RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैंने सोमा को कसकर पीठ से पकड़ा और एक झटके में घुमाकर मेरे नीचे ला डाला. उसकी आँखों में सेक्स की गुलाबी डोर तैर रही थी. उसकी चूचियां कसकर तन गयी थी और घुन्डियाँ नुकीली. एक हाथ से उसकी बांयी चूची को कसकर पकड़ा और दुसरे हाथ से चूत को मसाज करना शुरू किया. पहले धीरे-धीरे फिर पुरे जोश से. सोमलता की मुँह से निकलने वाली सिसकारी भी घुटकर रह जा रही थी, जैसे कि उनमे ज्यादा जान बाकी ना हो.
अचानक उसने दोनों हाथ को रोक दिया और लगभग चिल्लाते हुए बोली – “यह क्या दबा-दबाई कर रहा है हरामी. जल्दी से अब मुझे चोद ना.”
पहली बार उसकी मुँह से अपने लिए गाली सुनकर थोड़ा ख़राब लगा, लेकिन अगले पल समझ गया की ये सब वह मुझे उकसाने के लिए बोल रही है. मेरे मन में भी गुस्सा भर गया. गुस्से में मैंने लंड को चूत की फांको पे टिकाया और जोर से धक्का मारा. लेकिन मेरा निशाना चुक गया और मेरा तना हुआ लंड उसकी चिकनी पेट पर फिसल गया और मैं भी अचानक सोमा के बदन पर गिरते-गिरते बचा.
सोमा बुरी तरह से हंस पड़ी, जोर-२ से हंसने लगी. मेरा चेहरा गुस्से में और तमतमा गया. सोमा ने मेरी हालत देख किसी तरह से अपने आप को हंसने से रोका और मेरे लंड को पकड़ अपनी चूत में लगा कर अन्दर ठेल दी. सुपारा अन्दर चला गया, लेकिन मैं अभी भी गुस्से में था और चुपचाप लंड का सुपारा डाले बैठा था. सोमा ने मेरी चूतड़ को दोनों हाथ से पकड़ खुद ही मुझे आगे-पीछे करने लगी और मैं भी उसकी ताल में ताल मिलाने लगा.
मेरी नज़र उससे मिलते ही वह वह मुस्कुराके बोली – “बाबु, तुम बहुत भोले हो और गुस्से में बहुत ही अच्छे लगते हो. बिल्कुल बच्चे जैसे.”
मेरा गुस्सा पिघल गया. मैं मुस्कुराया और उसकी कमर को पकड़ धक्का लगाने लगा. अब मेरा लंड उसकी चूत की पुरी गहराई माप रहा था, लेकिन धक्को का मार कम ही था. तब सोमा बोली – “चलो मेरे राजा बाबु, एब मर्द की तरह ज़ोरदार धक्का मारो. आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दो. मारो जोर से. पेलो जोर से.”
कोई मर्द जो अपना लंड किसी औरत की बुर में डाल रखा हो, उसके लिए ये बातें आग में पेट्रोल का काम करती है. अचानक मेरे अन्दर का जानवर जाग गया, और मैं पुरी ताकत से अपनी कमर को उसकी कमर पर पटकने लगा. उसने भी दोनों टांगो को चौड़ा कर दी ताकि मेरा लंड ज्यादा अन्दर तक जा सके. मैं बिना किसी की परवाह किये पुरी जोर से धक्के-पे-धक्के लगा रहा था. हर धक्के पर सोमा की सिसकारी गूंजती – “हैईईईइं...... हाय रेरेरेरेर..... अह्ह्ह्हह्ह.... जोरर्रर्रर से.....”जो मेरे मन और जोर भर रही थी. हमारे बदन की उठा-पटक से पूरा कमरा गूंजने लगा.
मेरा पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो गया और चेहरे से पसीना टपकने लगा. अचानक मेरे लंड में उफान आने लगा, मैं जोर से सिसकारी ली – “सोमाआआआआ......”
वह समझ गयी की मैं झड़ने वाला हूँ. वह जल्दी से मेरे अन्डो को पकड़ ली और बोली – “अभी नहीं बाबु. अभी मत झाड़ना. थोड़ी देर रुक जाओ.”
मैं धड़ाम से उसके ऊपर गिर पड़ा. मेरी सांसे जोर-जोर से चल रही थी जैसे की मिलों भाग आया हूँ. सोमा मेरे टट्टे अभी भी पकडे हुए थी. चंद मिनटों में लंड में उफान थम गया और मैं भी फिर से पेलने के लिए तैयार हो गया. सोमा के बदन से अलग हुआ ही था की वह बोली – “अब बाबु तुम लेटो, मैं ऊपर आती हूँ.”
मै लंड निकल के बगल मैं लेट गया. मेरा लंड घिसाई से लाल हो गया था और सुपारे का तो बुरा हाल था. दिवार पर टिकाकर मैं आधा लेट गय, सोमा दोनों टांगो को चीरते हुए मेरे कमर के ऊपर चूत को स्थिर की. लंड को पकड़ चूत में डाल थपक से बैठ गयी. उसकी होंठो पर शरारती मुस्कान थी. घुटने जमीन से टिकाकर वह तेजी से ऊपर निचे करने लगी. बीच-बीच में पुरे शरीर के वजन से नीचे आ जाती तो मेरा दम निकल जाता. अब पसीने में नहाने की बारी सोमलता की थी. हल्की०हल्कि पसीने की बूंदों में उसका बदन पत्थर की मूर्ति की तरह चमक रही थी. हर बार ऊपर-नीचे करने के क्रम में उसकी चूचियां उचकती, जो अनमोल नज़ारा था. मुझे सोमा के स्तन कभी भी बड़े नहीं लगे थे, लेकिन आज ये उछलती चूचियां किसी पोर्नस्टार की बड़ी-बड़ी चुचियों से भी मादक लग रही थी.
मैं तो जैसे उसकी चुचियों की उछल-कूद में खो गया था. अचानक सोमा धम्म से बैठ गई. फिर बदन को जोर से मरोड़ते हुए सिसिकारी मारी – “आईई..... माईईईईईईईइ.... बाबुऊऊउह.....” मेरे लंड पर गरम पानी की बौछार हो गयी.
लगभग 2 मिनट तक झड़ने के बाद सोमा मेरी छाती पर निढाल हो गयी. मैं समझ गया की अब मुझे ही ऊपर आना पड़ेगा. मैंने फिर से उसको अपने निचे लाकर मिशनरी स्थिति में चोदना शुरू किया. सोमा की जबान से अब धीमी-धीमी सीत्कार निकल रही थी. उसकी गीली योनी में लंड फचक-फ़चाक की आवाज के साथ पेलने लगा. 15-20 झटको के बाद सोमा का बदन अकड़ा और कांपने के बाद फिर से शांत हो गया. उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और इस बार पानी चूत की दीवारों से बहते हुए फर्श पर बहने लगा.
लेकिन मैं झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. सोमा की हालत से लग था की उसको तेज़ बुखार है. वह अजीब तरह से काँप रही थी और ना जाने क्या बडबडा रही थी. अब मेरा लंड भी ऐंठने लगा. सुपारे में सर फाड़ते हुए अपना लावा उगल दिया. मैं ऐसा झड़ा की लग रहा था जैसे पेट के नीचे का हिस्सा गायब ही हो गया है. मैं भी सोमा के बदन पर निढाल हो गया और सोमा की होंठो को अपने होंठो से लगा लिया लेकिन चूमने की ताकत न मुझमे थी न उसमे. हम दोनों अगले 10-15 मिनट तक वैसे ही पड़े रहे. अब बाहर काफी उजाला हो गया था, सूरज निकलने ही वाला था. हमदोनो धीरे-धीरे उठे, कपड़े पहने बैग में सारे सामानों को वापस डाला और अपने घरो की और निकल गए. मैं शाम हो निकलने से पहले पार्लर में सोमा को मिलने को कहकर घर रवाना हुआ. पूरा बदन टूट गया था जैसे की किसी जंग से लौट रहा हूँ.
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