RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मेरे बरामदे की घड़ी 6 बजा रही थी. कल रात की चुदाई से निकले मेरा और सोमा का रस मेरे बदन पर फैलकर सुख चूका था और पपड़ी बन गया था. अगले आधे घन्टे मैंने बाथरूम में खुद को साफ़ करते हुए बिताया. वापस छत में गया. वहां गद्दे के बगल में कंडोम गिरा था. उसको मैंने दूर फेंका और गद्दे बाकी सामान के साथ नीचे आया. सूरज दिन चढ़ने के साथ-साथ गर्मी बढ़ा रहा था. कल रात पूर्णिमा भाभी के दिए हुए खाने के डब्बे को साफ़ धोकर मैं बाहर रीता काकी के घर के तरफ निकल पड़ा. दिल में डर और गुदगुदी लेकर धीरे कदमो से जाकर काकी के दरवाजे पे देखा राजेश भैया बरामदे में बैठे अख़बार पड़ रहे है.
मुझे देखकर बोल पड़े – “अरे बिन्नी, कब आये तुम?”
मै एक चेयर पर बैठते हुए कहा – “3-4 दिन हो गए भैया. आप कब आये?”
“आज सुबह ही आया हूँ.” तभी अन्दर से भाभी आई. एक चुस्त नाईट गाउन पहने हुए थी जो की इतनी पतली थी की अंदर से लाल ब्रा झांक रही थी. मैंने कुर्सी से उठते हुए डब्बा देते हुए कहा – “भाभी कल खाने का डब्बा पहुचने आया हूँ.”
भाभी डब्बा लेते हुए बोली – “हाँ भाई, सही है. वरना तुम तो वैसे कभी हमारे घर आते ही नहीं.”
मै नज़र झुकाते हुए कहा – “नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है. बस समय नहीं मिलता है.”
भैया हँसते हुए बोले – “अरे भाई, कभी-कभी मोहल्ले में भी सबसे मिला कर. और हम तो पडोसी है.”
“जी भैया!” मैं नज़र उठाया तो देखा भाभी मेरी ओर देखा के मुस्कुरा रही है.मेरी हालत पतली हो रही थी. डर और शर्म से चेहरा लाल हो रहा था.
तभी भैया बोल पड़े – “तुम यहाँ खड़ी क्या देख रही हो? जाओ बिन्नी के लिए चाय बनाओ.”
“नहीं भैया, मैंने पी ली है.”
भैया बोले – “अरे पियो यार!”
भाभी बिना किसी बात के अन्दर चली गयी. भैया से हमारे काम-काज और अपने अपने शहर के बारे में बात हो रही थी. लेकिन मेरा मन किसी बात में नहीं था. मैं यह सोच रहा था की पूर्णिमा भाभी क्या सब जानती है कल मेरे और सोमा के बारे में या नहीं. अगर जान चुकी है तो वह क्या करेगी. मुझे ब्लैकमेल करेगी, मेरी माँ को बताएगी या कुछ और. थोड़ी देर में मै राजेश को विदा कहकर घर निकल गया. घर जाकर सबसे पहले ढेर सारा ठंडा पानी पिया. और शांत होकर सोचने लगा की आगे क्या करना है.
अगले दो दिनों में मेरी छुट्टी की ख़तम होने वाली है और मुझे वापस ३०० किमी अपने काम पर जाना होगा. सोमलता का क्या होगा? अचानक मुझे याद आया की सोमा को मेरे दोस्त विवेक की वीवी की ब्यूटी-पार्लर में काम दिलाना है. मैंने विवेक को फ़ोन लगाया. हम दोनों स्कूल के दोस्त है और कॉलेज भी साथ गए. अब सिर्फ वही दोस्त है जिससे मेरा लगातार संपर्क बना हुआ है. उसकी बीवी नेहा हमारे साथ ही कॉलेज में पड़ती थी. शादी के पहले से ही उसकी ब्यूटी पार्लर थी जो अब शहर का सबसे नामी पार्लर है. विवेक से हाय-हेल्लो करने के बाद मैंने उसे बताया की मेरे गाँव की एक बेसहारा औरत है जिसको काम की जरूरत है.
विवेक ने फ़ोन उसकी बीवी को पकडाया. नेहा बोली – “अच्छा बिन्नी, उसकी उम्र क्या होगी?”
मैंने कहा – “येही 30-35 साल की होगी. उसका पति उसको छोड़ के भाग गया है. घर में सिर्फ सास है. गरीब है बेचारी.”
नेहा बोली – “बढ़िया है. मुझे ऐसी ही औरत की तलाश थी. कुछ काम कमउम्र की लड़कियां नहीं कर पाती है. तुम आज शाम को मेरे पास भेज दो. वैसी तुम कब तक यहाँ हो?”
मैंने उसको शुक्रिया कहा और बताया की और 2 दिन रहूँगा. उसने मुझे खाने का न्योता दिया. मेरी एक समस्या दूर हो चुकी थी. अब मेरा दिमाग पूर्णिमा भाभी के इर्द-गिर्द घुम रहा था. काफी सोचने के बाद मैंने सोचा की मुझे हिम्मत से काम लेना होगा और उसके सामने बिल्कुल नहीं डरना होगा. फिर देखा जायेगा आगे क्या होता है.
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