RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
अचानक इस हरकत से सोमा एक ज़ोरदार आवाज के साथ उछली – “हाय रे. मर गयी माईईईईईईईइ”
उसकी सिसकारी की आवाज इतनी तेज थी की मुझे डर लगा की कहीं पड़ोस वाले सुन ना ले. मैंने जल्दी से हथेली उसकी मुँह पर रखा. वह एक बार मुझसे नज़र मिलाई फिर आंख बंदकर सोफे पर ढेर हो गयी. मैं तौलिये का एक छोर उसकी मुँह में डाला और फिर से उसकी चूत को दोनों ऊँगली से चोदने लगा. अब् उसकी मुँह से गु-गु की आवाज आ रही थी. वह लगातार अपने कमर को उछाल रही थी. मुझे भीअब बर्दास्त नहीं हो रहा था. एक हाथ से सोमा को चोद रहा था दूसरी हाथ से मैंने मुठ मरने लगा. अब सोमा की चूत गीली होने लगी. उसकी मुँह से गु-गुवाहट की आवाज बड़ने लगी. मैंने फिर ऊँगली और मुँह दोनों से उसकी चूत को मज़ा देने लगा. मेरा लंड भी पानी छोड़ने को तैयार होने को था, लेकिन मैं इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था. मै लंड को छोड़ सोमा की चूत को जोर-जोर से चोदने लगा. अब वह आनंद की चरम सीमा पर पहुँच गयी थी. उसका बदन जोर-जोर के झटके देने लगा. उसकी चूत से तेज महक आ रही थी. चंद सेकंड में एक झटके के साथ पानी की तेज धार निकली जो मेरे चेहरे पर आ लगी. चूत की पिचकारी काफी तेज थी जो रुकने का नाम नहीं ले रही थी. मैं उसकी चूत पर जोर से चपत लगा रहा था. आखिर में सोमा का शरीर एक आखिरी झटके से साथ शान्त हो गया. अब मैं उसकी जन्घो के बीच खड़े होकर लंड को तेजी से आगे-पीछे करने लगा. मेरा लंड तो तैयार हो था इसलिए ज्यादा इन्तेजार नहीं करना पड़ा. 5-7 झटको में ही मेरा काम तमाम हो गया. बिर्य की तेज धार उछाल कर सोमा की चुचियों पर पड़ी. मैं सोफे पर निढाल होकर गिर पड़ा और सोमा के बगल में लेट गया. वह अभी भी हल्की आवाज में सिसिकारी ले रही थी. उसने मुझे अपनी और खींचकर मेरे सीने में सर टिककर लेट गयी. हम दोनों काफी ज्यादा थक गए थे लेकिन रात अब भी बाकी है.
मैं और सोमा दिन भर के काम-क्रीड़ा से काफी थक गए थे. सोफ़ा पर हमदोनो एक-दुसरे से चिपक के सोये थे बिना हरकत के. सेक्स के बाद भूख भी जोरो की लगी थी लेकिन किचन जाकर खाना बनाने की कोई इच्छा नहीं हो रही थी. अभी 5 मिनट हुए ही थे की बाहरी दरवाजे पर जोर की दस्तक हुई. मैं घबराकर खड़ा हुआ. सोमा शायद मदहोशी में थी. आधा आँख खोलते हुए कहा – “क्या हुआ बाबु? कौन आया है?”
मैंने जल्दी से उसको चुप कराकर फुसफुसाकर कहा – “एकदम आवाज मत करो. तुम बाथरूम में छुप जाओ. जबतक मैं ना बुलाऊ बाहर मत आना और बिल्कुल आवाज मत करना.”
सोमा बेमानी ढंग से नंगी ही बाथरूम चली गयी. अन्दर से उसने दरवाजा लगा लिया. दरवाजे पर फिर से दस्तक हुई. इस बार ज्यादा जोर से हुई. मैं तो बिल्कुल घबरा गया. जल्दी से पायजामा डाला ऊपर से टी-शर्ट डाली और कांपते हाथो से दरवाजा खोला. बाहर रीता काकी खड़ी थी. रीता काकी मेरे पडोसी है और मेरी माँ के साथ काफी अच्छा नाता है. काका बहुत पहले गुजर चुके है. एक ही बेटा है जो मुझसे 4 साल बड़ा है, शादी हो चुकी है अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है. हालाँकि काकी बहुत अच्छी है और माँ की अनुपस्थिति में मेरे परिवार का ख्याल रखती है. लेकिन सिर्फ उसके बेटे के सिवा मैं किसी से कभी ज्यादा बात नहीं की. खैर, वापस घटना पर आते है.
रीता काकी बोली – “बिनी क्या सोये हुए थे? किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज आई.”
मेरी तो गांड फटकार हाथ में आ गयी थी. कहीं ये घर घुसकर तलाशी न ले. मैंने अपने आपको सम्हालते हुए कहा – “हाँ काकी. गहरी नींद में था. बुरा सपना देखा रहा था इसलिए चीख़ पड़ा.” हालाँकि यह मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीन सपना था.
काकी थोड़ी देर सोचने के बाद बोली – “ठीक है, मुँह हाथ दो लो. आठ बज गए है. खाना बनाने की जरूरत नहीं है, मैं पूर्णिमा से खाना भिजवा देती हूँ.”
मैंने काकी को शुक्रिया कहा और दरवाजे को बंद कर कमरे में आया. पूर्णिमा काकी की बहु थी. अभी 2 साल पहले उसके बेटे की शादी हुई है लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है. मैंने कभी भाभी को गौर से नहीं देखा था न ही कभी बात भी की थी. मैं घर और मोहल्ले में एक शरीफ, कम-बोलनेवाला और सीधा लकड़ा था. मोहल्ले की लड़कियों या भाभियों से कभी भी बात नहीं करता था. मैंने घर के अन्दर देखा. सोमा और मेरे कपड़े बिखरे पड़े थे. मैंने सबको समेटकर बाथरूम ले गया. दरवाजा खटखटाने के वावजूद सोमा दरवाजा नहीं खोल रही थी. काफी दस्तक देने के बाद वो दरवाजा खोलती है. मैंने कपड़े को बास्केट में डाला. शायद सोमा की आँख लग गयी थी.
वह मेरी ओर सवालिया नजरो से घुरी. मैंने उसकी गालो को प्यार से सहलाते हुए कहा – “रानी, थोड़ी देर और यहाँ रहो. ठीक है?”
वह हाँ में सर हिलायी और फिर से दिवार से माथा टिककर आँख बंद कर ली. मैं बाहर सोफ़ा पर बैठ पूर्णिमा भाभी का इंतज़ार करने लगा. लगभग आधे घन्टे के बाद दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने दरवाजा खोला तो दंग रह गया. पहली बार पूर्णिमा भाभी को सामने से देखा. दुधिया गोरा रंग, भरा हुआ बदन, मोटे भारी कुल्हे, मोटी बाहें, बड़ी-बड़ी लेकिन टाइट स्तन और लम्बाई लगभग 5 फीट.
मुझे देख मुस्कुरा के बोली – “मम्मीजी ने खाना भेजा है.” और खाने का डब्बा आगे बढ़ा दी.
मैंने डब्बा लिया और कहा – “अन्दर आईये ना”
वह अन्दर आते बोली – “चाचीजी कब आने वाली है?”
मैंने कहा - “कल, आप कैसी है भाभी?”
वह एक मुस्कान से साथ मेरी और मुड़ी, मुझे ऊपर से निचे तक देखी फिर मेरे गाल पर एक चिकोटी कट कर बोली – “कैसी है भाभी...... आज तक कभी भाभी से बात नहीं किया. कभी हाल-चाल नहीं पूछा और आज घर आई हूँ तो कैसी हूँ?”
मैं थोड़ा लजाते हुए बोला – “वोह दरअसल कभी हालात ही नहीं हुए.”
भाभी बनावटी गुस्से से बोली – “बिन्नी यार , तुम बड़े चम्पू हो. इतना शरमाते क्यों हो? पता नहीं तुम्हारी बीबी का क्या हाल होगा. वैसे कब मेरी देवरानी ला रहे हो?”
मैं थोड़ा झेंप गया. बड़ी मुस्किल से बोला – “देखता हूँ शायद अगले साल.”
वह जाने को दरवाजे की ओर मुड़ी. जाते जाते मेरे लंड को कपड़े के ऊपर से दबाते होय बोली – “ठीक है, मैं चलती हूँ. कल डिब्बा भिजवा देना.”
“जी ठीक है भाभी. गुड नाईट” वह तेज क़दमों से निकल गयी. उसके जाने के बाद मैं दरवाजा बंद किया.
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