RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं जल्दी से बाइक स्टार्ट की और 2 मिनट में खंडहर के पीछे वाले झाड़-जंगल में बाइक को छुपा दिया ताकि किसी हो पता नहीं चले. यह खंडहर काफी सालो पहले आलीशान बंगला था. लगभग 20 से ज्यादा कमरे है, कुछ तो अभी भी अच्छे हालत में है. लेकिन पुराने मकानों का जो हाल होता है वोही इसके साथ हुआ. भुत-प्रेत का भी अफवाह सुना है इसके बारे में. खंडहर के आस-पास झाड़-जंगल उग गए है. मैं एक झाड के पीछे सोमलता का इंतज़ार करने लगा. 5 मिनट के बाद वह आती दिखी. मैं आवाज देकर उसको बुलाया, वह जल्दी से अन्दर आई. मैं उसको पकड़ के एक बड़े से कमरे के अन्दर ले गया जो मैंने पहले ही देख रखा था.
वह अन्दर आकर थोड़ा सहम गई – “बाबु, मैंने तो सुना है कि यह जगह भुतिया है.”
मैंने उसको बाँहों में भरकर कहा – “कुछ नहीं होगा रानी. चलो अब प्यार करते है.” मैंने चूमना-चुसना शुरू किया.
वह भी मुझे कसकर पकड़ ली और मुझे चूमने लगी. उसकी बदन से किसी खुशबूदार साबुन की महक आ रही थी. अचानक वह अलग हो गयी और बोली – “बाबु, मुझे देर हो रही है. अभी जाने दो.”
मैंने लगभग चिल्लाते हुए बोला – “क्या? मैं इतना झमेला करके आया तुमसे मिलने और तुम बोल रही हो जाने दो?”
वह थोड़ा सोचने के बाद बोली – “ठीक है. चलो मैं जल्दी से तुमको ठंडा कर देती हूँ.” यह बोल वह मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी और मेरा पेंट उतारने लगी. जींस को उतारने के बाद जैसे ही मेरा कच्चा नीचे खिसकाई, मेरा लंड उछल के बाहर आ गया. मेरी और मुस्कुरा कर बोली – “बाबु, तुम बड़े औरतबाज हो. शक्ल से तो भोले लगते हो.”
मैंने लंड को उसकी मुँह से सटा कर बोला – “रानी, तेरी जवानी ही ऐसी नशीली है की मैं पागल हो जाता हूँ.”
वह हँसे हुए मुँह खोल मेरे लंड को चुसना शुरू करती है. उसकी मुँह की लार की ठंडक से मेरा लंड सख्त हो जाता है और उसका सुपारा फुल के कुप्पा हो गया. मैं आखें बंद कर उसकी माथे हो आगे-पीछे करने लगा. लंड चूसते समय वह मेरे अन्डो से खेल रही थी. सोमा ने चूसने की गति बढाई तो मेरा दिल तेज धड़कने लगा. 10 मिनट हो चुके थे, और मैं अब भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. सोमा अब लंड को काटने-दबाने लगी. आखिर मेरा लावा छुट गया. पुरे बदन में तेज हरकत हुई. ऐसा लगा की मेरे पैर उखड जायेंगे. मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा रहा. ढेर सारा गरम बिर्य से सोमा का मुँह भर गया, और कुछ उसकी होंठो से बहने लगी. मैं धडाम से नीचे बैठ गया और तेज साँस लेने लगा.
सोमा एक ही घूंट में बिर्य को निगल कर रुमाल से मुँह साफ़ की और बोली – “ठीक है बाबु, मैं चलती हूँ. याद रखना मैं अभी भी प्यासी हूँ. आज रात को यहाँ आये?”
मैंने ख़ुशी से उसको गले लगते हुए कहा – “जरूर रानी. मैं बगीचे में इंतज़ार करूँगा रात के 9 बजे. सारा इन्तेजाम कर लूँगा. चलो मैं तुमको बाइक पर छोड़ हूँ.”
सोमा कपड़े ठीक करते हुए बोली – “नहीं बाबु, कोई देख लेगा. अभी चलती हूँ रात को आती हूँ.” यह कहकर वोह तेज कदमो से चली गयी.
मैं थोड़ी देर बैठा रहा, फिर जींस पहनी और पुरे खंडहर का मुयायना करने लगा. बेसब्री से रात का इंतज़ार रहेगा.
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यह खंडहर किसी ज़माने में आलिशान रहा होगा. जिसमे आज रात हमलोग कामलीला करने वाले है वहां न जाने कितनो बार चुदाई हो चुकी होगी. खण्डहर की पुरी निगरानी करने के बाद मुझे एक जगह पसंद आई. यह तीसरी मंजिल में थी. यह एकदम अन्दर वाला कमरा था, जिसके चारो ओर कमरे बने थे. इसलिए अन्दर की कोई भी हलचल आसानी से बाहर नहीं जानेवाली. ओरो के लिए यह बंगला भुतिया और डरावना हो सकता है लेकिन हमारे लिए यह ताजमहल से कम नहीं. मैं बाहर निकल के चुपके से बाइक निकली और बिना किसी को दिखाई दिए निकल गया. घर जाकर रात के लिए तैयारी शुरू की. एक बैग में एक मोटी चादर, टोर्च, मोमबत्ती, माचिस, चाकू, मच्छर भागनेवाला अगरबत्ती बगैरह डालकर तैयार था. खाना मैं रस्ते में पैक करवाने वाला था. मैं बेसब्री से रात का इन्तेजार करने लगा. दोपहर को गहरी नींद में सोया. शाम को घर में बताया की एक दोस्त के घर जा रहा हूँ कुछ बिज़नस प्लान के बारे में बात करने. रात को उसके घर में रुकुंगा.सोमलता लगभग शाम को 7 बजे पार्लर से निकलती है. मैं भी उसके समय के हिसाब से सब तैयारी की. रेस्तरा से खाना पैक करवाया पानी की बोतले डाली. मैं बाइक से ही निकला, हालाँकि यह सुरक्षित नहीं था. मैं शहर के बाहर के चौराहे पर सोमा की रह देखने लगा. मेरा दिल जोर-जोर से उछाले मर रहा था.
वैसे स्कूल के दिनों में मैं अपने दोस्तों के साथ इस तरह के भूतिया जगहों पर रोमांच के लिए राते गुजारी है लेकिन उसमे रोमांच था और इसमें रोमांस और सेक्स है. थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद सोमलता आते दिखी. उसने दूर से ही मुझे सड़क के किनारे खड़े देख ली लेकिन कोई हरकत नहीं की. शाम के वक़्त चौराहे पर काफी भीड़ थी. वह बिना किसी तवज्जो के मेरे बगल से निकल गयी. उसके जाने के बाद मैंने बाइक स्टार्ट की और उलटी दिशा में निकल गया. आगे से एक गली निकलती है जो खंडहर वाले बंगले के कुछ पहले निकलती है. मैं पहले बंगले पर पहुँच गया और बाइक को बंगले के भीतर छुपा दिया. बाहर से सोमलता का इन्तेजार करने लगा. शाम घनी और अँधेरी हो गयी थी.
सोमा 15 मिनट में आई. मैंने झड़ी के पीछे से उसको अन्दर खिंच लिया.
वह सकपका गयी. मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली – “क्या करते हो बाबु? मेरी जान निकल दी तुमने!” .
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