RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
वह धीरे से हंस पड़ी. मैंने रेजर से चूत की दूर से छिलना शुरू किया. रेजर चलने से उसको गुदगुदी होती और वह कांपती. मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ते हुए बोला – “रानी हिलो मत. रेजर चलने में दिक्कत होता था”
आस-पास की बालो को साफ़ करने के बाद मैंने तोलिये से चूत को पोंछा. अब सिर्फ चूत का होंठो के झांट बचे थे जिसको साफ़ करने में सावधानी की जरूरत थी. सोमलता तो आँख बंद कर पुरे बदन को कसकर खड़ी थी. फिर से चूत पर क्रीम लगाया और चूत की होंठो को ऊँगली से खींचकर रेजर चलाना शुरू किया. जैसे-जैसे बाल साफ़ होते गए, उसकी चूत चमकने लगी. अब सारे बाल साफ़ हो चुके थे. मैंने पानी से अच्छी तरह धोया और स्किन क्रीम लगाया. उसकी बदन का रंग सांवला था लेकिन उसकी चूत की फांके गहरे गुलाबी थी और झांटो के हटने के बाद चमक रही थी. शायद चूत में ऊँगली करने के कारण पानी छोड़ रही थी.
मैंने एक छोटा आइना दिया और बोला – “देख लो. तुम्हरी चूत रानी कैसे चमक रही है”
वह शीशे के चूत के निचे लगाकर देखी और थोड़ा शरमा गई और मुझसे लिपट गई.
“अभी और काम बाकी है मेरी रानी” मैंने उसको अलग करते हुए कहा.
वह पूछी – “अब क्या”
मैंने उसकी बायीं हाथ को ऊपर उठाया और सिर के दूसरी और रखते हुए बोला – “ऐसी ही रहना” अब बारी-बारी से दोनों बगलों पर फोमिंग क्रीम लगाकर साफ़ किया. अब वह बिल्कुल एक शहरी औरत जैसी लग रही थी. “चलो हो गया. अब नहाते है” मैंने सेविंग का सामान बैग में रखते हुए कहा.
“आज मैं तुमको नहलाउंगी” मुझे स्टूल पर बैठाया और शावर चला दी. अब साबुन से मेरी पीठ मलने लगी. जोर-जोर से मेरी पीठ मलती हुई वोह मेरी छाती भी मलने लगी. साबुन लगाने के दौरान उसकी चूचियां मेरे शरीर को छू जाती जो मेरे लंड को इंच-इंच लंबा करती. अब वह मेरे सामने आ गयी और मेरी छाती, कमर और पैरो को साबुन लगाने लगी. मैंने उसकी चेहरे को देख रहा था. उसकी चेहरे में कहीं भी वासना नहीं था. बड़ी मासूमियत से मुझे साबुन लगा रही थी जैसे कोई माँ अपने बच्चे को नहलाती है. मुझे मलने के समय उसकी चूचियां हिल रही थी, जिसको देख मैं पागल हो रहा था. मेरा लंड तो अपना चमड़ा फाड़ना चाहता था. सोमलता ने मुझे खड़ा किया और मेरे कमर के निचे साबुन मलने लगी. मेरे लंड के आस-पास के इलाके को रगड़ने लगी. मेरे लंड को भी हाथ से पकड़कर रगड़ने लगी. मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी.
उसने मेरी और देखा और हँसते हुए बोली – “बाबु यह हमेशा खड़ा रहता है क्या?”
मैंने भी मस्ती कहा – “रानी, तुम जैसी जवान औरत के हाथ में अगर खड़ा ना हो तो फिर किस काम का”
वह जोर से हंसी और बोली – “बहुत मस्त माल है बाबु तुम्हारा लंड. इसे पाकर तो मेरी जवानी वापस आ गयी. चलो तुम्हारा काम हो गया. इसका भी काम कर देती हूँ.” मेरे लंड की मुठ मारने लगी. साबुन के झाग के कारण काम आसन हो गया.
मुठ मारने में उसको काफी मेहनत करनी पड़ी. लगभग 25 मिनट में मेरा मुठ छुटा और लंबी पिचकारी मरते हुए सारा पानी उसकी चुचियों पर गिरा. अब वह शवोर चलाकर मेरे बदन में लगी साबुन को धोकर मुझे टॉवल से सुखाकर बोली – “बाबु जाओ. अब मैं नहाती हूँ.”
मैंने उसको पकड़ कर कहा – “रानी, अब मुझे नहलाने दे”
वह बोली – “आज नहीं, आज मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए अकेले. अब जाओ भी” मुझे धक्का देकर निकलते हुए बोली.
मैं मायूस होकर नंगा ही बाथरूम से निकला. बॉक्सर डाला और नास्ता की तैयारी करने लगा. लगभग आधे घन्टे के बाद वह सिर्फ तोलिया लपेट कर बाहर आई. आज बहुत खुश और निखरा हुआ लग रही थी. तोलिया उसकी चुचियों को ढकने में नाकाम लग रहे थे. दो स्तनों की गहरी घाटी ज्यादा गहरी लग रही थी और आधा स्तन तो ढका ही नहीं था. निप्पल के गोल घेरे भी तोलिये के किनारे से दिख रहे थे.
वह खाने के टेबल के कुर्सी को खींचकर बैठते हुए बोली – “बहुत भूख लगी है बाबु, खाना लगाओ ना.”
मैंने हँसते हुए कहा – “इतनी भूख लगी है की कपड़े भी नहीं पहनी?”
वह मासूमियत से बोली – “क्या फायदा जब उतरना ही है”
मैं उसको चूमने वाला ही था की वह हाथ दिखाकर मुझे रोकते हुए बोली – “पहले खाना खा ले. बाद में मुझे खाना”
मैंने एक ठहाका लगाया और चाय, ब्रेड और अंडे का नास्ता करने लगा.
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