RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं आखें बंद कर सोमलता को छाती से चिपकाकर लेता रहा. मेरा दिमाग उस वक़्त बिल्कुल शांत और किसी तरह के ख्यालों से खाली था. काफी दिनों के बाद मैं पूरी शांति का अनुभव कर रहा था. मेरा ध्यान तोड़ते हुए वह धीरे से बोली – “बाबू! ओं बाबु!”
मैं आँख मूंदकर ही जवाव दिया – “हुंह....”
उसने मेरी बालो को सहलाते हुए बोली – “कुछ खाओगे नहीं? भूख नहीं लगी तुम्हे?”
मैं कहा – “हुंह, देखते है रसोई में क्या है.” मैं उठकर रसोई की तरफ बढ़ने लगा.
वह भी मेरे पीछे आई और बोली – “बाबु, दूध है, मैं तुम्हारे लिए खीर बना देती हूँ. मैं अभी कपड़े पहन कर आई.” औए वह मुड़कर जाने लगी.
मैंने उसकी हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा – “नहीं मेरी रानी. कपड़ो की कोई जरूरत नहीं है. यहाँ कोई आनेवाला नहीं है. ऐसे ही रहो ना.”
“बेशरम!!!” वह अपना हाथ छुडाते हुए बोली और खीर पकाने की तैयारी करने लगी. चूल्हे पर खीर चड़ने के बाद वह खिड़की के पास खड़े हो बाहर देख रही थी और मैं उसके पीछे खड़ा था. पुरे घर में नंगे घूमना एक मजेदार रोमांच पैदा कर रहा था. मैं उसकी बाँहों को पीछे से सहला रहा था. उसकी बदन और बालो से एक मीठी खुसबू आ रही थी जो काफी सुहावना लग रहा था. हम दोनों ही अपने ख्यालों में खोये हुए थे. कुकर की सिटी में हमारा ख्याल थोड़ा. मैं चूल्हे को बंद किया. अचानक मेरे दिमाग में शरारत सूझी. मैंने जैम का डब्बा निकाला और ढेर सारा जैम उसकी छाती में मल दिया. वह चोंककर मेरी और सवालिया नज़रो से देखी. मैं सिर्फ मुस्कुराया. मैं उसको बाहों से पकड़कर दीवाल से सता दिया और झुककर उसकी चुचियों की गहरी घाटी पर लगे जैम को चाटने लगा. उसकी जुबान से हल्की सिसकी निकली. वह मस्ती में आँख मूंदकर सर दिवार से टिककर सिसकी लेती जा रही थी. उसकी सिसकी ने मुझे गरम कर दिया. मैं जोर-जोर से उसकी चुचियों की चाटने-चूसने लगा. खासकर उसकी चुह्चियों के निप्पल को तो पुरी गोलाई से मुँह में डालता और दांत से दबाकर चूसता. मैंने चूस-चूसकर पुरी बदन से जैम को ख़तम कर दिया. अब मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर चला गया. उसकी योनी पहले ही अपना रस छोड़ चूका था. गीली चूत में मैं ऊँगली से चोद रहा था.
उसकी सिसकियों की आवाज अब ज्यादा हो गयी. वह निचे के होंठ को दांत से दबा सिसकी मर रही थी और मेरे सर को अपने छाती में दबा रही थी. मैंने बाये हाथ से उसकी कमर को लपेट कर किचेन के टेबल से टिककर खड़ा किया. अब मैंने दो ऊँगली एक साथ उसकी गीली में चूत में डाल दी. उसकी तेज सिसकी निकली और पेट को उत्तेजना से सिकोड़ दी. मैं एक हाथ से उसकी गांड को दबा रहा था और दूसरी हाथ से उसकी चूत को. मैंने बुरी तरह से उसकी चूत को उँगलियों से चोदना जरी रखा. उसकी सिसकियों की आवाज धीरे-धीरे तेज हो रही थी. उसकी चूत की दीवारे कसने लगी. उसका शरीर कसने लगा, सिसकी बंद और ऑंखें जोर से भीच गयी. वह झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी. यह देख मैंने रफ़्तार बढ़ा दी. कुछ धक्को के बाद उसकी चूत में रस भरने लगा. फिर एक गर्म पानी का फव्वारा फूटा. उसकी चूत रह-रह कर पानी छोड़ रहा था जो मेरी उँगलियों से बहते हुए फर्श पर टपकने लगा.
योनीरस के मादक महक में पुरे कमरे को भर दिया. सोमलता को इस जबरदस्त ओर्गास्म ने हिलाकर रख दिया. वह निढाल होकर मेरे कंधे के ऊपर गिर गयी. मैंने उसको बाँहों में उठाकर कमरे में ले गया. ले जाते वक़्त भी उसकी ऑंखें बंद थी और सांसे तेज. सांसो के साथ-साथ उसकी छाती तेजी से ऊपर निचे हो रही थी. उसको बिस्तर पर सुलाकर मैं किचेन में आया और उसकी बनायीं खीर दो प्लेट में लगाकर कमरे में गया. अब भी उसकी सांसे तेज थी. मैं उसकी चुचियों का ऊपर-नीचे जाना देख रहा था. उसकी बदन पर पसीने की बुँदे बड़ी सेक्सी लग रही थी. बंद आँखों के कोने से कुछ बुँदे आंसू की टपक पड़ी.मैं आंसू को पोछने गया तो उसकी आँखें खुल गयी. वह धीमे से मुस्कुराई. मैंने उसको खींचकर बैठते हुए कहा – “रानी, खीर ठंडी हो रही है. खा लो.” वह प्लेट हाथ में लेकर चुपचाप खा रही थी और बीच-बीच में मेरी ओर देख मुस्कुरा रही थी . हमने बिना किसी बातचीत के खाना ख़त्म किया. प्लेट लेकर वह रसोई में चली गयी. जाते वक़्त मैं उसकी डगमगाती चाल देख रहा था. एक जबरदस्त चुदाई ने इसकी चाल बदल दी थी.
मैं भी काफी थका हुआ महसूस कर रहा था और दोपहर को सोना मेरी आदत थी. मैं बिस्तर में आराम से लेट गया. मेरे दिमाग में येही बात चल रही थी कि कल से सोमलता को कैसे मिलूँगा. घर में तो मुमकिन नहीं हो सकता और बाहर में खतरा बहुत है.मेरे लिंग पर बीर्य और योनिरस का मिश्रण लगा हुआ था जो सुखकर अकड़ रहा था. ज्यादा चुदाई के कारण मेरा लंड थोड़ा छिल गया था जिसके कारण थोड़ा दर्द कर रहा था. मैंने लंड साफ़ करने के इरादे से बाथरूम गया. बाथरूम का दरवाजा अन्दर से बंद नहीं था, बस लगा था. अन्दर से हल्की शावर की आवाज आ रही थी. दरवाजा को धीरे से ठेलने पर देखा की सोमलता दरवाजे की तरफ पीठ कर निचे शावर के निचे बैठी है और हल्की शावर चल रहा है. मैं बिल्कुल उसके पीछे दोनों टांगो को फैलाकर बैठ गया ताकि उसकी कमर मेरी जन्घो में बीच में हो. उसकी पीठ को अपने छाती से चिपकाकर उसकी कमर को दोनों हाथो से लपेट लिया. ऐसा करने पर भी वह बिल्कुल नहीं चौंकी जैसे वह मेरा इन्तेजार कर रही हो. उसको अपने से और चिपकाते हुए मैंने उसकी गर्दन पर एक प्यारभरी चुम्बन दी और हलके शावर का इन्तेजार करने लगा. उसका शरीर बिल्कुल भी हरकत नहीं कर रहा था.
हम दोनों लगभग आधे घन्टे तक शावर का मजा लेते रहे. पानी में ज्यादा देर रहने से ठण्ड लग रही थी. मैंने उसको झकझोरते हुए बोला – “चलो, ज्यादा देर रहे तो ठण्ड लग जाएगी. कमरे में चलते है.” हमदोनो उठकर शावर को बंद किया और तौलिये से एक-दुसरे के बदन को सुखाने लगे. आखिर में जब वह मेरा बदन सुखा रही थी तो पूरा शरीर को पोंछने के बाद झुककर मेरे लिंग की निचले हिस्से में होंठ रखकर एक चुम्बन जड़ दिया. इससे मेरा पूरा बदन सिहर उठा. फिर वह मेरी बाँहों को पकड़ कर कमरे में आ गयी. हमदोनो ही थके हुए थे इसलिए एक ही चादर में सो गए. वह मेरी पीठ से चिपककर एक टांग मेरे पैरो के ऊपर चढ़ाकर लेती थी. उसकी सख्त चूचियां मेरी पीठ पर एक अजीब सी झुनझुनी पैदा कर रही थी. मेरे मन में कई तरह के ख्याल आ रहे थे. क्या मैं सच में सोमलता से प्यार कर बैठा था या फिर वक़्त के साथ-साथ यह अनुभव ख़तम हो जाने वाला है? इस रिश्ते का अंत क्या होना है? एक रण्डी के साथ दिन गुजरने और एक शरीफ औरत के साथ दिन गुजरने में बहुत फर्क है. शायद वह मेरे दिल में कहीं ना कहीं जगह बना चुकी थी. हम दोनों शांत हो लेते हुए थे. पता नहीं सोमलता क्या सोच रही थी. मैं हमेशा से बड़ी उम्र की औरत में ज्यादा दिलचस्पी लेता था, लेकिन इस तरह के रिश्ते के बारे में कभी नहीं सोचा था. देखे अब आगे क्या होता है.
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