RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं उसकी बायीं गाल को चुमते हुए – “बिल्कुल मेरी रानी. जब तुम बुढ़िया हो जाओगी तब भी मैं तेरी चूत तो चुसुंगा.”
सोमा मेरी पीठ में चिकोटी काटते हुए बोली – “बहुत ज्यादा शैतान हो गया है तू.”
मैं बोला – “अच्छा वो सब हटा. यह बताओ की तुम्हारा काम कैसा चल रहा है पार्लर में?”
वह लम्बी साँस लेते हुए बोली – “बहुत अच्छा काम है बाबु. कोई झमेला नहीं है. मजदूरी से बहुत अच्छी है. वहां साले सब मेरी बदन के पीछे पड़े रहते थे. यहाँ कोई डर नहीं है. और मैडम बहुत अच्छी है. मैं जिंदगी भर तुम्हारी उधारिन रहूंगी.” यह कहते हुए मेरी ओर देखी. उसकी आँखों के शुकून था.
कुछ देर हमलोग ऐसे ही पड़े रहे. आज हमारे जिस्म ही नहीं दिल भी मिल रहे थे. पता नहीं इस रिश्ते का क्या अंजाम होगा? और मैं अंजाम के बारे में सोचना भी नहीं चाहता. मैं तो बात इस अजीब रिश्ते को जीना चाहता था जब तक जी सकूँ.
हमदोनो दिवार पर पीठ टिकाकर लेटे हुए. रात का सन्नाटा अजीब-सी सुकून का एहसास करा रही थी जैसे की हमदोनो के लिए समय थम सा गया हो. सोमलता मेरे सीने पर सर रख लेटे हुए थी. उसकी एक टांग मेरे कमर पर और उँगलियाँ मेरे सीने के बालों से खेल रही थी.
मैं उसकी नितम्बो को सहलाते हुए पूछा – “रानी???”
“हम्म्म्म” वह धीरे से जवाब दी.
“अच्छा तुम्हारी शादी किस उम्र में हुई थी?” – मैंने पूछा.
वह कुछ देर खामोश रही जैसे की बीती बातों को याद कर रही हो. 15-20 सेकंड के बाद गहरी साँस लेकर वह बोली – “अठारह साल की उम्र में मेरा लगन हो गया था. लेकिन मेरे बापू के मरने के कारण एक साल के बाद मेरी शादी हुई. शादी मेरी धूम-धाम से हुई, क्योंकि मेरा आदमी दिल्ली में कमाता था. बहुत खर्चा किया था शादी में. जानते हो पहली बार मेरे गाँव में अंग्रेजी बाजा आया था किसी की बरात में.” उसकी बातों में थोड़ी सी गुरूर थी और उदासी भी.
मैंने आगे पूछा – “तुम्हारा पति कैसा था?”
वह थोड़ा और उदास लहजे में बोली – “हाँ, पहले तो अच्छा था. 6 महीने की छुट्टी में घर आया था. शादी करने के वास्ते. मेरा काफी ख्याल रखता था. मुझसे प्यार भी करता था बहुत. 4-5 महीने तक सब ठीक था. फिर वापस दिल्ली चला गया. 6 महीने बाद आया होली में. तब से कुछ दूर रहने लगा हमसे. जैसे की हम कोई दूर के है. रात तो ना प्यार करता था ना चुदाई. मैं तड़प रही थी.”
मैंने पूछा – “अचानक ऐसा क्यों करने लगा? तुम्हारा कोई झगडा हुआ था?”
वह गहरी साँस लेकर बोली – “पता नहीं बाबु! पता नहीं किसकी नज़र लग गयी. कुछ पूछने पर बताता भी नहीं था. मुझसे दूर भाग जाता था.”
मैंने और जानने के लिया पूछा – “अच्छा तुमलोगों का कोई बच्चा नहीं हुआ?”
वह कुछ देर फिर खामोश रही. मुझे लगा की शायद रो रही हो. मै धीरे-धीरे उसकी नितम्बो को सहलाते हुए उसकी पीठ को सहलाने लगा. फिर वह धीरे से बोली – “हाँ बाबु. शादी के 3 महीनो के बाद मैं पेट से हुई. ससुराल में सब खुश थे. अचानक मैं जोर से बीमार पड़ी. अस्पताल में डाक्टर बाबु बोला की मेरा बच्चा पेट में ही मर गया है. फिर कभी मैं माँ नहीं बन पाई.” उसकी आवाज भारी हो चली थी.
|