” बीच-बीच में गाली भी बक रही थी.
अचानक वो बैठ गयी और मेरे लंड को दोनों हाथो से पकड़कर बोली – “आज तो इसकी सारी पानी निकाल दूंगी” फिर हाथ में थूक लगाकर तेज़ी से मुठ मरने लागी. मेरा लंड 1 घन्टे से टनटना रहा था इसलिए ज्यादा वक़्त नहीं लगा. एक तेज़ धार के साथ मेरा पानी छुट गया और मैं निढाल हो गया. सोमलता मेरे बगल में लेट गयी और मुझे चूमने लगी और मेरे लंड को सहलाने लगी. उसने मेरा बिर्य को साफ़ भी नहीं किया जो उसकी हथेलियों और मेरी कमर में गिरा था. दस मिनट के बाद मेरा लिंग जागने लगा और एक और पारी के लिए तैयार होने लगा.
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